दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोकसभा संविधान को लेकर कांग्रेस को जमकर धोया। कुविचार, कुरीति, कुनीति की परंपरा बताई। पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉक्टर मनमोहन सिंह का नाम लिये। आरणक्ष, अनुच्छे 370, 35 ए की बात की।
पीएम मोदी लोकसभा में संविधान पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अच्छा होता कि संविधान की शक्ति पर चर्चा होती। दलगत भावना से उबरकर संविधान पर चर्चा करते, लेकिन कुछ लोगों की मजबूरियां होती हैं। मैं बोलना नहीं चाहता था, लेकिन तथ्य रखना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वे समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहुलुहान करती रही। करीब छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया। संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद में हो रही चर्चा के दौरान पीएम मोदी कहा कि
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक परिवार का उल्लेख इसलिए करता हूं कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है। देश को क्या-क्या हुआ है, ये जानने का अधिकार है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। आइए एक नजर डालते हैं लोकसभा संविधान पर पीएम मोदी की अहम बातों पर…
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वे समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहुलुहान करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था, उसे खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, श्रीमती इंदिरा गांधी।
उन्होंने कहा कि 1971 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। उस फैसले को संविधान बदलकर पलटा गया। उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे। कहा था कि संसद संविधान के किसी भी आर्टिकल में जो मन आए कर सकती है और अदालत उसकी तरफ नहीं देख सकती है। ये पाप 1971 में इंदिरा गांधी ने किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का नागरिक सर्वाधिक अभिनंदन का भागी है। संविधान निर्माता इस बात पर बहुत सजग थे। ये वो नहीं मानते थे कि भारत का जन्म 1947 में हुआ। वे मानते थे कि यहां की महान परंपरा को हजारों साल की उस यात्रा के लिए वे सजग थे। भारत का लोकतंत्र, गणतांत्रिक अतीत समृद्ध रहा है, विश्व के लिए प्रेरक रहा है। तभी भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। हम सिर्फ विशाल लोकतंत्र नहीं, हम लोकतंत्र की जननी हैं।
उन्होंने कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने कहा था, “सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है, ये हमारे मन में अपने गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, सभाओं में विद्वान देश के अहम मामलों पर चर्चा करते थे।”
पीएम मोदी ने कहा कि डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा था, “इस महान राष्ट्र के लिए गणतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। हमारे यहां ये इतिहास की शुरुआत से ही है। बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था- ऐसा नहीं है कि भारत को पता नहीं था कि लोकतंत्र क्या होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।”
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण में नारी शक्ति ने संविधान को सशक्त करने की भूमिका निभाई है। सक्रिय सदस्य थे। मौलिक चिंतन के आधार पर उन्होंने संविधान सभा की डिबेट को समृद्ध किया था। वे अलग-अलग बैकग्राउंड की थीं। उनके सुझावों का संविधान निर्माण में बहुत प्रभाव रहा था। दुनिया के कई देश आजाद हुए, संविधान बना, महिलाओं को अधिकार देने में दशकों बीत गए। हमारे यहां शुरुआत से ही महिलाओं को वोट का अधिकार दिया गया।
उन्होंने कहा कि जब जी-20 हुई, उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए विश्व के सामने विमन लीड डेवलपमेंट का विचार रखा। अब आगे जाने की जरूरत है। विमल लीड डेवलपमेंट की चर्चा को हमने अंजाम दिया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित करके हमारी महिला शक्ति को भारतीय लोकतंत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए।
