संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ दिल्ली के नागरिक समाज ने चिंता जताया है और 10 दिसंबर को यहां स्थित बांग्लादेशी दूतावास तक मार्च निकालने का ऐलान किया है।
दिल्ली नागरिक समाज ने 200 से अधिक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के साथ मिलकर पर शुक्रवार को यहां इस मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे बढ़ते मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 10 दिसंबर को बांग्लादेशी दूतावास तक मार्च निकाला जाएगा। इसका उद्देश्य हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और उत्पीड़न की ओर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना है।
संवाददाता सम्मेलन में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएफएस) की पूर्व अधिकारी एवं बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रहीं वीणा सिकरी, खुफिया ब्यूरो के पूर्व महानिदेशक एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सदस्य राजीव जैन सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने बांग्लादेश में बिगड़ती मानवाधिकार स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और अल्पसंख्यकों पर हो रहे व्यवस्थित अत्याचारों को उजागर किया। वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश कभी बहु-जातीय और बहु-धार्मिक सह-अस्तित्व का प्रतीक था। वहां हिंदू जनसंख्या 1977 में 25 प्रतिशत थी, लेकिन अब घटकर आज मात्र आठ फीसदी रह गई है। वक्ताओं ने कहा कि पांच अगस्त, 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल (जिसमें एक संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाया गया) ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। चरमपंथी ताकतों ने इस अशांति का फायदा उठाकर अल्पसंख्यकों पर हत्या, बलात्कार, यातना, आगजनी और अमानवीय उत्पीड़न जैसे जघन्य अपराध किए, जिसमें खासकर महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया। अंतरिम सरकार और संबंधित संस्थानों पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया, जिसने अपराधियों को और अधिक दुस्साहसी बना दिया।
वक्ताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निंदा की और इन मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हिंसा को तुरंत रोकने, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के तहत अधिकारों को लागू करने और इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को अन्यायपूर्ण कैद से मुक्त करने की मांग की। वक्ताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और बांग्लादेश में शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक एकजुटता की अपील की।
दिल्ली के नागरिक समाज और उसके साझेदार संगठनों ने बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर निम्नलिखित मांगे रहीं।
- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा: अंतरराष्ट्रीय संधियों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप मानवाधिकारों को लागू करना।
- नरसंहार का अंत: हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ लक्षित हिंसा को तुरंत रोकना।
- धार्मिक नेताओं की रिहाई: इस्कॉन संन्यासी पूज्य श्री चिन्मय कृष्ण दास को अन्यायपूर्ण कैद से रिहा करना।
- वैश्विक एकजुटता: अपराधियों को जवाबदेह ठहराने और पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना।
- धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार: बांग्लादेश में सभी धार्मिक समुदायों के बीच सौहार्द और सह-अस्तित्व की वकालत करना।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने पीड़ितों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से चल रहे अत्याचारों को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आग्रह किया। नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने न्याय, समानता और सभी के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अपने समर्पण को दोहराया।