मास्को: रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ बगावत करने वाली वैगर की ग्रुप प्राइवेट सैन्य कंपनी (पीएमसी) के प्रमुख येवगेनी वी प्रिगोजिन ने अपने लड़ाकों को वापस लौटने का आदेश दिया है। अब पीएमसी अपने कैंपों की ओर लौट रही है। इसके साथ ही रूस में गृहयुद्ध और तख्तापलट का खतरा टल गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रिगोजिन भी रूस छोड़कर बेलारूस जाएंगे।
रूसी मीडिया आरटी (RT) की रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्राइवेट आर्मी रोस्तोव शहर पर कब्जे के बाद मास्को शहर की ओर बढ़ी थी।
वहीं अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट आर्मी के पीछे हटने में बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको का अहम रोल रहा है। लुकाशेंको ने शनिवार देर रात कहा कि मैंने वैगनर प्रिगोजिन और रूस के बीच समझौता कराया है। इसके बाद वैगनर ग्रुप ने अपने सैनिकों को पीछे हटने को कहा है, ताकि खून खराबा रोका जा सके। अब चलिए आपको बताते हैं कि वैगन ग्रुप विद्रोह क्यों कर रहा था…
बेलारूस ने क्या डील कराई: क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री एस पेसकोव ने बताया कि प्रिगोजिन के खिलाफ चल रहे सभी क्रिमिनल केस बंद कर दिए जाएंगे। ग्रुप के जो लड़ाके हैं, उन पर भी कार्रवाई नहीं होगी। प्रिगोजिन को रूस छोड़कर बेलारूस जाना पड़ेगा।
वैगनर के लड़ाके जो विद्रोह में शामिल नहीं हुए थे, वे रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करना होगा। एक जुलाई से सभी लड़ाके डिफेंस मिनिस्ट्री के तहत काम करेंगे।
रोस्तोव की सड़कें फिर खुलीं:
क्या है वैगनर ग्रुप…
वैगनर ग्रुप सैनिकों का एक निजी संगठन है। 2014 से पहले यह गुप्त संगठन था, जो ज्यादातर यूक्रेन, अफ्रीका और मध्य पूर्व में सक्रिय था। इसमें ज्यादातर रूस की एलीट रेजिमेंट और स्पेशल फोर्सेज के दिग्गज हैं। ग्रुप में 50 हजार से ज्यादा सैनिक हैं।
इसकी शुरुआत रूसी सेना के पूर्व अधिकारी दिमित्री उत्किन ने की थी। उसने चेचन्या के युद्ध में रहे उनके रेडियो कॉल साइन पर ग्रुप का नाम रखा था। वैगनर ग्रुप ने 2014 में अपने पहले अभियान में क्रीमिया पर कब्जा करने में रूस की मदद की थी।
पिछले साल 30 अक्टूबर को UK के रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में प्रिगोजिन के हवाले से दावा किया गया था कि रूस की प्राइवेट आर्मी में एड्स और हेपेटाइटिस-C के मरीजों की भर्ती की जा रही है। यूरोपीय अखबार यूक्रेइंस्का प्रावदा की रिपोर्ट में 100 से ज्यादा एड्स और हेपेटाइटिस बीमारी से पीड़ित कैदियों के प्राइवेट आर्मी में भर्ती होने की बात कही गई थी।
द डेली बीस्ट ने भी अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में कहा था कि रूस में रेप के दोषी, समलैंगिक और संक्रामक रोगों से पीड़ित कैदियों को जबरन मोर्चे पर लड़ने के लिए भेजा जा रहा है।
किन-किन देशों में है वैगनर जैसी प्राइवेट मिलिट्री कंपनियां या कांट्रेक्टर: पीएलसी वो निजी सैन्य संस्थाएं होती है जो किसी देश, संगठन या व्यक्ति काे गोपनीय तरीके से सुरक्षा या अन्य सेवाएं प्रदान करती है। इस समय लगभग 50 ऐसी कंपनियां हैं। सबसे ज्यादा अमेरिका में लगभग 15 पीएलसी है। दूसरे नंबर पर ब्रिटेन में 6 और रूस में 5 पीएलसी हैं।
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारत विकास परिषद का 31वां राष्ट्रीय अधिवेशन पंजाब के…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः दिल्ली प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के पूर्व…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्ली : दिल्ली प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अनुराग सिंह ठाकुर ने…
दिल्लीः उत्तरी भारत में सर्दी का सितम जारी है। कड़ाके की ठंड ने लोगों का घरों से निकलना मुश्किल कर…
कुवैत सिटीः दो दिवसीय कुवैत दौरे पर यहां आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रविवार को कुवैत के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर…