दिल्ली:  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहदरा जिला स्थित शंकर नगर के आर.ए.  गीता स्कूल में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संघ शिक्षा वर्ग के प्रथम वर्ष के प्रशिक्षण शिविर का समापन हो गया। समापन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस के उत्तर क्षेत्र के संघचालक प्रोफेसर सीताराम व्यास ने अपने विचार रखे। वहीं इस मौके पर प्रसिद्ध पत्रकार एवं टीवी एंकर ऋषा अनिरुध्द  मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं।

इस अवसर पर प्रोफेसर सीताराम व्यास ने कहा कि संघ के दिल्ली प्रांत द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने वाले स्वयं सेवक राष्ट्र एवं समाज की उन्नति के लिए हमेश तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज देश आजादी की 75 वीं वर्षगाठ मना रहा है। देश को आजादी दिलाने वाले क्रांतिवीरों लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, लाला लाजपत राय और सरदार पटेल जैसे लोगों ने अपना संपूर्ण जीवन देकर इस राष्ट्र को स्वतंत्र कराया। उन्होंने कहा कि देश को वैभवशाली और उन्नति की और ले जाने का दायित्व केवल राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की ही नहीं है बल्कि देश की उन्नति और संपन्नता के लिए प्रत्येक नागरिक को व्यवहारिक रूप से काम करना होगा।

प्रोफेसर व्यास ने कहा कि दुनिया के बहुत से देश हमारे बाद स्वतंत्र हुए और वे आज हमारे से अधिक संपन्न और शक्तिशाली हैं। द्वितीय विश्व युध्द में अणुबम के हमले से बिखरने वाला जापान आज दुनिया का अव्वल राष्ट्र बना हुआ है। इसका कारण है जापान के नागरिकों का राष्ट्रीय चरित्र जो उनके व्यक्तिगत चरित्र से बहुत ऊपर है। इसी तरह द्वितीय विश्व युध्द के बाद दो राष्ट्रों में विभाजित होने वाला जर्मनी आज दुनिया का शक्तिशाली देश बना हुआ है। इसी तरह से हम देखते हैं कि इजराइल आज अपने नागरिकों के समर्पित राष्ट्रभाव के कारण सारी दुनिया को उन्नति का रास्ता दिखा रहा है। इन राष्ट्रों की उन्नति और वैभव के पीछे वहां के नागरिकों की राष्ट्रभक्ति की भावना और उनका राष्ट्रीय चरित्र प्रमुख कारण है।

हमारे देश के नागरिकों का राष्ट्रीय चरित्र भी राष्ट्र सर्वप्रथम की भावना वाला होना चाहिए। परम पूजनीय डॉक्टर हेडगेवार जी ने इसी विचार के साथ संघ का कार्य आरंभ किया था। संघ का मूल मंत्र ही व्यक्ति निर्माण के व्दारा राष्ट्र निर्माण है। इसी राष्ट्र सर्वप्रथम की भावना के साथ संघ 98 वर्षों से निरतंर समाज में कार्य कर रहा है। प्रोफेसर सीताराम व्यास ने संघ के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है। उसके अनेक संगठन समाज, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षा, सेवा, धर्म, श्रमिक और पर्यावरण के क्षेत्रों में सेवा का कार्य कर रहे हैं। संघ का मूल चरित्र व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण और समाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण के लिए संघ की शाखा एक संस्कार केंद्र की तरह कार्य करती है। संघ के स्वयं सेवक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा के कार्यों को करते हैं। सेवा भारती समाज के अभावग्रस्त बंधुओं के बीच काम करने वाला संगठन हैं। भारतीय मजदूर संघ देश श्रमिकों के कल्याण के लिए काम करने वाला संगठन हैं। संघ का मानना हैं कि समाज का प्रत्येक अंग उन्नति करें क्योंकि समाज की उन्नति में ही राष्ट्र की उन्नति निहित है।