पीएम मोदी ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि हर बड़ी योजना के केंद्र में महिलाएं होती हैं। भारत के राष्ट्रपति के पद पर एक आदिवासी महिला है, ये संयोग है। ये संविधान की भावना की अभिव्यक्ति है। इस सदन में लगातार हमारे महिला सांसदों की संख्या बढ़ रही है। आज समाज, राजनीति, शिक्षा, खेलकूद जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान देश के लिए गौरव दिलाने वाला रहा। स्पेस टेक्नोलॉजी में उनके योगदान की सराहना हर हिंदुस्तानी गर्व से कर रहा है। इसकी प्रेरणा संविधान है।
उन्होंने कहा कि हमारा देश बहुत तेज गति से विकास कर रहा है। भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है। 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि जब हम आजादी की शताब्दी बनाएंगे, हम विकसित भारत बनाकर रहेंगे। संकल्प से सिद्धि के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता भारत की एकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है। हमारे संविधान के निर्माण में बड़े-बड़े दिग्गज, स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा विद् थे, मजदूर-किसान नेता थे। सबके सब भारत की एकता के प्रति संवेदनशील थे। अंबेडकरजी ने चेताया था।
उन्होंने कहा कि समस्या ये है कि देश में जो विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए। कैसे एकदूसरे के साथ निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए। जिससे देश में एकता की भावना स्थापित हो। मुझे दुख के साथ कहना है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता, या स्वार्थवश सबसे बड़ा प्रहार हुआ तो देश की एकता के मूलभाव पर हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विशेषता विविधता में एकता है, लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने, जिनके लिए 1947 में हिंदुस्तान पैदा हुआ, वे विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे। विविधता हमारा अमूल्य खजाना है। उसमें ये लोग ऐसे बीज ढूंढते रहे, जिससे देश की एकता को नुकसान पहुंचे।
उन्होंने कहा कि मैं संविधान के प्रकाश में मेरी बात रखता हूं। अगर आप हमारी नीतियों को देखेंगे, पिछले 10 साल देश की जनता ने जो हमें सेवा करने का मौका दिया है। उसमें निर्णय देखिए भारत की एकता को मजबूती देने का हम निरंतर प्रयास करते रहे हैं। 370 देश की एकता में रुकावट बना था। हमने उसे जमीन में गाड़ दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में जीएसटी को लेकर चर्चा चली। इकनॉमिक यूनिटी के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण थी। वो भी हमने किया। वन नेशन वन टैक्स लागू किया। राशन कार्ड गरीब के लिए मूल्यवान दस्तावेज रहा है। गरीब एक राज्य से दूसरे राज्य जाता था तो उसे कुछ भी नहीं मिलता था।
पीएम मोदी कहा कि एकता को मजबूत करने के लिए हमने वन नेशन-वन राशन कार्ड की बात को पूरा किया। गरीब-सामान्य नागरिक को मुफ्त में इलाज मिले तो गरीबी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है। जहां काम करता है वहां मिल जाता है, लेकिन बाहर गया तो सुविधा नहीं मिलती। वन नेशन- वन हेल्थ कार्ड को सोचा और आयुष्मान कार्ड लाए।
उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि देश के एक हिस्से में बिजली थी पर सप्लाई नहीं हो रही थी। पिछली सरकारों में विश्व के अंदर अंधेरे के कारण हेडलाइन में बदनामी होती थी। वन नेशन-वन ग्रिड को हमने पूरा किया। हमारे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी भेदभाव की बू आती रही। हमने एकता को ध्यान में रखते हुए हमने नॉर्थ ईस्ट, या जम्मू-कश्मीर, इन्फ्रास्ट्रक्चर को सामर्थ्य देने का काम किया।
उन्होंने कहा कि युग बदल चुका है और हम नहीं चाहते हैं कि डिजिटल क्षेत्र में हमारी स्थिति खराब हो। भारत के डिजिटल इंडिया की सक्सेस स्टोरी है कि हमने टेक्नोलॉजी को डेमोक्रेटाइज करने का काम किया। ऑप्टिकल फाइबर गांव तक ले गए।
पीएम मोदी ने कहा कि मातृ भाषा की अहमियत पहचानी है। हमने न्यू एजुकेशन पॉलिसी में इसे बहुत बल दिया है। गरीब का बच्चा भी अपनी भाषा में डॉक्टर इंजीनियर बन सकता है। हमने क्लासिकल लैंग्वेज की दिशा में भी लोगों का सम्मान किया। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का अभियान शुरू किया। नई पीढ़ी को संस्कारित करने का काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि जरा संविधान यात्रा पर नजर डालें कि 25 साल पूरे हो रहे थे, उसी वक्त हमारे देश में संविधान को नोच दिया गया। इमरजेंसी आई, संवैधानिक व्यवस्थाओं को खत्म कर दिया। देश को जेलखाना बना दिया, अधिकारों को लूट लिया, प्रेस की स्वतंत्रता को ताले लगा दिए। कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है, वो कभी भी धुलने वाला नहीं है। जब लोकतंत्र की चर्चा होगी, ये पाप धुलने वाला नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि 50 साल हुए, तब क्या भुला दिया गया था। अटलजी की सरकार थी। 2000 में 26 नवंबर को संविधान का 50वां वर्ष मनाया गया था। उन्होंने पीएम होने के नाते विशेष संदेश दिया था। उसमें एकता, साझेदारी पर बल देते हुए संविधान की भावना को जीने और जनता को जगाने का काम किया था।
