दिल्लीः आज दिन शनिवार तथा तिथि 22 अप्रैल है। आज वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया है। इस बार अक्षय तृतीया दो दिन मनाई जाएगी। तृतीया तिथि मानने वाले 22 अप्रैल तो उदया तिथि और रोहिणी नक्षत्र मानने वाले 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाएंगे। वैदिक मान्यता है कि इस दिन पर किया गया स्नान, दान, जप, तप और होम का क्षय नहीं होता। इस बार अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग, शुभ कृतिका नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी मिलेंगे।
अक्षय तृतीया की अवधिः ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक तृतीया तिथि 22 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 4 मिनट से से 23 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगी। शनिवार रात 11 बजकर 24 मिनट तक कृतिका नक्षत्र और इसके बाद 23 अप्रैल को रात 12 बजकर 27 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। वहीं, 23 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 37 मिनट पर सूर्योदय होगा और तृतीया तिथि सुबह 8 बजकर 8 मिनट तक ही रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और रोहिणी का मान लेने वाले 23 अप्रैल यानी रविवार को अक्षय तृतीया का पूजन कर सकेंगे। वहीं, खरीदारी के लिए लोगों को 22 अप्रैल यानी शनिवार पूरे दिन शुभ योग का लाभ मिलेगा।
22 को लग्न सिंह और अभिजीत मुहूर्तः अक्षय तृतीया शनिवार सुबह 7 बजकर 50 मिनट से रविवार सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। आरंभ में यह कृतिका नक्षत्र से युक्त होगी। खाता बसना पूजन के लिए स्थिर लग्न सिंह शनिवार दोपहर 13:24 से 15:39 तक मिलेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:39 से दोपहर 12:31 तक मिलेगा। अभिजीत मुहूर्त में मंगल के होरा काल से समन्वित बेला में खाता बसना पूजन और नवीन उद्योगों की शुरुआत करनी चाहिए। 22 अप्रैल की अक्षय तृतीया की पूजा का मुहूर्त सुबह 7:49 से दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा।
इस बार नहीं होंगे विवाहः ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है, लेकिन इस बार गुरु के अस्त होने से विवाह मुहूर्त नहीं मिलेगा। इस दिन उच्च के चंद्रमा वृष राशि में और शुक्र अपनी वृष राशि होंगे। शनि अपनी कुंभ राशि तो सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होंगे। 22 अप्रैल दिन शनिवार को गुरु ग्रह जब मेष राशि में गोचर करेंगे, तब वह अस्त अवस्था में होंगे और 27 अप्रैल दिन गुरुवार को अस्त अवस्था से बाहर निकल आएंगे, तब से शुभ व मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।
महत्वः वैशाख शुक्ल तृतीया दो दिन हो तो उसमें जो शुद्ध हो, उसमें उपवास करें। रात्रि के पहले हो तो उत्तरा ग्रहण करें, अन्यथा पूर्वा ही ग्रहण करें। अक्षय तृतीया पर स्नान के बाद देवताओं और पितरों का षोडशोपचार पूजन करने के बाद ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी पदार्थ दान करना चाहिए। अक्षय तृतीया पर ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पट खोले जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार, इसी दिन सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। भगवान परशुराम का अवतरण और भगवान ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।
जैन समाज मनाएगा इक्षु तृतीयाः जैन समाज 22 अप्रैल को इक्षु तृतीया मनाएगा। इक्षु तृतीया के अवसर पर चार तरह के दान दिए जाते हैं। निरोगिता के लिए औषधि दान, ज्ञान के स्वरूप में धर्म पुस्तक दान, संरक्षण के रूप में अभय दान और जीवन यापन की वस्तुओं का दान किया जाता है। आशियाना जैन मंदिर में 22 अप्रैल की सुबह 7:30 बजे से विशेष समागम होगा।
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