संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बुधवार को कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास के विकृत करने का काम किया गया, लेकिन भारतीय जनमानस के हृदय में रचे-बसे छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास को कोई नहीं हटा पाया।
उन्होने छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य पर लिखी चार हिंदी तथा चार अंग्रेजी पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर कहा कि इतिहास से सिखने और उससे नागरिकों को प्रेरणा मिले इसके लिए दुनिया सभी देश कार्य करते हैं। इजरायल ब्रिटेन में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने अपने देश में लेकर अपने इतिहास, कला और संस्कृति के बारे में जानकारी देता है, भले उन विद्यार्थियों ब्रिटेन की नागरिकता ले रखी है। फ्रांस और चीन भी इस तरह के कार्य करता है, लेकिन भारतीय इतिहास को विकृत करने का कार्य किया गया। पहले अंग्रेजों ने और उसके बाद भी भारत के गौरवशाली इतिहास के विकृत करने का काम किया गया, भारतीय जनमानस के हृदय में रचे-बसे छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास को कोई नहीं हटा पाया। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति देश के लिए जीना चाहिए और जरूरत पड़े तो देश के लिए मरना चाहिए, अगर इस तरह की प्रेरणा उत्पन्न करता है, तो वह चीरंजीवी है। इस नाते शिवाजी महाराज चीरंजीवी हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदवीं स्वराज और राष्ट्रप्रेम के लिए अपने को समर्पित करने वाले छत्रपति शिवाजी हमेशा भारत वर्ष के हृदय में बसे रहेंगे। उन्होंने कहा, “शिवाजी महाराज ने अपने कार्यों से राष्ट्र में स्वप्रेम की भावना का विकास किया और अपने काल खंड में ही मुगलों को पछाड़ कर हिंदवी स्वराज की स्थापना की। शिवाजी अपने जीवित काल खंड में ही लीजेंड बन चुके थे, जो उनकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी मराठा गौरव की बात नहीं की, बल्कि हमेशा हिंदवी स्वराज की बात को आगे बढ़ाया। उन्होंने जो मार्ग दिखाया था, उसके कारण ही अटक से कटक तक मराठों ने भगवा ध्वज लहराकर भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने का काम किया।”
इस अवसर पर मुख्य अतिथि तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ शासक थे। वह भारत के भाग्य विधाता थे। अगर छत्रपति शिवाजी जैसे महायोद्धा का कालखंड भारत में न होता को भारतीय संस्कृति की पताका इतनी प्रगाढ़ न होती।
उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने हमारे भीतर राष्ट्रीय दायित्वों के बोध को पैदा किया। उस दायित्व बोध का हमें हमेशा पालन करना चाहिए। उन्होंने मुगल साम्राज्य को जिस सैन्य कुशलता और रणनीति से मात दी, वह हमारे लिए आज भी प्रेरणा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यही कारण हैं कि छत्रपति शिवाजी की कुशल रणनीति और चरित्र पर आज भी शोध हो रहे हैं। उनकी शासन प्रणाली में जनहित सर्वोच्च प्राथमिकता थी। उन्होंने सदैव धर्म और संस्कृति को सम्मान दिया, यहीं कारण हैं कि वह हिंदवी स्वराज की अवधारणा करने में सफल रहे। यही भारत की एकता और अखंड़ता को प्रदर्शित करती हैं।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि शिवाजी के इतिहास को विकृत करने का कार्य किया गया और हम सभी की ये जिम्मेदारी बनती है कि शिवाजी के बारे में सही जानकारी लोगों को मुहैया कराएं।
हिंदवी स्वराज स्थापना महोत्सव आयोजन समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुल आठ पुस्तकों का विमोचन हुआ, जिसमें . पहली पुस्तक ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के लेखक डॉ. केदार फालके, दूसरी पुस्तक ‘स्वराज संरक्षण का संघर्ष’ को पांडुरंग बलकवडे, सुधीर थोरात एवं मोहन शेटे जी ने लिखा है. तीसरी पुस्तक ‘अठारहवीं शताब्दी का हिंदवी साम्राज्य’ के लेखक पांडुरंग बलकवडे एवं सुधीर थोरात जी है। चौथी पुस्तक ‘छत्रपति शिवाजी न होते तो …’ को गजानन मेहेंदले ने लिखा है.
वहीं, पांचवी पुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज (अंग्रेजी अनुवाद), छठी पुस्तक में द फाइट फॉर डिफेंडिंग द स्वराज (अंग्रेजी अनुवाद), सातवीं पुस्तक मराठ एम्पायर (हिंदवी स्वराज्य) ड्यूरिंग द एटिंथ सेंचुरी (अंग्रेजी अनुवाद) और आठवीं पुस्तक छत्रपति शिवाजी : सेवियर ऑफ हिंदू इंडिया (अंग्रेजी अनुवाद) लिखा गया है। ये आठों पुस्तकें छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य से जुड़े अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
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