दिल्लीः आज 20 अप्रैल है और साल का पहला सूर्यग्रहण पड़ा है। आपको बता दें कि इस साल दो सूर्य ग्रहण रहेंगे। पहला सूर्य ग्रहण आज यानी गुरुवार को है, जबकि सूर्यग्रहण 14 अक्टूबर 2023 शनिवार को रहेगा। सूर्य ग्रहण की घटना एक खगोलीय घटना है।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आज के सूर्य ग्रहण पर 19 वर्ष बाद ऐसा योग बन रहा है, जिसमें दो अशुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिसके कारण 03 राशि क़ो नुकसान और 04 राशि क़ो फायदा हो सकता है। यह ग्रहण मेष राशि मे अश्विनी नक्षत्र पर लग रहा है मंगल के मिथुन मे बुध मेष मे होने से अशुभ योग बन रहे हैं। ग्रहण का स्पर्शकाल, पुण्यकाल, मोक्ष काल क्या रहेगा और क्या होगा राशियों पर इसका असर। आपको बता दें कि आज का सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा और ना ही सूतक काल रहेगा।
सूर्यग्राण का समय…
समय :- यह सुबह 7:04 से दोपहर 12:29 तक लगेगा।
स्पर्श काल, पुण्य काल और मोक्ष काल की कुल अवधि :- इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की रहने वाली है।
सूतक काल :-यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। भारत में नहीं दिखाई देने के कारण इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। जहां दिखाई देगा वहां सूतक काल मान्य है।
नकारात्मक प्रभाव :- मेष राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, वृश्चिक राशि, और मकर राशि के जातकों पर सूर्यग्रहण नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
सकारात्मक प्रभाव :- वृषभ राशि, मिथुन राशि, धनु राशि, और मीन राशि के जातकों पर इस सूर्य ग्रहण का बहुत ही शुभ प्रभाव देखने को मिलेगा।
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहणः यह ग्रहण हिन्द महासागर, दक्षिण प्रशांत महासागर, चीन, ताइवान, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, फिलिपींस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, अमेरिका, जापान, फिजी, माइक्रोनेशिया, समोआ, सोलोमन, बरूनी, पापुआ न्यू गिनी में दिखाई देगा l
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को करने की सख्त मनाई बताई गई है। इस ग्रहण के प्रभाव से आग की घटनाएं, उपद्रव तथा भौगोलिक एवं राजनीतिक घटनाक्रम होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इसीलिए इस समय के दौरान अधिक सावधानी रखने की जरूरत होती है।
अगर आप भी सूर्य ग्रहण प्रभाव से बचना चाहते हैं तो भूलकर भी ये काम ना करें…
- सूर्य ग्रहण के दौरान पूजन करना और स्नान करना भी शुभ नहीं माना जाता।
- पानी में तुलसी का प्रयोग करने के बाद ही उसे ग्रहण करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जल पर इसका असर होता है इसीलिए जल में तुलसी का पत्ता डालकर उसे शुद्ध कर लिया जाता है इसके बाद ही पीना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के दौरान श्रमशील कार्यों और यात्रा से बचकर रहना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं और बच्चे इस दौरान सावधानी रखें। कहते हैं कि इससे गर्भस्थ शिशु की त्वचा पर प्रभाव पड़ता है। अत: घर से बाहर ना निकलें। ग्रहण के दौरान में चाकू, छुरी या तेज धार वाली वस्तुओं का प्रयोग न करें।
- सूर्य ग्रहण पर अमावस्या है इसलिए भी नशे से दूर रहें। किसी भी प्रकार का नशा न करें।
- जहां भी यह सूर्य ग्रहण दिखाई दे रहा है, वे यदि सूर्य ग्रहण देखना चाहते हैं तो अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए एक्लिप्स ग्लास का इस्तेमाल करें। घर के बने फिल्टर या पारंपरिक धूप के चश्मे का इस्तेमाल न करें इससे आंखें खराब हो सकती है।
- जो बच्चे ग्रहण देखना चाहते हैं वे माता-पिता की देखरेख में ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि यह तय करना जरूरी है कि बच्चे किस तरह के ग्लास से यह देख रहे हैं, कहीं ग्लास हटाकर भी तो सूर्य ग्रहण को नहीं देख रहे हैं।
- माना जाता है कि ग्रहण का असर बने हुए भोजन पर भी पड़ता है, इसीलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही भोजन पकाकर खाया जाता है। ग्रहण से 2 घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के बाद ताजे भोजन में भी तुलसी का पत्ता डालकर उसे खाया जाता है। ग्रहण के बाद भोजन ताजा ही बनाकर खाएं।
- यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान पाचन शक्ति कमजोर और जठराग्नि मंद पड़ जाती है।
- यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान संवेदनशील या भावुक व्यक्ति और भी भावुक या संवेदनशील हो जाते हैं। यह हमारी भावनाओं पर असर करता है और नकारात्मक भावों को जन्म देते हैं। इसलिए इस दौरान सावधान रहें। मन को किसी संगीत या मनोरंजन में लगाएं। – ग्रहण के दौरान व्यक्ति सुस्त या थका हुआ महसूस करता है। यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है। इसलिए आप अपने शरीर को लेकर सावधान रहें। रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से मौसमी बीमारियों की चपेट में आ सकते हो।
- ऐसे भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान बैक्टीरिया और वायरसों की संख्या घट-बढ़ जाती है। ऐसे में किसी भी प्रकार का रोग नहीं हो इसके लिए ग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई के साथ ही उसका शुद्धिकरण किया जाता है।
- सूर्य ग्रहण भारत में भले ही नहीं दिखाई दें, फिर भी उसका असर संपूर्ण धरती पर होता है। अत: इस दिन सभी को सावधानीपूर्वक कार्य करना चाहिए।
- यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के पूर्व या बाद में 40 दिन के अंतराल में भूकंप आता है और समुद्र में तूफान भी उत्पन्न होते हैं। ऐसे में यदि आप ऐसी जगह पर रह रहे हैं जहां पर भूकंप या तूफान आने का अंदेशा ज्यादा रहता है तो आप को सावधान रहना होगा।
- वैदिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का अग्निकर्म नहीं किया जाता है। जैसे खाना पकाना, दाह संस्कार करना आदि कार्य नहीं किये जाते हैं।