उन्होंने कहा कि इस साल के पूरा होते ही मुझे भी संविधान की प्रक्रिया से मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। मेरे कार्यकाल में संविधान के 60 साल हुए। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब संविधान के ग्रंथ को हाथी पर बनाई हुई विशेष व्यवस्था में रखा गया। संविधान गौरव यात्रा निकाली, राज्य का मुख्यमंत्री हाथी के बगल पैदल चल रहा था। ये सौभाग्य भी मुझे मिला।
उन्होंने कहा कि आज 75 साल हुए, हमें अवसर मिला। इस विशेष सत्र में अच्छा होता कि संविधान की शक्ति पर चर्चा होती। हर किसी की मजबूरियां होती है, दुख प्रकट करता है। कईयों ने अपना दुख प्रकट किया। दलगत भावना से उबरकर संविधान पर चर्चा करते।
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान की भावना है कि मेरे जैसे अनेक लोग, जो यहां पहुंच नहीं पाते। ये संविधान था जिसके कारण हम पहुंच पाए। हमारा कोई बैकग्राउंड नहीं था कैसे आते। ये संविधान था, जो जनता के आशीर्वाद से ये दायित्व मिला। देश ने इतना स्नेह दिया कि 3 बार हमें मौका दिया। संविधान के बिना संभव नहीं था।
पीएम मोदी ने कहा कि उतार-चढ़ाव आए, कठिनाइयां आईं, रुकावटें आईं, जनता को नमन है कि वो संविधान के साथ खड़ी रही। किसी की व्यक्तिगत आलोचना करना नहीं चाहता। तथ्यों को रखना जरूरी है। कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक परिवार का उल्लेख इसलिए करता हूं कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है। देश को क्या-क्या हुआ है, ये जानने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। 1947 से 1952 इस देश में इलेक्टेड गवर्नमेंट नहीं थी। अस्थाई व्यवस्था थी, चुनाव नहीं हुए थे और जब तक चुनाव ना हो तब तक एक खाका खड़ा किया गया था।
उन्होंने कहा कि 1952 से पहले राज्यसभा भी नहीं थी। राज्यों में भी चुनाव नहीं थे। कोई जनादेश नहीं था। अभी-अभी तो संविधान निर्माताओं ने इतना मंथन किया था। 1951 इन्होंने ऑर्डिनेंस लाकर संविधान को बदला। अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। संविधान निर्माताओं की नहीं चलने दी।
पीएम मोदी ने कहा कि अपने मन की चीजें, जो संविधान सभा के भीतर नहीं करवा पाए, पिछले दरवाजे से किया, चुनी हुई सरकार के प्रधानमंत्री नहीं थे। उन्होंने पाप किया। उसी दौरान प्रधानमंत्री नेहरूजी ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी- अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 1951 में ये पाप किया गया। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि गलत हो रहा है। स्पीकर ने भी कहा, आचार्य कृपलानी, जेपी जैसे महान लोगों ने भी रोकने को कहा। पंडितजी का अपना संविधान चलता था। उन्होंने सलाह नहीं मानी।
पीएम मोदी ने संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वे समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहुलुहान करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था, उसे खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, श्रीमती इंदिरा गांधी।
उन्होंने कहा कि 1971 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। उस फैसले को संविधान बदलकर पलटा गया। उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे। कहा था कि संसद संविधान के किसी भी आर्टिकल में जो मन आए कर सकती है और अदालत उसकी तरफ नहीं देख सकती है। ये पाप 1971 में इंदिरा गांधी ने किया था।
उन्होंने कहा कि इस बदलाव ने इंदिराजी की सरकार को मौलिक अधिकारों को छीनने का और न्यायपालिका पर नियंत्रण करने का अधिकार दिया था। इंदिराजी के चुनाव को गलत नीति के कारण अदालत ने खारिज कर दिया। उनको एमपी पद छोड़ने की नौबत आई तो उन्होंने गुस्से में देश में इमरजेंसी थोप दी, अपनी कुर्सी बचाने के लिए।
पीएम मोदी ने कहा कि इंदिराजी ने 1975 में 39 बार संशोधन किया। उसमें राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष इनके चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता, ऐसा काम किया। पीछे का भी बदलाव कर दिया।
