दिल्लीः 50वें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दो दिन बाद यानी 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले गुरुवार को उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनाए गए एक वकील से सवाल किया। इसका जवाब AI वकील ने उसी एक्सप्रेशन से दिया, जैसा कोर्ट में असली वकील देते हैं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम एंड आर्काइव के उद्घाटन के दौरान AI वकील से सवाल किया कि क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है? इसके जवाब में वकील की ड्रेस में खड़े AI वकील ने पहले दोनों हाथों को बांहों पर रखा, अंगुलियां चलाईं, कुछ सोचने की भाव-भंगिमाएं बनाईं। इसके बाद दोनों हाथ खोलकर जिरह करने के अंदाज में जवाब दिया- हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है, लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित बहुत कम मामलों के लिए रिजर्व है। जघन्य अपराध के मामलों में ऐसी सजा का प्रावधान है।
AI वकील से ऐसा सटीक जवाब सुनकर CJI चंद्रचूड़ ने वहां मौजूद अन्य जजों की ओर देखा और मुस्कुरा दिए। आपको बता दें कि CJI और AI वकील के सवाल-जवाब का वीडियो भी सामने आया है।
इस मौके पर CJI के साथ जस्टिस संजीव खन्ना भी मौजूद थे। जस्टिस खन्ना 51वें CJI के तौर पर 11 नवंबर को शपथ लेंगे।
CJI ने नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम और आर्काइव का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस नए म्यूजियम में की चीजें सुप्रीम कोर्ट के कैरेक्टर उसके महत्व बताती हैं। मैं चाहता हूं कि यह म्यूजियम युवा पीढ़ी के लिए एक ऐसा स्थान बने, जहां लगातार संवाद होता हो।
स्कूलों-कॉलेजों के बच्चे और आम लोग, जो जरूरी नहीं कि वकील ही हों, यहां आएं और उस हवा में सांस लें जिसमें हम रोज लेते हैं। इससे आम लोगों को कानून, जजों और वकीलों के कामों का लाइव एक्सपीरियंस और महत्व पता चलेगा। मुझे उम्मीद है कि मेरे रिटायरमेंट के बाद आने वाले जज युवा पीढ़ी के लिए भी म्यूजियम खोलेंगे।
यह म्यूजियम जज-सेंट्रिक नहीं है। इसमें वो चीजें हैं, जिन्हें हमने संविधान सभा में रखा देखा गया था। इसमें संविधान का निर्माण करने वाले लोगों से जुड़ी चीजें भी रखी गई हैं। म्यूजियम में बार के सदस्यों से जुड़ी चीजें भी हैं। बार के सदस्यों ने ही अपनी निडर वकालत से कोर्ट को आज जैसा बनाया है।
म्यूजियम उद्घाटन समारोह का बार एसोसिएशन ने बहिष्कार किया
सुप्रीम कोर्ट कैंपस में पुरानी जज लाइब्रेरी को नए म्यूजियम में बदला गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया।
एसोसिएशन ने पहले एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें पुरानी जज लाइब्रेरी को म्यूजियम बनाने का विरोध किया गया था और उस जगह पर नए कैफेटेरिया बनाने की मांग की थी। एसोसिएशन का कहना था कि मौजूदा कैफेटेरिया वकीलों की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।
आपको बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का पूरा नाम जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। उनके पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें CJI थे। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक यानी करीब 07 साल रहा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पिता के 02 बड़े फैसलों को SC में पलट भी चुके हैं। वे बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं।
CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश का 50वां चीफ जस्टिस (CJI) नियुक्त किया था। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी।
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