Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष बने, पहली बार संभालेंगे संवैधानिक पद, राजीव-सोनिया के बाद इस नेता प्रतिपक्ष बनने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य - Prakhar Prahari
Subscribe for notification

राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष बने, पहली बार संभालेंगे संवैधानिक पद, राजीव-सोनिया के बाद इस नेता प्रतिपक्ष बनने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य

संवाददाता: संतोष कुमार दुबे

दिल्ली: उत्तर प्रदेश में रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। कांग्रेस ने मंगलवार (25 जून) को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद इसकी घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि माहताब को इस संदर्भ में पत्र लिखा।

आपको बता दें कि राहुल गांधी अपने 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालेंगे। वे इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य होंगे। इससे पहले उनके पिता और पूर्व पीएम राजीव गांधी 1989-90 और मां सोनिया 1999 से 2004 तक इस पद पर रह चुकी हैं।

पर्याप्त संख्या बल नहीं होने की वजह से लोकसभा में 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था। 2014 और 2019 में किसी विपक्षी दल के पास इसके लिए जरूरी न्यूनतम 10% सदस्य नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा पेश करने के लिए किसी भी पार्टी को कुल 543 में से 55 सदस्यों का आंकड़ा पार करना होता है।

2024 के चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है। भाजपा की 240 और NDA की 293 सीटों के मुकाबले इंडिया गठबंधन 232 सीटें जीतने में कामयाब रही। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीती थीं। 2014 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।

राहुल को मिलेंगी कई शक्तियां और अधिकार: नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल को कई शक्तियां और अधिकार मिल जाएंगे। वे प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे।

इसके अलावा राहुल लोकपाल, ED-CBI डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, NHRC प्रमुख को चुनने वाले समितियों के भी सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री इन समितियों के अध्यक्ष होते हैं। ऐसा पहली बार ऐसा होगा, जब इन पदों पर नियुक्ति के फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी से सहमति लेनी होगी।

राहुल भारत सरकार के खर्चों की जांच (ऑडिटिंग) करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी होंगे। वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा भी करेंगे। राहुल दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं।

नेता प्रतिपक्ष को सरकारी बंगला, 3 लाख वेतन सहित कई सुविधाएं: संसद में विपक्षी नेता अधिनियम 1977 के तहत, नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के समान होता है। इस पद पर रहने वाले नेता को केंद्रीय मंत्री के समान वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल को कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी बंगला और सचिवालय में एक दफ्तर मिलेगा। उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपए मिलेंगे। बतौर सांसद, राहुल को हर महीने 01 लाख रुपए वेतन और 45 हजार रुपए भत्ता मिलता है। राहुल को कैबिनेट मंत्री के समान उच्च स्तर की सुरक्षा मिलेगी। इसके अलावा उन्हें मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी।

आपको बता दें कि 04 जून को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट घोषित होने के चार दिन बाद 8 जून को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता नियुक्त किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा डिजाइन की और उसका नेतृत्व किया। ये दोनों यात्राएं देश की राजनीति में ऐतिहासिक मोड़ थीं। इससे कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं और करोड़ों वोटर्स में आशा और विश्वास पैदा हुईं।

राहुल गांधी ने शुरुआत में यह पद लेने से इनकार किया था, लेकिन मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी के समझाने पर वे नेता विपक्ष बनने के लिए मान गए।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2004 और 2014 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA की सरकार में भी राहुल को कैबिनेट पद लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था। हालांकि, तब भी उन्होंने मना कर दिया था।राहुल गांधी 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बने और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। राहुल की अध्यक्षा में कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में केवल 52 सीटें जीत सकी थी।

General Desk

Recent Posts

एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना अब होगा आतंकवाद, जानें किस जुर्म के लिए कौन-सी धारा?

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे प्रखर प्रहरी दिल्लीः आज एक जुलाई है और आज से देश में नए आपराधिक कानून लागू…

17 hours ago

सात साल के लिए हो जाएगी छुट्टी, बस खरीद लीजिए यह दमदार स्मार्टफोन

दिल्लीः यदि आप एक नया स्मार्टफोन खरीदने की सोच रहे हैं, तो गूगल पिक्सल 8 सीरीज का स्मार्टफोन आपके लिए…

18 hours ago

अब गर्मी-सर्दी की झंझट के मिलेगी निजात, परिस्थिति के अनुकूल वातावरण को बदल देता है एसीसी

दिल्लीः मौजूदा समय में भागम वाली जिंदगी में कार चलाते समय आराम और सुविधा बेहद जरूरी हो गए हैं। ऐसे…

19 hours ago

कहीं गामोफोबिया तो नहीं, जिसके कारण शादी से डरते हैं कुछ लोग, इसी के चलते सलमान खान ने नहीं की शादी

दिल्लीः डर सबको लगता है। दुनिया में ऐसा कोई नहीं है, जिसे डर नहीं लगता है, लेकिन जरा सोचिए क्या…

20 hours ago

लेबर कमिश्नर के पास पहुंचा टाटा के एयर इंडिया एक्सप्रेस का मामला, जानें कर्मचारी संघ ने लगाया है कैन सा आरोप

बिजनेस डेस्कः प्रखर प्रहरी दिल्ली: एयर इंडिया एक्सप्रेस (Air India Express) के चालक दल के सदस्यों के संगठन ने एयरलाइन…

1 day ago

धर्मेंद्र प्रधान का विवादित बयान, ओडिशा के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों की तुलना भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा से की

भुवनेश्वरः केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल प्रधान ने ओडिशा…

1 day ago