संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः बीजेपी के 09 उम्मीदवार राज्यसभा की 12 सीटों पर हुए उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, जबकि उसके सहयोगी दलों के दो सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए। कांग्रेस को एक सीट निर्विरोध मिली है। इसके बाद अब NDA के राज्यसभा में 112 मेंबर्स हो गए हैं।

राजस्थान से बीजेपी के रवनीत सिंह बिट्टू, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्यप्रदेश से जॉर्ज कुरियन, बिहार से मनन कुमार मिश्रा बिना विरोध के जीत गए हैं। वहीं, असम में बीजेपी उम्मीदवार रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास को विजेता घोषित किया गया है। महाराष्ट्र से धैर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता और त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्जी विजेता घोषित किए गए हैं।

महाराष्ट्र से NCP (अजित पवार गुट) के नितिन पाटिल निर्वाचित हुए और महाराष्ट्र की एक सीट पर 3 सितंबर को राज्यसभा उपचुनाव होना है।राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाह बिहार से निर्विरोध जीते हैं। वहीं, तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए। इससे राज्यसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या 85 हो गई।

आपको बता दें कि राज्यसभा में 245 सीटें हैं, हालांकि वर्तमान में आठ सीटें चार जम्मू-कश्मीर से और चार मनोनीत की सीटें खाली हैं। सदन की मौजूदा सदस्य संख्या 237 के साथ बहुमत का आंकड़ा 119 है। आज की 11 सीटों की जीत के साथ NDA 112 सीटों तक पहुंच गया है। NDA को छह नामांकित और एक निर्दलीय सदस्य का भी समर्थन प्राप्त है। यानी NDA को राज्यसभा में बहुमत मिल गया है।

बिहार से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और भाजपा के मनन कुमार मिश्रा राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए हैं। मंगलवार को राज्यसभा उपचुनाव के लिए नाम वापस लेने की अंतिम तारीख थी। इन दोनों के अलावा किसी ने भी नामांकन नहीं किया। इसलिए नाम वापसी का समय समाप्त होने के बाद उन्हें जीत का सर्टिफिकेट विधानसभा सचिव की ओर से दे दिया गया।

राज्यसभा में उपेंद्र कुशवाहा का 02 साल, जबकि मनन मिश्रा का 04 साल कार्यकाल रहेगा। राजद नेत्री मीसा भारती और बीजेपी नेता विवेक ठाकुर का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ये दोनों सीटें खाली हुईं थी। अब राज्यसभा में बिहार से एनडीए का 10 सीटों पर कब्जा हो गया है। अभी बिहार में राज्यसभा की 16 सीटें हैं।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और मनन कुमार मिश्रा राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और मनन कुमार मिश्रा राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए हैं।

केंद्रीय मंत्री और एमपी से बीजेपी के राज्यसभा प्रत्याशी जॉर्ज कुरियन निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। बीजेपी के डमी प्रत्याशी कांतदेव सिंह के नाम वापसी के बाद कुरियन को निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र रिटर्निंग अधिकारी और विधानसभा के प्रमुख सचिव अरविंद शर्मा ने सौंपा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा इस मौके पर मौजूद रहे। पूरी खबर पढ़ें …

केंद्रीय मंत्री जार्ज कुरियन ने 21 अगस्त को नामांकन जमा किया था। 27 अगस्त को निर्विरोध चुने गए और सीएम के साथ जीत का प्रमाणपत्र लिया। केंद्रीय मंत्री जार्ज कुरियन ने 21 अगस्त को नामांकन जमा किया था। 27 अगस्त को निर्विरोध चुने गए और सीएम के साथ जीत का प्रमाणपत्र लिया।
हरियाणा से किरण चौधरी: हरियाणा में भाजपा की राज्यसभा उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध सांसद चुन ली गई हैं। मंगलवार को उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र दिया।

बीजेपी ने 20 अगस्त को उन्हें उम्मीदवार घोषित किया था। 21 अगस्त को उन्होंने CM नायब सैनी की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों की ओर से कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया, इस कारण से किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा जाने का रास्ता बन गया।

किरण चौधरी को राज्यसभा सीट का प्रमाण पत्र देते रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार। उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और CM नायब सैनी भी मौजूद रहे।

किरण चौधरी को राज्यसभा सीट का प्रमाण पत्र देते रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार। उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और CM नायब सैनी भी मौजूद रहे।

राजस्थान से रवनीत बिट्टू: केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू राज्यसभा सांसद बन गए हैं। मंगलवार को राज्यसभा उपचुनाव के नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख थी। इसके बाद परिणाम घोषित कर दिए गए। रवनीत सिंह के खिलाफ मैदान में कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। पूरी खबर पढ़ें

आपको बता दें कि राज्यसभा की कुल 20 खाली सीट में से जम्मू-कश्मीर से 04 और नामित सदस्यों की 04 सीटें हैं। 10 सीटें राज्यसभा सांसदों के लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के कारण खाली हुई हैं। एक सीट भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के. केशव राव के कांग्रेस में जाने से खाली हुई है। दूसरी सीट ओडिशा से BJD सांसद ममता मोहंता के इस्तीफे के बाद खाली हुई। उन्होंने 31 जुलाई को पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गईं।

स्पष्ट बहुमत होने का फायदा और नुकसान क्या हैः भारतीय लोकतंत्र में राज्यसभा का चुनाव इस तरह से होता है कि लोकसभा और राज्यसभा में किसी एक दल को एक समय पर स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल होता है। अगर किसी बड़े दल के पास स्पष्ट बहुमत होता है तो इसका फायदा यह है कि छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों या निर्दलीय सांसदों की अपने समर्थन के बदले अनुचित मांगों को लेकर सरकार से मोलभाव करने की स्थिति खत्म हो जाती है।

इसका नकारात्मक पहलू भी है। जब किसी एक दल के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों पर बहुमत हो तो संसदीय कामकाज में आम सहमति बनाने की स्थिति कम हो जाती है। बड़ी पार्टी अपने मन से फैसला लेती है। वह छोटे और दूसरे दलों से सलाह नहीं लेती है। यह लोकतंत्र के लिए सेहतमंद स्थिति नहीं है।

आपको बता दें कि 1989 तक कांग्रेस पार्टी के पास राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत हुआ करता था। इस समय अधिकांश राज्यों में कांग्रेस की सरकार होती थी। 1989 से लेकर आज तक सभी सरकारों को राज्यसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों पारित कराने में छोटे-छोटे दलों को साधना पड़ा है या विपक्षी दलों के साथ मिलकर आम सहमति बनानी पड़ी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here