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Today History 18 May: 14 साल पहला हुआ था एलटीटीई का खात्मा, इसी के आत्मघाती हमला ने ली थी राजीव गांधी की जान - Prakhar Prahari
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Today History 18 May: 14 साल पहला हुआ था एलटीटीई का खात्मा, इसी के आत्मघाती हमला ने ली थी राजीव गांधी की जान

दिल्लीः आज के दिन यानी 18 मई को वैसे तो कई महत्वपूर्ण देश और दुनिया में घटित हुई हैं, लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण घटना एलटीटीई का अंत और भारत का पहला परमाणु परीक्षण शामिल है। 1991 में भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी देशभर में चुनावी रैलियां कर रहे थे। इसी कड़ी में वो तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर पहुंचे। यहां उनकी रैली चल रही थी और एक महिला उन्हें हार पहनाने के लिए आगे बढ़ी। राजीव के सुरक्षाकर्मियों ने महिला को रोका, लेकिन राजीव ने खुद ही कहा कि उन्हें मत रोको, आने दो। वह महिला आगे बढ़ी, राजीव को हार पहनाया और उनके पांव छूने के लिए झुकी। इसी के साथ एक जोरदार धमाका हुआ। धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई। राजीव की मौत की जिम्मेदारी श्रीलंका के आतंकी संगठन LTTE ने ली।

आपको बता दें कि श्रीलंका का ये अलगाववादी संगठन तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग के साथ बना था। इस संगठन का नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन था। 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। संगठन धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाता गया। इस दौरान इस संगठन ने कई बार श्रीलंकाई नेताओं को अपना निशाना बनाया।

इस संगठन को 80 के दशक के बाद कई अन्य देशों से भी सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ने लगी। 1985 में श्रीलंका सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की गई जो नाकाम रही। श्रीलंका में गृहयुद्ध जैसे हालात हो गए। 1987 में LTTE लड़ाकों से मुकाबले के लिए भारत ने भी अपनी सेना भेजी। भारत के इस कदम से LTTE भारत के खिलाफ हो गया और उसने बदला लेने की ठानी। राजीव गांधी की हत्या के साथ LTTE का बदला पूरा हुआ।

आज के ही दिन यानी 18 मई 2009 को LTTE चीफ प्रभाकरन की मौत के साथ ही श्रीलंका सरकार ने LTTE के खात्मे की घोषणा की थी। इसके साथ ही 3 दशक तक श्रीलंका में आतंक की वजह रहे LTTE का खात्मा हो गया।
वहीं आज का दिन यानी 18 मई भारत के इतिहास का गौरवशाली दिन है। 1974 में आज के दिन भारत ने दुनिया के तमाम देशों को चकित कर दिया था। राजस्थान के पोखरण में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। इस ऑपरेशन का नाम रखा गया था- स्माइलिंग बुद्धा।

भारत से पहले केवल 5 देशों ने ही परमाणु परीक्षण किया था। ये सभी देश संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य थे। इस ऑपरेशन को बुद्ध जैसे शांतिप्रिय व्यक्तित्व का नाम देने की 2 वजहें थीं। एक तो उस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी, दूसरा भारत दुनिया को बताना चाहता था कि ये परीक्षण शांति के उद्देश्य से किया गया है।

1400 किलो वजनी न्यूक्लियर डिवाइस को आर्मी के बेस कैंप लाया गया। 18 मई 1974 को सुबह करीब 8 बजे विस्फोट किया गया। विस्फोट इतना तेज था कि जमीन में 45 से 75 मीटर गहरा गड्ढा हो गया था। आसपास के 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र में भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए थे।

इस पूरे प्रोजेक्ट की नींव सालों पहले रखी जा चुकी थी। प्रोजेक्ट का जिम्मा भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के तत्कालीन अध्यक्ष राजा रमन्ना को दिया गया। उनके साथ मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम भी थे। करीब 75 वैज्ञानिकों की टीम कई सालों से लगातार प्रोजेक्ट पर लगी हुई थी। आखिरकार भारत का ये टेस्ट सफल हुआ। भारत की इस सफलता से बौखलाए अमेरिका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन सब चुनौतियों को न सिर्फ नजरअंदाज किया बल्कि टेस्‍ट के बाद पोखरण जाकर टेस्ट साइट का दौरा भी किया।

1998 में 11 और 13 मई को भारत ने फिर से इसी जगह पर 5 और परमाणु परीक्षण किए। इसे पोखरण-2 नाम दिया गया। इसकी जिम्मेदारी अब्दुल कलाम के हाथों में थी। इस परीक्षण के सफल होने के बाद एक बार फिर भारत को तमाम तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।

एलटीटीई का खात्मा हुआ: बात 1991 की है। भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी देशभर में चुनावी रैलियां कर रहे थे। इसी कड़ी में वो तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर पहुंचे। यहां उनकी रैली चल रही थी और एक महिला उन्हें हार पहनाने के लिए आगे बढ़ी। राजीव के सुरक्षाकर्मियों ने महिला को रोका, लेकिन राजीव ने खुद ही कहा कि उन्हें मत रोको, आने दो। वो महिला आगे बढ़ी, राजीव को हार पहनाया और उनके पांव छूने के लिए झुकी। इसी के साथ एक जोरदार धमाका हुआ। धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई। राजीव की मौत की जिम्मेदारी श्रीलंका के आतंकी संगठन LTTE ने ली।

