स्पोर्ट डेस्कः खेलों के महाकुंभ यानी ओलंपिक गेम्स में 2020 भारत के लिए सबसे अच्छा साल रहा था। भारत ने टोक्यो ओलंपिक, 2020 में कुल सात पदक जीते थे। यह ओलंपिक के इतिहास में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इस साल नीरज चोपड़ा ने 13 साल बाद ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीता था।
आज पेरिस ओलंपिक 2024 का आगाज होगा। इस वैश्विक टूर्नामेंट में भारत के 117 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। आपको बता दें कि इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में भारत ने सर्वश्रेष्ठ करते हुए सात पदक जीते थे। इस बार भारतीय खिलाड़ियों का लक्ष्य पदकों की संख्या को दोहरे अंक में पहुंचाना होगा।
पहली बार ओलंपिक में खेलेंगे 70 भारतीय खिलाड़ीः इस वर्ष भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने 117 खिलाड़ियों का दल पेरिस भेजा है। इसमें से 70 खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक में खेलेंगे। 47 भारतीय खिलाड़ी ऐसे हैं, जो एक या उससे अधिक बार ओलंपिक में भाग ले चुके हैं। पेरिस ओलंपिक में एक बार फिर से नीरज चोपड़ा, मीराबाई चानू, लवलीना और पीवी सिंधू से पदक की उम्मीद है।
भारत ने अब तक कुल 35 पदक जीते हैः ओलंपिक में भारत ने अब तक कुल 35 पदक जीते हैं। इनमें 10 स्वर्ण, नौ रजत और 16 कांस्य पदक शामिल हैं। 2020 टोक्यो ओलंपिक भारत का अब तक का सबसे ओलंपिक रहा था, जिसमें भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक समेत कुल सात पदक हासिल किए थे। इस बार भारतीय एथलीट अपने देश को दोहरे अंकों में पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
टोक्यो ओलंपिक, 2020 में भारत ने कुल सात पदक जीते थे। ओलंपिक के इतिहास में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। नीरज चोपड़ा ने 13 साल बाद ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीता था। इससे पहले 2008 में अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता था। अभिनव के बाद नीरज दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। उनसे पेरिस में भी ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद है। वहीं, टोक्यो में भारत ने दो रजत और चार कांस्य पदक भी जीते थे।
खिलाड़ियों को चाहे विदेश में अभ्यास करवाना हो या उन्हें सर्वश्रेष्ठ सुविधा उपलब्ध करानी हो, किसी भी तरह से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है और अब परिणाम देना खिलाड़ियों का काम है। लेकिन इस हकीकत से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि टोक्यो ओलंपिक के सात पदकों की संख्या की बराबरी करना भी आसान नहीं होगा। भाला फेंक में मौजूदा ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा को छोड़कर कोई भी अन्य खिलाड़ी पदक का प्रबल दावेदार नहीं है। अन्य खेलों में भी कमोबेश यही स्थिति है और इस तरह से देखा जाए तो भारत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पदार्पण करने वाले खिलाड़ियों पर होगी।
भारतीय दल में हालांकि कुछ अनुभवी खिलाड़ी भी शामिल हैं जिन्हें अपना खेल का स्तर बढ़ाना होगा। इन खिलाड़ियों में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू, टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना, टेबल टेनिस के दिग्गज शरत कमल और हॉकी गोलकीपर पीआर श्रीजेश भी शामिल हैं जो निश्चित तौर पर अपना अंतिम ओलंपिक खेल रहे हैं। हॉकी टीम की ओलंपिक खेलों से पहले फॉर्म बहुत अच्छी नहीं रही जबकि मुक्केबाजों और पहलवानों को प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा करने का कम मौका मिला। निशानेबाजों ने भी ओलंपिक से पहले मिश्रित परिणाम हासिल किए।
ट्रैक और फील्ड एथलीटों, विशेषकर अविनाश साबले ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अपने वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में उनका प्रदर्शन उन्हें पदक के दावेदारों में शामिल करने के लिए पर्याप्त नहीं लगता है। स्टीपलचेजर साबले लगातार अपने ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड को बेहतर कर रहे हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8:09.94 है, लेकिन सात अंतरराष्ट्रीय धावक हैं जिन्होंने उनसे बेहतर समय निकाला है। ऐसे में उनका फाइनल में पहुंचना भी बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।
पहलवानों की नहीं हो सकी तैयारी
कुश्ती में भारत ने पिछले चार ओलंपिक खेलों में पदक जीता है लेकिन इस बार भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण खिलाड़ियों की तैयारी अनुकूल नहीं रही हैं। इसके बावजूद अंशु मलिक, अंतिम पंघाल और अमन सहरावत को भारत का सबसे अच्छा दावेदार माना जा रहा है। अंडर-23 विश्व चैंपियन रीतिका हुड्डा भी छुपी रुस्तम साबित हो सकती है।
पेरिस ओलंपिक में अन्य खेलों में तीरंदाजी और टेबल टेनिस के खिलाड़ियों ने अपनी रैंकिंग के आधार पर खेलों में जगह बनाई है। तीरंदाजी में भारत लगातार ओलंपिक खेलों में भाग ले रहा है लेकिन उसे अभी अपने पहले पदक का इंतजार है। पिछले ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारोत्तोलक मीराबाई चानू पिछले कुछ समय से चोट और खराब फॉर्म से जूझ रही हैं। मुक्केबाजी में निकहत जरीन और निशांत देव से उम्मीद की जा सकती है।