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आधुनिक विकास के साथ ‘स्व’ आधारित जीवनशैली को अपनाना जरूरी हैः संघ - Prakhar Prahari
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आधुनिक विकास के साथ ‘स्व’ आधारित जीवनशैली को अपनाना जरूरी हैः संघ

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

मथुराः  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि ‘स्व’ का कार्य मिट्टी की सुगंध का कार्य है। महात्मा गांधी ने भी बोला था स्वराज्य। ‘स्व’ का अर्थ ‘स्वाधीनता’, राष्ट्रीय स्वत्व है। यहां की अपनी परम्परा, अपनी सभ्यता, इसके अनुभवों के साथ आचरण करना है, आधुनिकता का पालन करना है, आधुनिकता में भी ‘स्व’ को नहीं भूलना है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की दो दिवसीय बैठक का शनिवार 26 अक्टूबर को समापन हो गया। दीनदयाल गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र, गऊ ग्राम परखम, मथुरा में आयोजित बैठक के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि शाखा में आने वाले व हर समूह के कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण वर्ग आयोजित होता है, इस वर्ष कार्यकारी मंडल बैठक से पूर्व दो दिन का प्रांत टोली का प्रशिक्षण वर्ग हुआ। साथ ही वर्तमान संदर्भ और संघ से जुड़े विविध आयामों के कार्य विस्तार पर भी चर्चा हुई है। बैठक में आने वाले दिनों में हमें क्या-क्या करना है, नये विचार कैसे जुड़ेंगे, समाज के नये व्यक्तियों को कैसे जोड़ना है, विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को जोड़ना और जुड़े हुए बंधुओं से कार्य विस्तार कैसे हो, इसकी भी चर्चा बैठक में हुई है।

उन्होंने बताया कि कार्यकारी मंडल की बैठक में इस वर्ष मार्च में सम्पन्न हुई प्रतिनिधि सभा की समीक्षा की गयी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस वर्ष अपने 99 वर्ष पूर्ण करते हुए शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया है। आगामी विजयादशमी पर कैसे कार्यक्रम करने हैं, इस पर विचार किया है। स्वयंसेवक पंच परिवर्तन (स्व आधारित जीवन शैली, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्य) के विषयों को लेकर समाज के बीच जाएंगे। समाज में परिवर्तन कैसे होगा, इसकी चिंता स्वयं करनी है।

उन्होंने बताया कि संघ कार्य की प्रथम इकाई शाखा है। कार्य विस्तार की दृष्टि से 45, 411 स्थानों पर 72,354 शाखाएं चल रही हैं। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 3626 स्थान बढ़ गए हैं और 6645 शाखाएं बढ़ी हैं। ऐसे ही सप्ताह में होने वाले साप्ताहिक मिलन की संख्या 29369 रही, इसमें 3147 की वार्षिक वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि जहां शाखा नहीं लगती, ऐसे स्थानों पर मासिक संघ मंडली का काम चलता है। इस वर्ष 11,382 स्थानों पर संघ मंडली है, इसमें 750 स्थानों की वृद्धि हुई है। ऐसे कुल 1,13,105 ईकाइयों के रूप में वर्तमान में संघ कार्य का विस्तार है। अगले वर्ष प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलूरू में आयोजित होगी और प्रतिनिधि सभा तक कार्य विस्तार में वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा संघ कार्यकर्ताओं के चरित्र निर्माण का कार्य करता है। चरित्र निर्माण की यह पद्धति केवल चर्चाओं में नहीं वरन् आचरण में दृष्टिगोचर होनी चाहिए और विगत वर्षो से समाज को इसका अनुभव भी हो रहा है। देश में आपदा के समय स्वयंसेवक मोर्चा संभालते हैं। इस वर्ष भी पश्चिम बंगाल में तारकेश्वरी नदी में आयी बाढ़ में 25,000 परिवारों की स्वयंसेवकों ने राहत शिविरों में सेवा की। उड़ीसा बाढ़ के दौरान 4 हजार परिवारों को स्वास्थ्य और भोजन आदि सहायता पहुंचायी। जुलाई में वायनाड़ और कर्नाटक में भूस्खलन में एक-एक हजार स्वयंसेवक लगे और सहायता कार्य किए। बड़ोदरा, जामनगर, द्वारका बाढ़ में भी स्वयंसेवकों ने भोजन आदि की व्यवस्था की। साथ ही आपदा में 600 मृतकों का अंतिम संस्कार भी कराया, केवल हिन्दू ही नहीं, बल्कि विभिन्न समुदायों के मृतकों का उनकी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार कराया।

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि ‘स्व’ का कार्य मिट्टी की सुगंध का कार्य है। महात्मा गांधी ने भी बोला था स्वराज्य। ‘स्व’ का अर्थ ‘स्वाधीनता’, राष्ट्रीय स्वत्व है। यहां की अपनी परम्परा, अपनी सभ्यता, इसके अनुभवों के साथ आचरण करना है, आधुनिकता का पालन करना है, आधुनिकता में भी ‘स्व’ को नहीं भूलना है। उन्होंने कहा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर की जयंती का यह 300वां वर्ष है। सामाजिक जाग्रति, मंदिरों का जीर्णोद्धार, कुशलतापूर्वक शासन करना यह दर्शाता है कि 300 वर्ष पूर्व भी मातृशक्ति जनता के लिए और जनकार्य के लिए शासन चलाने में सक्षम थी।

उन्होंने कहा कि ड्रग के प्रति आकर्षण नहीं होना चाहिए। संघ का आग्रह संस्कार, समरसता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर है। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सभी इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, उसमें से बहुत कुछ सामाजिक नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए, पर इस पर एक नियामक भी बनाने की जरूरत है। सरकार तो इस ओर ध्यान देगी ही, समाज को भी संस्कारों में वृद्धि करके इस ओर ध्यान देना चाहिए। वहीं हाल ही में बांग्लादेश घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को वहां से पलायन करने की जरूरत नहीं है। वे वहीं डटे रहें, वह उनकी भूमि है, बांग्लादेश में हमारे शक्तिपीठ हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वभर में हिन्दू रहते हैं। जहां भी संकट आता है, हिन्दू भारत की ओर देखता है। वक्फ बोर्ड पर उन्होंने कहा कि जेपीसी जो भी निर्णय लेगी, आगे सरकार जनभावनाओं को ध्यान में रखकर कार्य करेगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विषय पर कहा कि कहा कि मामला न्यायालय में है, न्यायालय निर्णय लेगा। अयोध्या की तरह इस पर कुछ करने की जरूरत नहीं है, समाज तय करेगा। हम समाज के साथ हैं। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर और प्रदीप जोशी उपस्थित रहे।

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