हिंदू समाज को विघटन करने वालों की साजिश को उजागर करते हुए प्रोफेसर व्यास ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद समाज के कुछ निहित स्वार्थी संगठनों ने योजनाबध्द और सुनियोजित तरीके से हिंदू समाज में जातिवाद का बीज बोने का काम किया। ऐसे संगठनों ने हिंदू समाज के विघटन का भी प्रयास किया। दुर्भाग्य की बात यह हैं कि हिंदू समाज के महापुरुषों को भी जातियों में विभाजित करने का कुचक्र चलाया गया। ब्राह्मणों को भगवान परशुराम, वैश्यों को महाराजा अग्रसेन, राजपूतों को महाराणा प्रताप, जैन समाज को महावीर स्वामी और भगवान बाल्मीकि को बाल्मीकि समाज के दायरे में रखने का प्रयास किया गया। जबकि इन सभी महापूरुषों मे सनातन हिंदू समाज की उन्नति और उसकी विराटता के लिए हमेशा काम किया।

प्रोफेसर व्यास ने समाज में फैली अनेक सामाजिक बुराईयों को हिंदू समाज की उन्नति के लिए अवरोधक बताया। उन्होंने कहा कि आज लव जिहाद, महिलाओं पर अत्याचार, लीव-इन-रिलेशनशिप, समलैंगिक संबंध जैसी सामाजिक बुराइयां हिंदू समाज के लिए घातक साबित हो रही है। हमें इन्हें मिलकर दूर करना होगा। संघ के उत्तरी क्षेत्र संघचालक ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू समाज के बीच जो संस्कार खत्म होते जा रहे थे उन्हें संघ परिवार प्रबोधन के माध्यम से पुनः स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से जुड़े संस्कार और परंपराओं में हमारे पूर्वजो की प्रबल आस्था रही है। हमारे परिवार पुनः संस्कार का केंद्र बने संघ इस कार्य को करने में जुटा है। समाज के वंचित एवं उपेक्षित वर्ग के बीच विधर्मियों व्दारा चलाए जा रहे धर्मांतरण को उन्होंने विधर्मियों का षडयंत्र बताया। उन्होंने कहा कि आज धर्मांतरण रोकने के लिए भी संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। समाज का वंचित और वनवासी वर्ग बड़ी संख्या में आज संघ के साथ खड़ा है।

देश में बिगड़ते पर्यावरण पर अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर  व्यास ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की हमारी परंपरा सनातन काल से हिंदू धर्म का हिस्सा रही है। हमारे पूर्वज वृक्ष और नदियों के उपासक थे। इसलिए आज राष्ट्र की धरती, जल एवं वायु की शुध्दता के लिए संघ समाज के बंधुओं के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।

संघ के निस्वार्थ भाव से काम करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर व्यास ने कहा कि संघ कोई भी काम अपना नाम इतिहास में दर्ज कराने के लिए नहीं करता, बल्कि संघ के करोड़ो स्वयं सेवक राष्ट्र एवं समाज की उन्नति के लिए संघ की प्रेरणा से काम करते हैं। प्रोफेसर व्यास ने हिंदू समाज का आव्हान करते हुए कहा कि अगर समस्त हिंदू समाज संगठित हो गया तो फिर राष्ट्र को वैभवशाली बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करने और समाज की उन्नति के लिए संघ निरतंर कार्य करता रहेगा।

आरएसएस के दिल्ली प्रांत इकाई की ओर से आयोजित इस संघ शिक्षा वर्ग के प्रथम वर्ष में 18 से 40 वर्ष की आयु 250 से अधिक स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ग के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता व्दारा प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया गया। समापन कार्यक्रम में वर्गाधिकारी श्री रमेश अग्रवाल एवं दिल्ली प्रांत के संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा जी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में स्वयं सेवकों के व्यायाम एवं भव्य पथसंचलन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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