नरेन्द्र कुमार वर्मा
दिल्लीः जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत में बहुत ज्यादा तवज्जों न मिलने से वह बौखला उठे। ट्रूडो की बौखलाहट का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता हैं कि स्वदेश वापस लौटने के लिए जब उनका सरकारी विमान खराब हो गया तो वह दो दिन होटल में ही ठहरे रहे। इस दौरान भारत सरकार का कोई शीर्ष अधिकारी उनसे मिलने नहीं पहुंचा। वैसे भी जी-20 में भारत के नए स्वरूप को देखकर जस्टिन ट्रूडो की आंखे फटी की फटी रह गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे मुलाकात के वक्त खालिस्तान समर्थकों को आश्रय देने के मुद्दे पर कड़े शब्दों में एतराज जताया था। दिल्ली में संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से दोटूक शब्दों में कहा था कि उनकी सरकार खालिस्तान समर्थकों को आश्रय देना बंद करें।
भारत सरकार के कड़े रुख को देखते हुए जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार को भरोसा दिया था कि उनके देश से भारत विरोधी किसी भी गतिविधि को संचालित नहीं होने दिया जाएगा। मगर भारत से वापस कनाडा लौटने के बाद जस्टिन ट्रूडो ने भारत के शीर्ष राजनियक को निष्कासित करते हुए आरोप लगाया कि कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार ही भूमिका है। 18 जून को कनाडा के वैंकूवर शहर के उपनगर सर्रे के एक गुरुव्दारे के बाहर भारत के मोस्ट वॉंडेट खालिस्तानी समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। माना जा रहा था कि निज्जर को आपसी गैंगवार में मार डाला गया।
कनाडा में सरकार की नाक के नीचे बीते एक दशक से भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। खालिस्तान समर्थक वहां बार-बार प्रदर्शन करते हैं और भारत विरोधी नारेबाजी और बयानबाजी करते है। भारत के राजनियक के निष्कासन को भारत के विदेश मंत्रालय ने बेहद सख्ती से लिया है। विदेश मंत्रालय का कहना हैं कि कनाडा में किसी भी तरह की हिंसा में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाना बेहद हास्यास्पद और राजनीति से प्रेरित है, भारत सरकार इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज करती हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबध्द हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार बार-बार खालिस्तान समर्थकों के प्रति सहानुभूति रखने के बारे में कनाडा सरकार को अपनी चिंता से अवगत कराती रही हैं।
साल 2018 में भी भारत सरकार ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत दौरे के वक्त उन्हें वांछित लोगों की लंबी सूची सौंपी थी। सूची में शामिल अधिकांश लोग कनाडा में रहकर भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हैं। भारत सरकार ने कनाडा के ब्रैंपटन शहर में गौरी शंकर मंदिर की दीवारों पर भारत सरकार विरोधी नारे लिखने पर भी कनाडा से सख्त एतराज जताया था। कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक रहते है जिसमें से सिखों की संख्या भी अच्छी खासी है। मगर वहां रहने वाले अधिकांश सिख खालिस्तान के समर्थक नहीं हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जस्टिन ट्रूडो से कहा था कि भारत की संप्रभुता के खिलाफ कोई भी काम उन्हें स्वीकार्य नहीं है। पिछले काफी दिनों से कूटनीतिक स्तर पर भारत और कनाडा के रिश्तों में खासी तल्खी देखी जा रही थी। निज्जर सहित अनेक खालिस्तान समर्थकों को कनाडा व्दारा पनाह देने से भारत नाखुश है। भारत सरकार के कई अहम व्यापारिक समझौतो को कनाडा के साथ रद्द कर रखा है। फिलहाल भारतीय विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कनाडा के साथ व्दिपक्षीय व्यापारिक और कूटनीतिक समझौतों का उनके ऊपर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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