कन्याकुमारीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे का ध्यान शुरू हो चुका है। वे 01 जून तक ध्यानमग्न रहेंगे। आपको बता दें कि पीएम मोदी उसी जगह ध्यान साधना कर रहे हैं, जहां 1892 में स्वामी विवेकानंद ने ध्यान किया था।
प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा चुनाव प्रचार का शोर थमते ही गुरुवार (30 मई) की शाम कन्याकुमारी पहुंच गए। यहां उन्होंने सबसे पहले भगवती देवी अम्मन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने सफेद मुंडु (दक्षिण भारत में लुंगी की तरह पहना जाने वाला परिधान) पहना था और शॉल ओढ़े थे। पुजारियों ने उन्हें विशेष आरती कराई और प्रसाद, शॉल और देवी भगवती अम्मन की फ्रेम में मढ़ी हुई तस्वीर दी।
मोदी केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के हेलिकॉप्टर से यहां सरकारी गेस्ट हाउस के अंदर बनाये गये हेलीपैड पर पहुंचे। यहां पर थोड़ी देर आराम करने के बाद वह समुद्र तट पर देवी कन्याकुमारी को समर्पित “108 शक्तिपीठों” में से एक ऐतिहासिक श्री भगवती अम्मन मंदिर गये और पूजा-अर्चना की।
मंदिर के पुजारियों ने प्रधानमंत्री “पूर्ण कुंभ” सम्मान के साथ पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। भगवान की विशेष पूजा की गयी। पारंपरिक “वेष्टि” (धोती) और अंगवस्त्रम पहने प्रधानमंत्री ने पीठासीन देवता की पूजा करने के बाद गर्भगृह की परिक्रमा की। मंदिर प्रशासन की ओर से श्री मोदी को देवी भगवती अम्मन का चित्र भेंट किया गया।
इसके बाद वे एक विशेष नाव में सवार होकर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे। यहां से वे ध्यान मंडपम तक उसी फेरी से पहुंचे, जिसमें सामान्य लोग जाते हैं। प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किय़े गए हैं। पूरे कन्याकुमारी में 2 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा सिक्योरिटी के लिए तमिलनाडु पुलिस का कोस्टल सिक्योरिटी ग्रुप, कोस्ट गार्ड और नेवी भी तैनात है।
मोदी के कन्याकुमारी दौरे को लेकर एक संगठन थंगथाई पेरियार द्रविड़र कड़गम ने मदुरै में प्रधानमंत्री के विरोध में काले झंडे दिखाए। इसी संगठन ने X पर #गोबैकमोदी (मोदी वापस जाओ) पोस्ट किया।
प्रधानमंत्री मोदी उसी शिला पर ध्यान लगाने जा रहे हैं, जहां 1892 में स्वामी विवेकानंद ने तप किया था। आपको बता दें कि चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री की ध्यान यात्रा करने पर चुनावी कानून के तहत कोई रोक नहीं है। कांग्रेस ने 29 मई को आरोप लगाया था कि पीएम की ध्यान यात्रा आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि मोदी के ध्यान को मीडिया में प्रसारित नहीं होने दिया जाए।
जानकार सूत्रों ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का हवाला दिया। इसमें मौन अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकों या जनता के बीच चुनावी प्रचार और प्रदर्शन पर रोक का उल्लेख है। मतदान समाप्ति से 48 घंटे पहले मौन अवधि शुरू हो जाती है।
लोकसभा चुनाव में आखिरी फेज के लिए मौन अवधि गुरुवार (30 मई) शाम 6 बजे शुरू हुई। इस फेज में मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भी वोटिंग होगी। जानकारों के मुताबिक, इस कानून में वह क्षेत्र ही आता है, जहां वोटिंग होना है। चुनाव आयोग ने इसी तरह की अनुमति 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम को दी थी।
भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक जहाजों को तटरेखा के करीब जल में चौबीसों घंटे गश्त के लिए तैनात किया गया है। पुलिस कड़ी निगरानी रख रही है। सुरक्षा उपायों के तहत कन्याकुमारी तट पर मछुआरों को तीन दिनों तक मछली पकड़ने की गतिविधियों से रोक दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने समुद्र के बीच चट्टान पर तीन दिन और रात ध्यान किया था, जब तक कि उन्हें “ज्ञान” प्राप्त नहीं हो गयी थी। स्वामी विवेकानंद के सम्मान में 1970 में बनाया गया यह स्मारक हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
गौरतलब है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने 1892 में ध्यान किया था। रॉक मेमोरियल स्मारक का निर्माण स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देने के लिये किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने देश भर में भ्रमण करने के बाद यहां तीन दिनों तक ध्यान किया था और विकसित भारत का स्वप्न देखा था।
मोदी की कन्याकुमारी यात्रा से पहले इस प्रतिष्ठित स्थान से जुड़ी उनकी 33 साल पुरानी तस्वीरें गुरुवार को सोशल मीडिया पर सामने वायरल हुयीं और चर्चा का विषय बन गयीं।प्राप्त जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें 11 दिसंबर 1991 में आयोजित एकता यात्रा की हैं। यह यात्रा कन्याकुमारी में प्रतिष्ठित विवेकानंद रॉक मेमोरियल से शुरू हुई थी और कश्मीर में समाप्त हुई थी। वायरल तस्वीरों में मोदी और पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी समेत सभी ‘एकता यात्रियों’ को स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि एकता यात्रा दिसंबर 1991 में कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हुई थी। एकता यात्रा का नेतृत्व जोशी ने किया था। मोदी ने इस यात्रा के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस यात्रा का लक्ष्य दुनिया को यह संदेश देना था कि भारत आतंकवादी ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा और एकजुट रहेगा। देश के 14 राज्यों से गुजरी यह यात्रा लोगों के दिलों में गहराई से उतरी और राष्ट्रीय एकता के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया।
मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद इसी तरह की आध्यात्मिक यात्रा की थी। उस समय वह उत्तराखंड पहुंचे थे और केदारनाथ मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान लगाया था।
इससे पहले 2014 में चुनाव प्रचार समाप्त करने के बाद श्री मोदी महाराष्ट्र के सतारा जिले के प्रतापगढ़, दुर्ग गये और भगवान शिव के मंदिर में ध्यान लगाया था।
उधर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल जा रहे हैं और दो दिनों के लिए ध्यानमग्न रहेंगे। राहुल गांधी ने यहीं से 7 सितंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी। मुझे यकीन है कि वह (मोदी) इस बात पर ध्यान दे रहे होंगे कि सेवानिवृत्ति के बाद जीवन कैसा होगा।’ सातवें और आखिरी चरण का चुनाव प्रचार थम चुका है। एक जून को वोटिंग होगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी के ध्यान को अगर टीवी पर दिखाया गया तो वे इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगी। वहीं, कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर पीएम वहां प्रायश्चित करने जा रहे हैं, तो अच्छा है क्योंकि जिस इंसान को विवेक का अर्थ ही नहीं पता, वह क्या ध्यान लगाएगा।