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में लोगों के अधिकार छीने गए, हजारों लोगों को जेलों में डाल दिया गया। न्यायपालिका का गला घोंटा गया, अखबारों की स्वतंत्रता पर ताले लगा दिए। जस्टिस एचआर खन्ना ने उनके चुनाव में खिलाफ जजमेंट दिया, इतना गुस्सा भरा था कि जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने थे, उन्हें चीफ जस्टिस नहीं बनने दिया।
उन्होंने कहा कि यहां भी ऐसे कई दल हैं, जिनके मुखिया जेल में थे। मजबूरी है कि आज ये वहां बैठे हैं। देश पर जुल्म-तांडव चल रहा था। कई लोग जेलों में मृत समान हो गए थे, निर्दयी सरकार संविधान को चूर-चूर करती रही। ये परंपरा यहां नहीं रुकी। नेहरूजी ने शुरू किया, इंदिराजी ने आगे बढ़ाया, राजीवजी ने खाद-पानी दी। उनके मुंह लहू लग गया था। अगली पीढ़ी भी इसी खिलवाड़ में जुटी है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानों का जजमेंट दिया था। राजीव गांधी ने शाहबानो की उस भावना को सुप्रीम कोर्ट की भावना को नकार दिया। वोट बैंक की भावना के आगे संविधान की भावना को नकार दिया। वृद्ध महिला का साथ देने की बजाय कट्टरपंथियों का साथ दिया। संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट दिया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि एक किताब में लिखा है- मुझे यह स्वीकार करना होगा, पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। ये मनमोहन सिंह ने कहा है। इतिहास में पहली बार संविधान को ऐसी गहरी चोट पहुंचा दी गई। संविधान निर्माताओं ने चुनी हुई सरकार और पीएम की कल्पना बनाई। इन्होंने प्रधानमंत्री के ऊपर एक गैर संवैधानिक एडवाइजरी काउंसिल भी बैठा दी। पीएमओ के बराबर अघोषित दर्जा दे दिया गया।
उन्होंने कहा कि एक और पीढ़ी आगे चले, उसने क्या किया। भारत के संविधान के तहत देश की जनता सरकार चुनती है। सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट जो फैसला लिया, संविधान का अपमान करने वाले अहंकार से भरे लोगों ने पत्रकारों के सामने कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दिया। संविधान को हर मौके पर खिलवाड़ करना, उसे न मानना, ये जिनकी आदत हो गई थी। दुर्भाग्य देखिए एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट का फैसला फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग जानते होंगे, 370 का पता होगा, 35-A का कम को पता है। संसद में आए बिना संसद को ही अस्वीकार कर दिया गया। संविधान का पहला पुत्र संसद है, उसका भी गला घोंटने का काम किया। 35-A को थोप दिया, ये न होता तो जम्मू-कश्मीर की हालत ऐसी नहीं होती। राष्ट्रपति के आदेश पर यह काम हुआ और देश को अंधेरे में रखा, क्योंकि पेट में पाप था, जनता से छिपाना चाहते थे।
पीएम मोदी ने कहा कि अंबेडकर के प्रति आज सम्मान का भाव सबको है। हम लोगों के लिए विशेष है, क्योंकि सारे रास्ते वहीं से मिले। अंबेडकरजी के प्रति भी इनके मन में कितनी कटुता थी। जब अटलजी की सरकार थी, तब अंबेडकरजी का महापरिनिर्माण पर मेमोरियल का निर्माण होना था, इन्होंने नहीं बनने दिया। हमने बनवाया। दिल्ली में अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का फैसला 1992 में लिया गया। 2015 में हमने इसे पूरा किया।
उन्होंने कहा कि अंबेडकर के सवा सौ साल हमने 120 देशों में मनाया। शताब्दी पर अकेली मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार थी। सुंदर लाल पटवा सीएम थे, महू में जहां अंबेडकर का जन्म हुआ, उसे स्मारक बनाने का काम उन्होंने किया। हमारे देश में अंबेडकर दिव्य दृष्टा थे, समाज के दबे-कुचले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध थे।
उन्होंने कहा कि तब हमारे देश मे आरक्षण की व्यवस्था हुई। वोट बैंक की राजनीति वालों ने तुष्टिकरण, धर्म के नाम पर आरक्षण के भीतर तोड़फोड़ की। इसका नुकसान एससी,एसटी और ओबीसी को हुआ। नेहरूजी से राजीव गांधी तक कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का विरोध किया। लंबी-लंबी चिट्ठियां नेहरूजी ने लिखीं।
पीएम मोदी ने कहा कि सदन में आरक्षण के खिलाफ इन लोगों ने लंबे भाषण दिए। इन्होंने उसके खिलाफ झंडा ऊंचा किया। दशकों तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को डिब्बे में डाला। जब कांग्रेस गई, तब ओबीसी को आरक्षण मिला। ये कांग्रेस का पाप है, उस वक्त मिला होता तो देश के अनेक पदों पर उस समाज के लोग सेवा करते।
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