संवाददाता: संतोष कुमार दुबे

पलक्कड़ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि महिला सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं होना चाहिए और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाने की जरूरत है।

केरल के पलक्कड़ में आयोजित आरएसएस के तीन दिवसीय समन्वय बैठक के दौरान इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की गई। आरएसएस अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को यहां आरएसएस के 32 प्रेरित संगठनों की समन्वय बैठक के समापन के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चर्चा विशेष रूप से बंगाल में महिला डॉक्टर से जुड़े बलात्कार और हत्या के मामले के संदर्भ में थी। गौरतलब है कि आरएसएस के समन्वय संबंधी परामर्श में राष्ट्रीय अध्यक्ष, आयोजन सचिव और अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी भाग लेते हैं।

उन्होंने कहा कि संगठनों के सभी प्रतिनिधियों की भावना महिलाओं के खिलाफ अपराधों में त्वरित और समयबद्ध न्याय की आवश्यकता है। कानूनी व्यवस्था और सरकार को सतर्क और सक्रिय होना चाहिए, और यदि आवश्यक हो तो कानून को मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “बैठक में कानूनी ढांचे को मजबूत करने, समाज में जागरूकता बढ़ाने, परिवार के स्तर पर मूल्यों को बढ़ावा देने और शिक्षा, आत्मरक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल सामग्री, विशेष रूप से ओटीटी प्लेटफार्मों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।”

उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण है। पिछले साल, महिलाओं को सशक्त बनाने और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से महिला समन्वय, आरएसएस से प्रेरित संगठनों में काम करने वाली महिलाओं ने सभी राज्यों में जिला केंद्रों पर सामूहिक रूप से महिला सम्मेलन आयोजित किए। लगभग 6,00,000 महिलाओं ने 472 सम्मेलनों में भाग लिया। बैठक में इन सम्मेलनों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो राष्ट्रीय जीवन में महिलाओं की उन्नति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

आरएसएस के प्रचार विभाग के प्रमुख ने बताया, “बैठक में अहिल्याबाई त्रिशताब्दी वर्ष समारोह से संबंधित गतिविधियों की भी समीक्षा की गई। वनवासी कल्याण आश्रम इसमें पहल करेगा तथा अन्य सभी संगठन इसमें सहयोग करेंगे।”

उन्होंने जाति-जनगणना एवं आरक्षण पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि आरएसएस ने हमेशा संवैधानिक आरक्षण के प्रावधानों का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जाति जनगणना सहित सभी आंकड़ों का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का कल्याण सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना के मुद्दे का उपयोग केवल चुनावी लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए। बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। इस मुद्दे पर विभिन्न संगठनों ने चिंता व्यक्त की। बैठक में भारत सरकार से इस मुद्दे के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को देखते हुए कूटनीतिक तरीके से इस मामले को आगे बढ़ाने की अपेक्षा भी की गई। गुजरात के कच्छ में सीमा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों तथा तमिलनाडु में धर्मांतरण के प्रयासों पर चिंताओं पर भी चर्चा की गई।

उन्होंने बताया कि आरएसएस शताब्दी समारोह के संबंध में सामाजिक परिवर्तन के लिए पांच सूत्री कार्ययोजना तैयार की गई है। सभी प्रेरित संगठन पंच-परिवर्तन अर्थात सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, जीवन के हर क्षेत्र में स्व-स्वत्व की स्थापना तथा नागरिक कर्तव्यों की शिक्षा से संबंधित कुछ जमीनी गतिविधियां चलाएंगे। इस योजना का उद्देश्य एक सर्व-समावेशी पहल बनना है, जो समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।

उन्होंने कहा कि आरएसएस के साथ-साथ अन्य विविध क्षेत्र संगठन ‘राष्ट्र प्रथम’ को मूल सिद्धांत मानकर काम करते हैं। अगर किसी मुद्दे पर मतभेद हैं, तो उन्हें राष्ट्रीय हित के आधार पर सुलझाया जाएगा।

मणिपुर मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आरएसएस के सरसंघचालक पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं। संगठन का रुख यह है कि सरकारी तंत्र को हिंसा पर नियंत्रण रखना चाहिए तथा शांति बहाल करनी चाहिए। हम इस संबंध में हुई प्रगति पर नजर रख रहे हैं तथा उम्मीद है कि जल्द ही स्थायी शांति स्थापित होगी।

उ्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों सहित कई लोगों की शिकायतें मिली हैं। ऐसे में कानून की समीक्षा करने में कोई बुराई नहीं है। एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा इस मुद्दे पर विचार करना स्वागत योग्य कदम है और विभिन्न संगठन इस संबंध में अपना प्रतिनिधित्व दे सकते हैं।

संवाददाता सम्मेलन के दौरान उत्तर केरल प्रांत संघचालक एडवोकेट केके बलराम, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी और नरेंद्र कुमार  मौजूद थे। पलक्कड़ के अहलिया परिसर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय आरएसएस समन्वय बैठक का समापन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के समापन भाषण के साथ हुआ।

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