संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और बीजेपी ने हरियाणा में संभावित विजेता के रूप में देखे जा रहे कांग्रेस के पंजे से जीत छीन ली और लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के साथ ही सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होने की हैट्रिक बनाने के लिए तैयार है। वहीं केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद हुए चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के बहुमत हासिल करने के साथ ही यहां उसके सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 48 सीटें जीत ली है और सरकार बनाने के लिए आवश्यक जादुई आंकड़े से दो सीट अधिक है। जीत के दावेदार मानी जाने वाली कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गयी जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने दो तथा निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटें जीतीं जबकि भाजपा ने 29 सीटों पर जीत हासिल की। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जेकेपीडीपी) केवल तीन सीटें जीतने में सफल रही। आम आदमी पार्टी (आप) ने डोडा सीट जीतकर यूटी में अपना खाता खोला। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 07 सीटें जीतीं है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कुलगाम से जीत हासिल की, वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने हंदवाड़ा सीट से चुनाव जीता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में अपनी पार्टी की सत्ता में वापसी को विकास और सुशासन की राजनीति की जीत’ करार दिया। जम्मू-कश्मीर के परिणामों के संदर्भ में श्री मोदी ने कहा कि उन्हें भाजपा के प्रदर्शन को गर्व’ है और यहां उच्च मतदान ‘लोकतंत्र में लोगों के विश्वास’ को व्यक्त करता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पार्टी की शानदार जीत का श्रेय श्री मोदी को दिया और कहा कि पार्टी को नेताओं और कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का फल मिला है।
हरियाणा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हुए क्योंकि कांग्रेस हिंदी पट्टी के इस राज्य में भाजपा के 10 साल के शासन के ‘मजबूत सत्ता विरोधी’ रुझान का फायदा उठाने की उम्मीद कर रही थी। मतगणना के शुरुआती दौर में पिछड्ने के बाद भाजपा ने अपनी बढ़त बनायी और फिर बहुमत के करीब पहुंच गयी। बड़े अंतर से पिछड़ने के बाद कांग्रेस ने चुनाव नतीजों को पचाने से इनकार कर दिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नतीजों को पूरी तरह अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक बताते हुए रमेश ने मीडिया के सामने दावा किया कि ईवीएम और मतगणना को लेकर तीन जिलों से गंभीर शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में हमारे लिए नतीजों को स्वीकार करना संभव नहीं है।”
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने जा रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अगले पांच वर्षों के दौरान पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनाव के फैसले का सम्मान करने का वादा किया। उन्होंने कहा, “जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ गई हैं और अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम अगले पांच सालों के लिए अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ फैसले के लिए खुद को सक्षम साबित करें।” डॉ रमेश ने कहा कि गठबंधन सरकार का एक साझा कार्यक्रम होगा और इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करना होगी।
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि हरियाणा में कांग्रेस के प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर में भाजपा के अध्यक्ष को हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान होडल सीट पर 2,595 वोटों के मामूली अंतर से हार गये जबकि भाजपा के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना नौशेरा से 7,819 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) इस बार उसकी गठबंधन सहयोगी बनी लेकिन अपना खाता खोलने में विफल रही।
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