संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से बाहर आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने  दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में केजरीवाल को शुक्रवार, 13 सितंबर को जमानत दे दी। न्यायालय ने केजरीवाल के जमानत के लिए वही शर्तें लगाई हैं, जो ED केस में बेल देते वक्त लगाई गई थीं।

आपको बता दें कि केजरीवाल के खिलाफ 02 जांच एजेंसी (ED और CBI) ने केस दर्ज किया है। ED मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। AAP ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है। शराब नीति केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने उन्हें 21 मार्च को अरेस्ट किया था। बाद में 26 जून को CBI ने उन्हें जेल से हिरासत में लिया था।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुकदमे में श्री  केजरीवाल को एकमत से जमानत तो दे दी, लेकिन अलग-अलग फैसले लिखे।

शीर्ष अदालत ने श्री केजरीवाल को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि के दो जमानतदारों के मुचलके के अलावा और भी कई शर्तें लगाईं।

न्यायमूर्ति कांत ने अपने आदेश में लिखा, “मामला अधीनस्थ अदालत के समक्ष विचाराधीन होने के कारण श्री केजरीवाल सीबीआई मुकदमे की योग्यता पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
न्यायमूर्ति कांत ने लिखा कि (आबकारी नीति विवाद से संबंधित) प्रवर्तन निदेशालय के मामले में समन्वय पीठ द्वारा लगाए गए (जमानत के लिए) नियम और शर्तें, जिनमें यह भी शामिल है कि मुख्यमंत्री अपने कार्यालय नहीं जा सकते और फाइलों पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते, इस मामले में भी लागू होंगी।”
न्यायमूर्ति भुइयां ने लिखा, “हालांकि मुझे उन धाराओं पर गंभीर आपत्ति है, जो अपीलकर्ता को मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में प्रवेश करने से रोकती हैं, साथ ही न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकती हैं, मैं इस स्तर पर अपने विचार व्यक्त करने से परहेज करूंगा, क्योंकि ये शर्तें इस अदालत के दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अलग ईडी मामले में लगाई गई हैं।”
शीर्ष अदालत ने इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय  (ईडी) के मामले में श्री केजरीवाल को 12 जुलाई को सशर्त जमानत दी थी।

दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (जो विवाद के बाद रद्द कर दी गई) में कथित और नियमितताओं के मामले में ईडी ने 21 मार्च और सीबीआई में 26 जून 2024 को  मुख्यमंत्री  को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की गिरफ्तारी के समय श्री केजरीवाला ईडी के मुकदमे में न्यायिक हिरासत में थे।
सीबीआई ने ईडी  के मुकदमे में मार्च से न्यायिक हिरासत में बंद श्री केजरीवाल को विशेष अदालत की अनुमति के बाद 25 जून को पूछताछ की और  26 जून को गिरफ्तार किया था।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा: अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में है। जांच के सिलसिले में उसे दोबारा अरेस्ट करना गलत नहीं है। CBI ने बताया है कि उनकी जांच क्यों जरूरी थी। याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं है। CBI ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। उन्हें जांच की जरूरत थी। इसलिए इस केस में अरेस्टिंग हुई।

जस्टिस उज्जवल भुइयां ने कहा: CBI की गिरफ्तारी जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है। जैसे ही ED केस में उन्हें जमानत मिलती है। CBI एक्टिव हो जाती है। ऐसे में अरेस्टिंग के समय पर सवाल खड़े होते हैं। CBI को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी में मनमानी न हो। जांच एजेंसी को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए।

अरविंद केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया।

आज यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई हो जाती है तो उन्हें जेल गए कुल 177 दिन हो जाएंगे। इनमें से वे 21 दिन अंतरिम जमानत पर रहे। यानी केजरीवाल ने अब तक कुल 156 दिन जेल में बिताए हैं।

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