कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश के नेताओं को तीखे शब्दों में जवाब दिया है। ममता ने सोमवार को बांग्लादेशी नेताओं के उस बयान का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश का बंगाल, बिहार और ओडिशा पर अधिकार है। उन्होंने विधानसभा में कहा कि आपको क्या लगता है, आप हमारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे तो हम लोग लॉलीपॉप खाते रहेंगे?
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बांग्लादेश में दिए जा रहे बयानों से परेशान न हों। ममता ने जनता को यकीन दिलाया कि पश्चिम बंगाल सरकार हमेशा केंद्र के फैसले का समर्थन करेगी। ममता ने लोगों से कहा कि शांत रहें, स्वस्थ रहें और मन की शांति बनाए रखें।
आपको बता दें कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने रविवार को इंडियन हाई कमीशन के सामने भारत के विरोध में लॉन्ग मार्च निकाला। इस दौरान नेताओं ने भारत विरोधी बयान दिए। BNP के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी रूहुल कबीर रिजवी ने रविवार को सार्वजनिक सभा के दौरान कहा था कि भारत हर कदम पर बांग्लादेश को नुकसान पहुंचा सकता है। उसने शेख हसीना को इसलिए शरण दी क्योंकि उसे बांग्लादेश के लोग पसंद नहीं हैं। भारत किसी से दोस्ती नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि अगर भारत चटगांव मांगता है, तो हम बंगाल, बिहार और ओडिशा वापस ले लेंगे। भारत में सांप्रदायिकता बहुत ज्यादा है। शेख हसीना ने दिल्ली के आशीर्वाद से ही बांग्लादेश में 16 साल सरकार चलाई। भारत ने वकील आलिफ की हत्या के बारे में भी कुछ नहीं कहा।
ममता ने कहा कि हमारे राज्य में इमाम तक ने बांग्लादेश में माइनॉरिटी पर हमलों और बांग्लादेशी नेताओं के बयानों की आलोचना की है। हिंदू और मुस्लिम और बाकी सभी समुदाय की रगों में एक ही खून बह रहा है। हमें साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि पश्चिम बंगाल के हालात खराब न हों। पश्चिम बंगाल देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां हर जाति, पंथ और समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश के हालात के खिलाफ प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक विरोधियों समेत सभी लोगों से अपील कि वे ऐसा कुछ न करें, जिससे हालात बिगड़ें। उन्होंने मीडिया संस्थानों से भी बांग्लादेश के हालात पर कोई कमेंट करते समय जिम्मेदारी से बर्ताव करने को कहा।
मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश नहीं है, जहां हम आपके टेलिकास्ट को बैन कर देंगे, लेकिन आप पश्चिम बंगाल और यहां के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर काम करें। अगर यहां हालात बिगड़ते हैं, तो इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ठीक ऐसे ही, अगर बांग्लादेश में हालात खराब होते हैं, तो वहां रह रहे हमारे रिश्तेदारों और दोस्तों पर असर पड़ेगा। इसलिए वहां के बारे में कुछ भी कहने से पहले संयम बरतें।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार और पार्टी (TMC) भारत के विदेश मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करेगी और केंद्र सरकार की लाइन से इतर कोई बात नहीं करेगी। हमारे देश के विदेश सचिव बातचीत के लिए बांग्लादेश में हैं। इसलिए हमें उतना ही बोलना चाहिए, जितनी जरूरत हो। हमें नतीजों का इंतजार करना चाहिए। हम सब जिम्मेदार नागरिक हैं। हमारा देश एक है।
वहीं, विदेश सचिव विवेक मिसरी ने सोमवार को बांग्लादेशी विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन से बातचीत की। मिसरी एक दिन पहले ही भारतीय एयरफोर्स के जेट से एक दिन की यात्रा पर ढाका पहुंचे हैं। आपको बता दें कि अगस्त में शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली हाई-लेवल बैठक है।
बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर हो रहे हमले के खिलाफ देशभर में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, नई दिल्ली, मुंबई, असम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक समेत देश के कई राज्यों में लोग रैलियां निकाल रहे हैं।
हिंसा के विरोध में त्रिपुरा और कोलकाता के अस्पताल बांग्लादेशियों का इलाज करने से मना कर चुके हैं। त्रिपुरा के ILS अस्पताल ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया था।कोलकाता के सिलीगुड़ी में डॉ शेखर बंदोपाध्याय ने अपने प्राइवेट क्लीनिक में तिरंगा लगाकर मैसेज लिखा था- भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी मां की तरह है। कृपया चैंबर में एंट्री करने से पहले तिरंगे को सलाम करें। खासकर बांग्लादेशी मरीज, अगर वे सलाम नहीं करते हैं, तो उन्हें अंदर आने नहीं दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। कई हिंदू मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। इस्कॉन के पूर्व प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हिंसा हुई। हालिया हिंसा ढाका में इस्कॉन के पूर्व प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई।
उन पर चटगांव के न्यू मार्केट में आजादी स्तंभ पर लगे नेशनल फ्लैग के ऊपर भगवा ध्वज फहराने का आरोप था। इस ध्वज पर ‘सनातनी’ लिखा हुआ था। 26 नवंबर को चिन्मय की चटगांव कोर्ट में पेशी के समय कोर्ट परिसर में हंगामा हुआ। इसी दौरान एक वकील की मौत हो गई। इसके बाद से हिंसा जारी है।