वॉशिंगटन: मशहूर कार निर्माता कंपनी टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने रविवार को कहा कि मंगल ग्रह पर पहला अनक्रूड स्टारशिप मिशन अगले दो साल में लॉन्च किया जाएगा। आपको बता दें कि स्टारशिप दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। इसका उपयोग इंसानों को चंद्रमा और फिर मंगल ग्रह पर भेजने के लिए किया जाएगा।

एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, ‘मंगल ग्रह पर पहला स्टारशिप दो साल में लॉन्च होगा। मंगल ग्रह पर लैंडिंग की विश्वसनीयता का परीक्षण करने के लिए इन्हें शामिल किया जाएगा। अगर लैंडिंग अच्छी रही, तो मंगल ग्रह पर पहले क्रू की उड़ान उड़ान चार साल में होगी।’

Elon Musk

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The first Starships to Mars will launch in 2 years when the next Earth-Mars transfer window opens. These will be uncrewed to test the reliability of landing intact on Mars. If those landings go well, then the first crewed flights to Mars will be in 4 years. Flight rate will grow exponentially from there, with the goal of building a self-sustaining city in about 20 years. Being multiplanetary will vastly increase the probable lifespan of consciousness, as we will no longer have all our eggs, literally and metabolically, on one planet.

SpaceX created the first fully reusable rocket stage and, much more importantly, made the reuse economically viable. Making life multiplanetary is fundamentally a cost per ton to Mars problem. It currently costs about a billion dollars per ton of useful payload to the surface of Mars. That needs to be improved to $100k/ton to build a self-sustaining city there, so the technology needs to be 10,000 times better. Extremely difficult, but not impossible.

प्रसिद्ध उद्यमी मस्क ने कहा, ‘लगभग 20 वर्षों में एक शहर बनाने का लक्ष्य है, जो खुद की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा। आने वाले वर्षों में किसी ना किसी ग्रह पर मानव जीवन को शुरू करने की तैयारी भी होगी।’ मस्क की एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स ने पहली पूरी तरह से रियूज होने वाली रॉकेट का निर्माण किया है। इससे स्पेश मिशन पर आने वाले खर्चों में काफी कमी आएगी। मस्क ने आगे बताया, ‘मंगल ग्रह पर चुनौतीपूर्ण माहौल है। मानव के लिए स्थितियां उचित नहीं हैं। इसके बावजूद हम आने वाले सालों में ऐसा करने में सक्षम हो सकते हैं, इसके लिए हमें मौजूदा तकनीक को 10 हजार गुना बेहतर करने की जरूरत होगी।’

आपको बता दें कि स्पेसएक्स ने हाल ही में हेवी बूस्टर के साथ अपने 400 फुट ऊंचे स्टारशिप की तीसरी परीक्षण उड़ान शुरू की है। स्टारशिप में एक विशाल बूस्टर होता है, जिसे सुपर हेवी कहा जाता है। इसमें ऊपरी हिस्से में एक अंतरिक्ष यान भी है, जिसे स्टारशिप कहा जाता है। स्पेसएक्स के सीईओ कम से कम दस लाख लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने की योजना बना रहे हैं।

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