दिल्लीः नाम- सूरज पाल उर्फ ‘नारायण साकार हरि’ उर्फ ‘भोले बाबा’, जन्मस्थान- उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव, काम ग्रामीण इलाकों में लोगों को उपदेश देना, पहनावा- महंगे चश्मे, सफेद शूट-बूट, टाई और कुर्ता-पायजामा, पेशा- अध्यात्म ज्ञान देना।

साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह है। बाबा उत्तर प्रदेश में कासगंज के पटयाली के रहने वाला हैं। पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगा। नौकरी छोड़ने के बाद सूरज पाल नाम बदलकर साकार हरि बन गया। अनुयायी उन्हें भोले बाबा कहते हैं। कहा जाता है कि गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच में इनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। कुछ समय में लाखों की संख्या में अनुयायियों बन गए। उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में इनके अनुयायी फैले हैं।

एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में बाबा गहरी पैठ है…बाबा खुद जाटव है। मुस्लिम भी उलके अनुयायी हैं। उसके यूट्यूब चैनल के 31 हजार सब्सक्राइबर हैं।

बाबा के सत्संग में उनके अनुयायी राज्य के पश्चिमी और मध्य भागों  के साथ कई पड़ोसी राज्यों से भी आते हैं, और उनके कार्यक्रमों में प्रमुख राजनीतिक नेता भी देखे गए हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक यह  1990 के दशक तक उत्तर प्रदेश पुलिस में स्थानीय खुफिया इकाई में कांस्टेबल था। जब इसने अध्यात्म की ओर रुख किया, तो एक नया नाम अपनाया और पवित्र जीवन जीने के बारे में सार्वजनिक उपदेश देना शुरू किया। उन्होंने खुद को नारायण साकार हरि का शिष्य बताया और अपने अनुयायियों से अपने भीतर सर्वशक्तिमान को खोजने के लिए कहा।

आमतौर एक-दूसरे से मिलने पर हम लोग नमस्ते, राम-राम करते हैं, लेकिन  भोले बाबा के समर्थक नमस्ते की जगह ‘परमपिता परमेश्वर की संपूर्ण ब्रहमांड में सदा सदा के लिए जयजयकार हो जयजयकार हो’ कहते हैं।

समागम में बांटा जाता है पानी: भोले बाबा के सत्संग में अनुयायियों को पानी बांटा जाता है। अनुयायियों का मानना है कि यह पानी पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।

बाबा ने अपने गांव बहादुरनगर में नारायण साकार हरि नाम से आश्रम बना रखा है, जो 30 एकड़ में फैला हुआ है। यहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है। वे कारों के काफिले के साथ चलते हैं और उनके पास निजी सुरक्षाकर्मी भी हैं। वे मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में उनके काफी समर्थक हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि आश्रम में कोई मूर्ति नहीं है।

60 की उम्र के आसपास, वह आमतौर पर सफेद कोट और पतलून पहनता है, और रंगीन धूप का चश्मा पहनता है। उनके अनुयायी, जिनमें से ज़्यादातर महिलाएँ है, आमतौर पर गुलाबी कपड़े पहनते हैं और इसे “भोले बाबा” के रूप में पूजते हैं। उनकी पत्नी, जो अक्सर सभाओं के दौरान मौजूद रहती हैं, उन्हें “माताश्री” कहकर संबोधित किया जाता है।

उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले बाबा इटावा में भी पोस्टेड रहा है। जानकारी के मुताबिक नौकरी के दौरान बाबा रेप का आरोप लगा था। मुकदमा लिखे जाने के बाद सूरज पाल को पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया था। बताया जाता है कि जेल से छूटने के बाद वह अपना नाम और पहचान बदलकर बाबा बन गया था।

2014 में, उन्होंने अपना ठिकाना बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में स्थानांतरित कर लिया, और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया। हालांकि, यहां हर महीने के पहले मंगलवार को होने वाले सभा का आयोजन जारी रखा। सूत्रों ने बताया कि बाबा के ठिकाना बदलने के बावजूद आश्रम में हर दिन 12,000 तक लोग आते हैं।

स्थानीय मीडिया सूत्रों ने बताया कि आश्रम में कुप्रबंधन आम बात थी। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, “इसके बारे में लिखा गया था, लेकिन प्रशासन ने आश्रम के प्रति नरम रुख दिखाया। कोविड लॉकडाउन के दौरान भी उनके अनुयायियों को आश्रम में पूजा करने की अनुमति दी गई थी।”

बाबा की राजनीतिक संबद्धता के बारे में चर्चाएं होती रहती हैं। बीजेपी समर्थकों ने हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर दावा किया था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2023 में श्री पाल के साथ मंच साझा किया था। वहीं. समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने बीजेपी से जुड़े लोगों पर दलितों को अंबेडकरवादी आंदोलन से दूर रखने के लिए श्री पाल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा का बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में डंका बजता था। बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते रहे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं।

बाबा के सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी हैं, जो बाबा की सुरक्षा में तैनात रहने के साथ सत्संग स्थल पर व्यवसथाएं संभालते हैं। स्वयंसेवक गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म में सत्संग स्थल से लेकर शहर की सड़कों पर तैनात रहते हैं। आगरा में कोठी मीना बाजार मैदान, सेवला के पास शक्ति नगर मैदान, आवास विकास कॉलोनी, दयालबाग, बाह और शास्त्रीपुरम के पास सुनारी में नारायण साकार हरि का सत्संग हो चुका है।

 

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