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अंतरराष्ट्रीय

कामयाब रहा Spacex के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का पांचवां टेस्ट, बूस्टर 96 KM ऊपर जाकर लॉन्चपैड पर लौटा, शिप की पानी में कंट्रोल्ड लैंडिंग

टैक्सास: दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क के SpaceX के स्टारशिप का पांचवां परीक्षण कामयाब रहा। आपको बता दें कि यह दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट है। इस टेस्ट में पृथ्वी से 96 Km ऊपर भेजे गए सुपर हैवी बूस्टर को लॉन्चपैड पर वापस लाया गया, जिसे मैकेजिला ने पकड़ा। मैकेजिला दो मेटल आर्म हैं जो चॉपस्टिक्स की तरह दिखाई देती हैं।

वहीं स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में कंट्रोल्ड लैंडिंग कराई गई। स्टारशिप ने जब पृथ्वी के वातावरण में एंट्री की तब उसकी रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था।

स्टारशिप को आज यानी, 13 अक्टूबर को शाम 05:55 बजे टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। स्टारशिप में 6 रैप्टर इंजन लगे हैं, जबकि सुपर हैवी में 33 रैप्टर इंजन है।

  • सुपर हैवी बूस्टर को पृथ्वी से 96 kM ऊपर ले जाने के बाद लॉन्च साइट पर वापस लाकर कैच किया गया।
  • स्टारशिप की पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था।
  • स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में लैंडिंग कराई गई। इसे स्पैल्शडाउन कहा जाता है।

यह मिशन 01 घंटे 05 मिनट 34 सेकेंड का रहाः

  • 00:00:02 लिफ्टऑफ़
  • 00:01:02 मैक्स क्यू (रॉकेट पर चरम यांत्रिक तनाव का क्षण)
  • 00:02:33 सुपर हेवी MECO (अधिकांश इंजन बंद)
  • 00:02:41 हॉट-स्टेजिंग (स्टारशिप रैप्टर इग्निशन और स्टेज सेपरेशन)00:02:48 सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न शुरू
  • 00:03:41 सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न शटडाउन
  • 00:03:43 हॉट-स्टेज जेटीसन
  • 00:06:08 सुपर हैवी सुपरसोनिक
  • 00:06:33 सुपर हैवी लैंडिंग बर्न शुरू
  • 00:06:56 सुपर हैवी बूस्टर कैच
  • 00:08:27 स्टारशिप इंजन कटऑफ
  • 00:48:03 स्टारशिप एंट्री
  • 01:02:34 स्टारशिप ट्रांसोनिक
  • 01:03:43 स्टारशिप सबसोनिक
  • 01:05:15 लैंडिंग फ्लिप
  • 01:05:20 लैंडिंग बर्न
  • 01:05:34 एक रोमांचक लैंडिंग
  • चौथा टेस्ट भी सक्सेसफुल रहा था, पानी में हुई थी लैंडिंग

आपको बता दें कि स्टारशिप का चौथा टेस्ट 6 जून 2024 को हुआ था, जो सक्सेसफुल रहा था। 1.05 घंटे के इस मिशन को बोका चिका से शाम 6.20 बजे लॉन्च किया गया था। इसमें स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया गया।

टेस्ट का मेन गोल यह देखना था कि स्टारशिप पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान सर्वाइव कर पाता है या नहीं। टेस्ट के बाद कंपनी के मालिक इलॉन मस्क ने कहा था, ‘कई टाइलों के नुकसान और एक डैमेज्ड फ्लैप के बावजूद स्टारशिप ने समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की।’

तीसरा टेस्ट में रीएंट्री के बाद स्टारशिप से संपर्क टूटा थाः Spacex के स्टारशिप का तीसरा टेस्ट 14 मार्च 2024 को हुआ था। स्पेसएक्स ने बताया था कि स्टारशिप रीएंट्री के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाया, लेकिन उसने उड़ान के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं इलॉन मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल आधा दर्जन स्टारशिप उड़ान भरेंगी। तीसरे टेस्ट में लॉन्चिंग के 46 मिनट बाद स्टारशिप ने पृथ्वी के वातावरण में रीएंट्री की थी, जब रॉकेट 65 Km ऊपर था तब उसका संपर्क टूट गया था।

आपको बता दें कि स्टारशिप का दूसरा टेस्ट 18 नवंबर 2023 को शाम करीब 6:30 बजे किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 2.4 मिनट बाद सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का सेपरेशन हुआ। बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 3.2 मिनट बाद 90 Km ऊपर यह फट गया।

वहीं स्टारशिप तय प्लान के अनुसार आगे बढ़ गया। करीब 8 मिनट बाद पृथ्वी से 148 Km ऊपर स्टारशिप में भी खराबी आ गई, जिस कारण उसे नष्ट करना पड़ा। फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम के जरिए इसे नष्ट किया गया था।

दूसरे टेस्ट में रॉकेट और स्टारशिप को अलग करने के लिए पहली बार हॉट स्टैगिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया था, जो पूरी तरह सक्सेसफुल रही थी। सभी 33 रैप्टर इंजनों ने भी लॉन्च से सेपरेशन तक ठीक से फायर किया था।

20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था।

स्टारशिप के फेल होने के बाद भी एलन मस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। मस्क ने लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है।

उस समय स्पेसएक्स ने कहा था कि सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं।

पूरी तरह से रीयूजेबल है स्टारशिप सिस्टमः दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी इलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी बूस्टर को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। इस व्हीकल की ऊंचाई 397 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जा सकेगा।

स्टारशिप सिस्टमः

  • हाइट: 397 फीट
  • डायामीटर: 9 मीटर
  • पेलोड कैपेसिटी: 100-150 मीट्रिक टन

क्या-क्या कर सकता है स्टारशिपः

  • पेलोड डिलीवरी
  • मून मिशन्स
  • अर्थ-टु-अर्थ ट्रांसपोर्टेशन
  • इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन

मंगल पर इंसानों को पहुंचाएगा स्टारशिपः आपको बता दें कि स्पेसएक्स के स्टारशिप की ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।

मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या है जरूरतः

एलन मस्क का कहना है कि पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकता है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे, तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।

आपको बता दें कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं, प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा।

आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है स्टारशिप स्पेसक्राफ्टः Spcex के इस मिशन का सक्सेसफुल होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है। इसके जरिए 5 दशक बाद चंद्रमा पर मनुष्यों की वापसी होगी। स्टारशिप चंद्रमा पर मिशन के अंतिम चरण को पूरा करेगा। एस्ट्रोनॉट को स्पेसक्राट से लूनर ऑर्बिट तक ले जाएगा और चंद्रमा पर लैंडिंग भी कराएगा।

General Desk

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