दिल्ली: सनातन धर्म में पांच दिवसीय दीपोत्सव का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन से शुरू होने वाली दिपोत्सव का भाई-दूज पर्व के साथ समापन होता है। इस पांच दिनों के दौरान सनातन धर्म लोगसुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। घर को दीयों, झालरों और फूलों से सजाया जाता है। पांच दिवसीय दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और अंत में भाई- दूज का पर्व मनाया जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से साधक के समस्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं। चलिए जानते हैं इस बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि कब है, जिस दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा।
कब है गोवर्धन पूजा: वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 01 नवंबर 2024 को सायं 06 बजकर 16 मिनट से हो रहा है, और इसका समापन अगले दिन 2 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 02 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।
पूजा का मुहूर्त: 02 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके बाद दोपहर में 03:23 मिनट से लेकर 05:35 मिनट के बीच भी पूजा की जा सकती है।
पूजा विधि:
- प्रातःकाल गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है।
- मूर्ति को फूलों और रंग से सजाएं।
- गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।
- भगवान को फल, जल, दीपक, धूप और उपहार अर्पित करें।
- कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं।
- इसके बाद इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
- पूजा करने के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें और इस दौरान जल हाथ में लेकर मंत्र का जाप करें।
- अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।