संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः बाग्लादेस में हिंदुओ और अन्य अल्फसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित नारी शक्ति फोरम ने मौन रैली निकाली। यह रही राष्ट्रीय राजधानी के मंडी हाउस से शुरू हुई और जंतर-मंतर पर समाप्त हुई।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के दौरान और उसके बाद हिंदू, बौद्ध ईसाई तथा वहाँ रहने वाले अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो भारत सहित पूरे विश्व के लिए भी चिंता का विषय है। सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं है। बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों के नरसंहार को रोकना ही होगा।

बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या, लूटपाट, आगज़नी, महिलाओं के साथ जघन्य अपराध तथा मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ की घटनाओं को रोकने के लिए भारत सहित पूरे विश्व की ओर से प्रयास हो, इसके लिए नारी शक्ति फोरम द्वारा शुक्रवार दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मौन विरोध प्रदर्शन नारी शक्ति मार्च के रूप किया गया।

इस मार्च में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में कार्यरत एवं सक्रिय महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसमें बड़ी संख्या में प्रोफेसर, अध्यापिकाएं, डॉक्टर, महिला अधिवक्ता, बैंककर्मी, इंजीनियर, नर्स, गृहणी, उद्योगकर्मी, रिटायर्ड आईपीएस, आईएफएस और आईएएस महिला अधिकारी शामिल थीं। इस रैली में शामिल महिलाओं ने बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार बने हिंदू, बौद्ध इत्यादि समुदायों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने तथा उनके साथ हो रही हिंसा का विरोध करने के लिए अपने मुख पर काली पट्टी बांध रखी थी।

नारी शक्ति फोरम की संयोजिका मोनिका अरोड़ा, पदमश्री से सम्मानित जानी-मानी कथक नृत्यांगना उमा शर्मा, बांग्लादेश में भारत की राजनियक रहीं सीमा सीकरी तथा जेएनयू की प्रोफेसर ज्योति राज और कई अन्य प्रबुद्ध महिलाओं ने मंडी हाउस तथा जंतर मंतर पर इस प्रदर्शन को संबोधित किया।
जंतर मंतर पर मार्च को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने याद दिलाया कि आज 16 अगस्त है। आज ही के दिन 16 अगस्त 1946 को द्विराष्ट्र सिद्धांत पर भारत को तोड़ते हुए अलग देश पाकिस्तान की मांग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे की शुरूआत की थी, जिसमें हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। वर्तमान में बांग्लादेश में फिर वहीं दोहराया जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदूओं के संपत्तियों को छिना जा रहा है, लूटा जा रहा है, बच्चियों का अपहरण करके उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किए जा रहे है। कट्टरपंथी जमातों के जिस तरह से हिंदूओं पर हमले बढ़ रहे है उससे वहां रहने वाले लाखों हिंदू परिवार दिन-रात खौफ में जी रहे है।

वक्ताओं का कहना था कि हर मुद्दे पर अपनी राय रखने वाले भारत के राजनेता, बॉलीवुड के अभिनेता और तथाकथित धर्म निरपेक्ष सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदूओं एवं अन्य अल्पसंख्यक के खिलाफ हो रही हिंसा पर चुप्पी साध रखी है। उनके लिए हिन्दुओं का मानवाधिकार कोई मायने नहीं रखता है। यह सोच मानवता के लिए चिंतनीय है।

भारत की जनता बांग्लादेश में प्रताड़ना झेल रहे हिन्दुओं अन्य अल्पसंख्यकों के साथ है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मांग है कि वह तुरंत सख़्ती से ऐसी घटनाओं पर रोक लगाये और पीड़ितों के जान, माल व सम्मान की रक्षा तथा सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करे।  बाद में इस संबध में नारी शक्ति फोरम द्वारा महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को एक ज्ञापन भी सौपा गया।

ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति को बताया बताया गया कि बांग्लादेश में हिंदू एवं अन्य अल्पसंख्यक समाज के अस्तित्व पर संकट आ गया हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने एवं बांग्लादेश के साथ गहरे सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों के कारण भारत इन असहायों की रक्षा हेतु निर्णायक कार्रवाई करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है। हमें विश्वास है कि आपका सम्मानित कार्यालय इस गंभीर मानवीय संकट को दूर करने के लिए तेजी से कार्रवाई करेगा।

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