संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से कई तीखे सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर नीट परीक्षा में 0.001 फीसदी भी लापरवाही हुई है. तो उससे निपटा जाना चाहिए।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एनटीए और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। मेडिकल की इस परीक्षा के लिए छात्र-छात्राओं की मेहनत पर बात करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस याचिका को विरोधात्मक भाव से नहीं देखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने मेडिकल स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए पांच मई को आयोजित की गई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) 2024 में अनियमितता के आरोप लगाने वाली एक और याचिका मंगलवार को सुनवाई की। पीठ ने सुनवाई के दौरान कथित तौर पर परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र सार्वजनिक होने और परीक्षा की तैयारियों में अन्य अनियमितताओं के कारण नीट यूजी 2024 को रद्द करने की मांग वाली इस याचिका पर केंद्र और एनटीए को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा। पीठ इस मामले में अगली सुनवाई अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ 08 जुलाई को करेगी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि हम इन परीक्षाओं की तैयारियों में बच्चों की मेहनत से अवगत हैं। कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि इस सिस्टम से धोखाधड़ी कर के कोई व्यक्ति डॉक्टर बन जाए। ऐसा शख्स समाज के लिए नुकसानदेह है। बेंच ने कहा कि परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए आपको मजबूती से खड़ा होना होगा। अगर कोई गलती हुई है तो उसे माना जाना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या कार्रवाई की जा रही है। इससे आपके प्रदर्शन पर आत्मविश्वास पैदा होता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकारियों की तरफ से समय पर कदम उठाने पर जोर देते हुए कहा कि इन याचिकाओं पर अन्य लंबित याचिकाओं के साथ आठ जुलाई को सुनवाई होगी। इनमें वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें परीक्षा को नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा कि एनटीए और केंद्र इन नई याचिकाओं पर भी दो सप्ताह के अंदर अपने जवाब दाखिल करें।
इस बीच जब कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रख रहे एक अधिवक्ता ने परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न से संबंधित मुद्दा उठाया तो बेंच ने कहा कि एनटीए और केंद्र इस पर जवाब देंगे। कोर्ट ने कहा, ‘‘पहले हम आपकी दलीलों का मकसद समझ लें। इन मामलों में हम शाम तक बैठने को तैयार हैं।’’
बेंच ने सरकार और NTA से यह भी कहा कि कल्पना कीजिए कि सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, वह समाज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है। इससे पहले 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की टिप्पणी कर ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) की परीक्षा रद्द की थी।
उस समय कोर्ट का कहना था, ‘एक भी फर्जी डॉक्टर बनता है तो पूरी परीक्षा रद्द होनी चाहिए। इस बात के सबूत हैं कि परीक्षा में इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन कितने स्टूडेंट्स ने इसका इस्तेमाल किया, ये नहीं कहा जा सकता। ऐसे में परीक्षा रद्द करना जरूरी है।’
04 याचिकाओं को 08 जुलाई को सुनवाई: जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवी भट्टी की वैकेशन बेंच ने इस मामले से जुड़ी 04 याचिकाओं को 08 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया गया है। वकीलों से भी उसी दिन सभी मामलों पर बहस करने के निर्देश दिए हैं। 4 जून को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने NEET का रिजल्ट घोषित किया था। पहली बार ऐसा हुआ है जब 67 कैंडिडेट को 720 में से 720 नंबर मिले हैं।
कोर्ट रूम लाइव…
- जस्टिस नाथ (वकील से) : आप सभी मामलों पर 8 को बहस करें।
- याचिकाकर्ता के वकील : मैं केवल यह अपील कर रहा हूं कि जांच कहां तक पहुंची उसका स्टेटस बताया जाए।
- जस्टिस नाथ : सभी पार्टीज को मामले से जोड़ा जाए, इसे 8 जुलाई को लिस्ट करें। NTA और सरकार भी 2 हफ्ते में जवाब देगी।
- जस्टिस भट्टी : अगर किसी से भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। स्पष्ट रूप से हम प्रतिक्रिया करते हैं, लेकिन छुट्टियों में यह थोड़ा स्लो प्रोसेस होता है।
- याचिकाकर्ता : उन्हें जांच को रिकॉर्ड पर रखना चाहिए।
- जस्टिस भट्टी : अगली सुनवाई में आप सारे खुलासे कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में 04 याचिकाओं पर अब तक क्या हुआः
- पहली: स्टूडेंट शिवांगी मिश्रा और 9 अन्य छात्रों ने रिजल्ट की घोषणा से पहले 1 जून को दायर की। काउंसलिंग पर रोक लगाने के साथ परीक्षा रद्द कर जांच की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
- दूसरी: पिटिशनर हितेश सिंह कश्यप ने दायर की। गुजरात के गोधरा में जय जल राम परीक्षा सेंटर को चुनने के लिए कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड आदि राज्यों में 26 छात्रों ने 10-10 लाख रुपए घूस दी थी। याचिका में पेपर लीक की CBI जांच की मांग की गई है। सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
- तीसरी: फिजिक्सवाला के को फाउंडर अलख पांडेय ने 1563 स्टूडेंट को ग्रेस मार्क्स दिए जाने के खिलाफ याचिका लगाई। 13 जून को सुनवाई हुई। NTA ने कहा- 1563 स्टूडेंट्स के ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए जाएंगे। सभी स्टूडेंट्स के रिजल्ट बिना ग्रेस मार्क्स के जारी किए जाएंगे। ये फिर से एग्जाम दे सकते हैं।
- चौथी: 20 स्टूडेंट्स ने परीक्षा को रद्द करने और फिर से एग्जाम कराने की अपील की। साथ ही इस मामले की जांच CBI या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग की।
NEET UG क्या हैः NEET UG यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट, अंडरग्रेजुएट एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है। NEET परीक्षा मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में एडमिशन के लिए आयोजित की जाती है जो स्टूडेंट्स की गिनती के लिहाज से देश की सबसे बड़ी परीक्षा है।
इसके जरिए भारत और रूस, यूक्रेन समेत कुछ अन्य देशों में MBBS, BDS और अन्य मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन मिलता है। NEET UG को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA द्वारा आयोजित किया जाता है।
क्या है पूरा मामलाः NEET की इन्फॉर्मेशन बुलेटिन में ग्रेस मार्किंग का जिक्र नहीं है। NTA ने भी रिजल्ट जारी करते वक्त इसकी जानकारी नहीं दी थी। रिजल्ट आने के बाद कैंडिडेट्स ने सवाल उठाए, तब NTA ने बताया कि ‘लॉस ऑफ टाइम’ की वजह से कुछ बच्चों को ग्रेस मार्क दिए गए हैं। ग्रेस मार्क किस फॉर्मूले के तहत दिए गए, इस बारे में NTA ने कुछ नहीं बताया।
1563 कैंडिडेट्स की 23 जून को दोबारा परीक्षा हालांकि विवाद कोर्ट तक पहुंचने के बाद NTA ने 13 जून को सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 कैंडिडेट के स्कोर कार्ड निरस्त होंगे। 23 जून को दोबारा एग्जाम कराया जाएगा। 30 जून को रिजल्ट आएगा। जो स्टूडेंट एग्जाम न देना चाहें, उसके मार्क्स से ग्रेस मार्क्स माइनस करने के बाद फाइनल स्कोर कार्ड जारी किया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें
आपको बता दें कि केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 13 जून को पेपर लीक के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसका कोई सबूत नहीं है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘NTA पर भ्रष्टाचार के आरोप निराधार हैं। यह एक बहुत ही विश्वसनीय संस्था है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और हम उसके निर्णय का पालन करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी छात्र को नुकसान न हो।’