श्रीलंका का ये अलगाववादी संगठन तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग के साथ बना था। इस संगठन का नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन था। 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। संगठन धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाता गया। इस दौरान इस संगठन ने कई बार श्रीलंंकाई नेताओं को अपना निशाना बनाया।

80 के दशक के बाद संगठन को अन्य देशों से भी सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ने लगी। 1985 में श्रीलंका सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की गई जो नाकाम रही। श्रीलंका में गृहयुद्ध जैसे हालात हो गए। 1987 में LTTE लड़ाकों से मुकाबले के लिए भारत ने भी अपनी सेना भेजी। भारत के इस कदम से LTTE भारत के खिलाफ हो गया और उसने बदला लेने की ठानी। राजीव गांधी की हत्या के साथ LTTE का बदला पूरा हुआ।

2009 में आज ही के दिन LTTE चीफ प्रभाकरन की मौत के साथ ही श्रीलंका सरकार ने LTTE के खात्मे की घोषणा की थी। इसके साथ ही 3 दशक तक श्रीलंका में आतंक की वजह रहे LTTE का खात्मा हो गया।

हेलेन शर्मन ब्रिटेन की पहली अंतरिक्ष यात्री बनीं: आज ही के दिन 27 वर्षीय हेलेन शर्मन ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। इसी के साथ हेलेन ब्रिटेन की पहली अंतरिक्ष यात्री बन गईं। हेलेन ने लंदन के बर्कबेक कॉलेज से केमिस्ट्री की पढ़ाई की थी। इसके बाद वे एक चॉकलेट फैक्ट्री में फूड केमिस्ट का काम करने लगीं।

एक दिन काम के बाद वो घर जा रही थीं, तभी रेडियो पर उन्होंने एक एडवर्टाइजमेंट सुना “एस्ट्रोनॉट चाहिए, कोई अनुभव जरूरी नहीं।” हेलेन ने अपनी एप्लिकेशन भेजी और 13 हजार लोगों में से वे चुनी गईं। हेलेन को अपनी यात्रा से पहले 18 महीने के कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा। इनमें शारीरिक, मानसिक और भाषाई स्तर पर उनकी तैयारियां शामिल थीं।

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आज ही के दिन उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। इस मिशन के दौरान हेलेन ने स्पेस स्टेशन में मेडिकल और एग्रीकल्चर टेस्ट किए। 7 दिन, 21 घंटे और 13 मिनट अंतरिक्ष में बिताकर हेलेन 26 मई को धरती पर लौट आईं। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 18 मई को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

1703: डच और अंग्रेज सैनिकों ने जर्मनी के कोलोन शहर पर कब्जा किया।
1756: ब्रिटेन ने फ्रांस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
1769: ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के बुनकरों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए।
1794: ट्रेकोइंग की लड़ाई : फ्रांसीसी सैनिकों ने ब्रिटेन की सेना को हराया।
1804: नेपोलियन बोनापार्ट को फ्रांस का सम्राट घोषित किया गया।
1848: जर्मनी में पहली नेशनल असेंबली का उद्घाटन हुआ।
1860: अब्राहम लिंकन को रिपब्लिकन पार्टी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया।
1912: पहली भारतीय फीचर लेंथ फिल्‍म श्री पुंडा‍लिक रिलीज हुई।
1914: भारतीय रिजर्व बैंक के 10 वें गवर्नर एस. जगन्नाथन का जन्म हुआ।
1922: डेनमार्क के प्रसिद्ध संगीतकार काई वाइंडिंग का जन्म हुआ।
1933: भारत के 12 वें प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का जन्म हुआ।
1940: जर्मनी की सेना ने ब्रसेल्स पर कब्जा किया।
1950: अमेरिका और यूरोप की रक्षा के लिए 12 नाटो सदस्य देशों ने स्थायी संगठन बनाने पर सहमति जताई।
1966: प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी पंचानन महेश्वरी का निधन हुआ।
1974: राजस्थान के पोख़रण में पहले भूमिगत परमाणु बम परीक्षण के साथ भारत विश्व में छठा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना। इस परीक्षण कार्यक्रम को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम दिया गया था।
1991: ब्रिटेन की पहली अंतरिक्ष यात्री हेलेन शर्मन ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। 27 वर्षीय हेलेन सोवियत सोयुज़ नाम के अंतरिक्ष कैप्सुल में बैठकर कज़ाख़स्तान से रवाना हुई।
1994: गाजा पट्टी क्षेत्र से अन्तिम इजराइली सैनिक टुकड़ी हटाए जाने के साथ ही क्षेत्र पर फिलिस्तीनी स्वायत्तशासी शासन लागू हुआ।
2004: इजरायल के राफा विस्थापित कैम्प में इजरायली सैनिकों ने 19 फिलीस्तीनियों को मौत के घाट उतारा।
2006: नेपाल नरेश को कर के दायरे में लाया गया।
2008: गायक नितिन मुकेश को मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण से सम्मानित किया।
2012: सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक इंक ने अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज ‘नैसडेक’ में ट्रेडिंग करना शुरू किया।
2012: प्रसिद्ध धार्मिक गुरु जय गुरुदेव का निधन हुआ।
2017: हिंदी सेनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री रीम लागू का निधन हुआ
2017: पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का निधन हुआ।

General Desk

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