दिल्ली: मोदी सरकार-3 का पहला बजट मंगलवार पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में रोजगार को बढ़ावा देने, आयकर में छूट देने के साथ ही बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का विशेष ध्यान रखा है। इसके अलावा, युवाओं और महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम भी पेश किया गया है। तो चलिए जानते हैं कि केंद्रीय बजट में किसे फायदा हुआ और किनको नुकसानः
बजट में किसको फायदाः
युवा: मोदी सरकार की नई नीतियों में भारत के युवाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पहली बार नौकरी पाने वाले सभी नए लोगों को एक महीने का वेतन देने की योजना शामिल है। बजट में युवा कौशल कार्यक्रमों के साथ-साथ युवा भारतीयों के लिए शीर्ष 500 कंपनियों में एक इंटर्नशिप प्रोग्राम की भी घोषणा की गई।
मोदी सरकार के सहयोगी: बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार – बीजेपी के सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्य – बजट में फोकस में रहे। सरकार ने बहुपक्षीय एजेंसियों के माध्यम से आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ का पैकेज, वहीं बिहार के लिए 58,900 करोड़ रुपए के अलग-अलग पैकेज का ऐलान हुआ। इसमें बिहार में सड़कों, हवाई अड्डों, मेडिकल कॉलेजों के निर्माण और पर्यटन स्थलों को बेहतर बनाने का जिक्र है।
स्टार्टअप: सरकार द्वारा ‘एंजेल टैक्स’ को समाप्त करने के बाद भारत के स्टार्ट-अप क्षेत्र को लाभ होगा।
मध्यम वर्ग: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आयकर प्रावधानों में कुछ बदलावों की घोषणा करते हुए मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को राहत दी। मानक कटौती को 50 प्रतिशत बढ़ाकर 75,000 रुपये करने और नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव बजट में रखा गया। वित्त मंत्री की इन घोषणाओं को नौकरीपेशा लोगों के हाथ में कुछ और पैसा देने की कोशिश माना जा रहा है।
आभूषण: भारत सरकार ने सोना और चांदी जैसी कीमती धातुओं पर सीमा शुल्क कम करने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें सोने के लिए शुल्क घटाकर 6% कर दिया गया है। टाइटन और कल्याण ज्वैलर्स जैसी कंपनियों के शेयरों में घोषणा के बाद तेजी आई।
किसको हुआ नुकसानः शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर बढ़ा टैक्स: सरकार ने इस बजट में शेयर बाजार से होने वाली आमदनी पर टैक्स का रेट बढ़ा दिया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर पहले 10% की दर से टैक्स लगता था। अब इसे बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। इसी तरह शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर अभी तक 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता था। अब इसे बढ़ा कर 20 फीसदी कर दिया गया है।
इलेक्ट्रिक वाहन: सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कोई नीति की घोषणा नहीं की।