संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः चुनावी वादों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर हमला बोला। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि कांग्रेस को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल या नामुमकिन है।
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 31 अक्टूबर को बेंगलुरु में एक कार्यक्रम मेंकहा था कि हमें वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके। नहीं तो आने वाली पीढ़ी के पास बदनामी के अलावा कुछ नहीं बचेगा।
पीएम खरगे के इसी बयान को लेकर उन पर हमला बोलते हुए लिखा- कांग्रेस लगातार प्रचार अभियान चलाकर लोगों से वादे करती रहती है, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर पाएंगे। अब वे लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। आज कांग्रेस की सरकार वाले किसी भी राज्य को देख लीजिए – हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना – विकास की गति और वित्तीय सेहत बद से बदतर होती जा रही है।
उनकी तथाकथित गारंटी अधूरी पड़ी है, जो इन राज्यों के लोगों के साथ एक भयानक धोखा है। ऐसी राजनीति का शिकार गरीब, युवा, किसान और महिलाएं हैं, जिन्हें न केवल इन वादों का लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि उनकी मौजूदा योजनाएं भी कमजोर होती जा रही हैं।
पीएम ने लिखा कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी विकास करने की बजाय पार्टी की अंदरूनी राजनीति और लूट में व्यस्त है। इतना ही नहीं, वे मौजूदा योजनाओं को भी वापस लेने जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जाता। तेलंगाना में किसान अपने वादे के मुताबिक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं।
इससे पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उन्होंने कुछ ऐसे भत्ते देने का वादा किया था जो पांच साल तक लागू नहीं किए गए। कांग्रेस किस तरह काम करती है, इसके कई उदाहरण हैं।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि झूठ, छल, कपट, लूट और प्रचार ऐसे नाम हैं, जो आपकी सरकार के बारे में बताते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि 16 मई, 2024 को आपने यह भी दावा किया था कि आपने 2047 के रोडमैप के लिए 20 लाख से अधिक लोगों से इनपुट लिए हैं। PMO में दायर RTI ने आपके झूठ का खुलासा करते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया।
BJP में ‘B’ का अर्थ विश्वासघात है, जबकि ‘J’ का अर्थ जुमला है। 100 दिन से जुड़ा आपका ढोल बजाने वाली योजना सिर्फ दिखावा थी। मोदी जी, उंगली उठाने से पहले कृपया ध्यान दें, मोदी की गारंटी 140 करोड़ भारतीयों के साथ एक भद्दा मजाक है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी से छह सवाल पूछे हैं। आइए एक नजर डालते हैं खरगे द्वारा पीएम मोदी से पूछे गए सवालों पर…
अब बताते हैं कि क्या है फ्रीबीज मुद्दाः राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। CJI डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए। कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ आज की याचिका को सुनवाई के लिए मर्ज कर लिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि, ‘राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते। इससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है। यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए इस पर रोक के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।’
अक्टूबर 2024 : याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार (14 अक्टूबर) को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों का फ्री योजनाओं का वादा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत या वोट के लिए प्रलोभन माना जाए।
जनवरी 2022 : BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआः फ्रीबीज मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने अगस्त 2022 में शुरू की थी। इस बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी थे। बाद में तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई की और अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है।
चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे।
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