मुबईः आज 14 दिसंबर है और दिन एक ऐसे अभिनेता का जन्मदिन है, जिसे भारतीय सिनेमा के शोमैन कहा जाता है। राज कपूर ऐसी शख्सियत थे, जिनके बारे में बहुत सारे किस्से मशहूर हैं। शोमैन की 100वीं बर्थ एनिवर्सरी पर आज हम आपको कुछ ऐसे ही किस्सों से रूबरू करवाने जा रहे हैं।
गायक-संगीतकार सतीश देहरा के मुताबिक अक्सर राज साहब किसी भी कार्यक्रम में देर से ही पहुंचते थे। जब कार्यक्रम के आयोजक देर से आने का कारण पूछते थे, तो राज साहब कहते थे कि मैं देर करता नहीं, देर हो जाती है। राज साहब की इसी बात पर रवींद्र जैन ने फिल्म ‘हिना’ का एक गीत तैयार कर दिया
आपको बता दें कि फिल्म ‘हिना’ राज कपूर साहब डायरेक्ट करने वाले थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इस फिल्म को उनके बड़े बेटे रणधीर कपूर ने डायरेक्ट की थी। इस फिल्म के कई गाने राज कपूर साहब पहले ही फाइनल कर चुके थे। उसी में से एक गीत है, ‘मैं देर करता नहीं देर हो जाती है’ भी है। गायक-संगीतकार सतीश देहरा कहते हैं- इस गीत को सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर जी के साथ मुझे भी गाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
सतीश देहरा बताते हैं कि राज कपूर साहब के बाद वैसा किसी का नाम जेहन में नहीं आएगा, युगों -युगों तक ऐसा इंसान नहीं आएगा। उनके बारे में दादू (रवींद्र जैन) कहा करते थे कि राज साहब संगीत के बड़े ज्ञाता थे। वे हर गाने गुनगुनाते थे। उनके घर पर म्यूजिक के टीचर आते थे। उनसे संगीत के रागों के बारे में चर्चा करते थे।
जब राज साहब ने ‘राम तेरी गंगा मैली’ की घोषणा की तो फिल्म के शीर्षक को लेकर बहुत असमंजस में थे। उनको लगा कि गंगा को मैली कैसे बता सकते हैं। उनके मन में सवाल यह था कि क्या लोग इस शीर्षक को स्वीकार करेंगे? तब रवींद्र जैन ने मुखड़ा बनाया कि ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते’। यह मुखड़ा सुनते ही राज साहब गदगद हो गए। उन्हें लगा कि अब इस फिल्म के साथ सही न्याय कर पाऊंगा।
राज कपूर साहब को ‘राम तेरी गंगा मैली’ बनाने की प्रेरणा रवींद्र जैन के गाए गीत ‘एक राधा एक मीरा’ से मिली थी। सतीश देहरा बताते हैं- दिल्ली के एक कार्यक्रम में रवींद्र जैन ने एक गीत ‘एक राधा एक मीरा’ गाया था। उस कार्यक्रम में राज कपूर साहब भी मौजूद थे। गीत सुनने के बाद राज साहब ने दिव्या जी (रविंद जैन की पत्नी) से पूछा था कि किस फिल्म का गीत है। उन्होंने कहा था कि यह किसी फिल्म का गीत नहीं बल्कि उनका खुद का सॉन्ग है। उसी गाने से प्रभावित होकर राज साहब ने ‘राम तेरी गंगा मैली’ की कहानी लिखी थी।
‘राम तेरी गंगा मैली’ के समय ही रवींद्र जैन रामानंद सागर के रामायण के लिए गीत रिकॉर्ड कर चुके थे। सतीश देहरा बताते हैं- दादू ने कहा था कि एक बार उन्होंने राज साहब को रामानंद सागर साहब के ‘रामायण’ का गीत सुना दिया था। राज साहब बहुत खुश और चिंतित भी हुए। उन्हें लगा कि रामायण के लिए इतना अच्छा गीत बना दिए तो उनकी फिल्म के लिए रोमांटिक गीत कैसे बना पाएंगे?
राज साहब दादू को कश्मीर लेकर गए। दादू को लगा कि राज साहब वहां म्यूजिक की सीटींग करेंगे, लेकिन एक हफ्ते तक म्यूजिक सीटींग की बात तक नहीं हुई। तब दादू ने राज साहब म्यूजिक सीटींग करने की बात याद दिलाई। राज साहब बोले कि म्यूजिक तो मुंबई में ही करेंगे। यहां इसलिए लेकर आया था कि ताकि रामायण दिमाग से निकल जाए और रोमांटिक गाने बना सकें।
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