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SpaceX Starship: लॉन्चिंग के चार मिनट बाद ही दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट में हुआ विस्फोट, 30 किमी की ऊंचाई पर कई टुकड़ों में बंटा - Prakhar Prahari
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SpaceX Starship: लॉन्चिंग के चार मिनट बाद ही दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट में हुआ विस्फोट, 30 किमी की ऊंचाई पर कई टुकड़ों में बंटा

दिल्लीः दुनिया की दिग्गज अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी स्पेसएक्स का स्टारशिप रॉकेट ने गुरुवार को अपनी पहली परीक्षण उड़ान भरी। हालांकि, लॉन्चिंग के बाद ही इसमें विस्फोट हो गया। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किया गया यह रॉकेट उड़ान भरने के चार मिनट के बाद ही आकाश में फट गया और मैक्सिको की खाड़ी में गिर गया। आपको बता दें कि इस रॉकेट में कोई व्यक्ति या उपग्रह नहीं था। न्यूज एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट बताया कि इस रॉकेट में कुल 33 इंजन लगे हुए थे और लॉन्च पैड से करीब 39 किलोमीटर तक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद इसके कई इंजनों ने काम करना बंद कर दिया।

उधर, स्पेसएक्स ने ट्वीट कर कहा कि रॉकेट का उड़ान परीक्षण सफल नहीं हो पाया। स्टारशिप ने स्टेज सेपरेशन से पहले तेजी से अनिर्धारित डिसएस्पेशन का अनुभव किया। मस्क ने ट्वीट कर कहा कि स्टारशिप का एक रोमांचक परीक्षण लॉन्च हो गया। स्टारशिप के परीक्षण फेल होने के बाद मस्क ने अपने कर्मचारियों का हैसला बनाए रखा। उन्होंने कहा, “स्टारशिप का रोमांचक परीक्षण ! कुछ महीनों में अगले परीक्षण के लिए बहुत कुछ सीखा।” मालूम हो कि इसके जरिये इंसानों को मंगल ग्रह पर ले जाने का लक्ष्य है।

न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक इस विशालकाय रॉकेट को टेक्सास के बोका चिका में निजी स्पेसएक्स स्पेसपोर्ट स्टारबेस से स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 8:33 बजे पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। स्टारशिप को पहले चरण के रॉकेट बूस्टर से बिना चालक दल वाली उड़ान के तीन मिनट बाद अलग होने के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, यह अलग नहीं हो पाया और रॉकेट में विस्फोट हो गया।

दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट ने शाम करीब सात बजे टेक्सास के बोका चिका से उड़ान भरी थी। यह स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट था। इससे पहले 17 अप्रैल को भी इसे लॉन्च करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने की वजह से इसे रोकना पड़ा था। मामले में स्पेसएक्स ने कहा कि आज हमने बहुत कुछ सीखा है। इससे हमें आगे सफलता मिलेगी। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की विश्वसनीयता में सुधार करने में मदद मिलेगी। कंपनी के मालिक एलन मस्क ने टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कुछ महीनों में अगले टेस्ट लॉन्च के लिए बहुत कुछ सीखा।

आपको बता दें कि सोमवार को प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने के कारण इसके लॉन्च को 39 सेकेंड पहले रोक दिया गया था।

स्टेनलेस स्टील से बने स्टारशिप को दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। स्पेसएक्स के यूट्यूब चैनल पर इस लॉन्च को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। स्ट्रीमिंग लॉन्च के 45 मिनट पहले यानी शाम 06.15 बजे शुरू होगी। लॉन्च के टाइम में बदलाव भी हो सकता हैं, क्योंकि स्पेसएक्स के पास 62 मिनट की लॉन्च विंडो है।

ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।

यहां कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर हमें पृथ्वी से 23 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत है? वहीं कुछ का सवाल ये भी होगा कि इतनी दूर जाने में कितना समय लगेगा, इसकी प्रोसेस क्या होगी? इंसान कैसे इस रेड प्लेनेट से वापस आएंगे? स्टारशिप की टेक्नोलॉजी क्या है? स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है? तो चलिए जानते हैं इसके बारे में…
– स्पेसएक्स के स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। ये एक रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है। इसमें एडवांस्ड रेप्टर इंजनों का इस्तेमाल किया गया है। स्टारशिप को स्पेसएक्स के साउथ टेक्सास में स्टारबेस फैसिलिटी से लॉन्च किया जाएगा।

  • स्टारशिप अब तक का डेवलप दुनिया का सबसे पावरफुल लॉन्च व्हीकल है। ये पूरी तरह से रियूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाएगा। मस्क 10 अप्रैल को ही स्टारशिप को लॉन्च करना चाहते थे, लेकिन तब US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी FAA से अप्रूवल नहीं मिल पाया था।
  • ये पूरा लॉन्च 90 मिनट का होगा। टेस्ट फ्लाइट के दौरान, लिफ्ट ऑफ के लगभग 3 मिनट बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और गल्फ ऑफ मैक्सिको में लैंड कर जाएगा। शिप 150 मील यानी 40 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पृथ्वी के चक्कर काटेगा और फिर हवाई कोस्ट पर स्पैल्शडाउन होगा। यानी इस टेस्ट में स्टारशिप वर्टिकल लैंडिंग अटेम्प्ट नहीं करेगा। नीचे दिए ग्राफिक्स से लॉन्च की पूरी प्रोसेस को आप आसानी से समझ सकते हैं।
  • इस टेस्ट की सक्सेस मस्क को मंगल ग्रह पर उनके शहर बसाने के सपने के और करीब ले जाएगी। हालांकि मस्क ने हाल ही में कहा था कि स्टारशिप के पहले ऑर्बिटल मिशन के सफल होने की संभावना केवल 50% है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्पेसएक्स साउथ टेक्सास साइट पर कई स्टारशिप व्हीकल बना रहा है। इन्हें आने वाले महीनों में जल्दी-जल्दी लॉन्च किया जाएगा और लगभग 80% संभावना है कि उनमें से एक इस साल ऑर्बिट में पहुंच जाएगा।

क्या-क्या कर सकता है

  • पेलोड डिलीवरी
  • मून मिशन्स
  • अर्थ-टु-अर्थ ट्रांसपोर्टेशन
  • इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन

फ्यूचर में मंगल ग्रह पर कैसे पहुंचेगा… स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट मिलकर रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाते हैं जो ऑर्बिट में रिफ्यूलिंग करने में सक्षम है। ये सिस्टम मार्स की सरफेस पर मौजूद नेचुरल H2o और Co2 के रिसोर्सेज से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है। इंसानों पर मंगल ग्रह पर भेजने की बात करें तो सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और पृथ्वी पर लौट आएगा।

अब पृथ्वी से एक रिफ्यूलिंग टैंकर लॉन्च होगा। ये टैंकर ऑर्बिट में स्टारशिप से डॉक हो जाएगा और रिफ्यूलिंग के बाद वापस पृथ्वी पर लौट आएगा। स्टारशिप अब पृथ्वी के ऑर्बिट से मंगल की अपनी यात्रा शुरू करेगा। स्टारशिप मंगल ग्रह के वायुमंडल में 7.5km/sec की रफ्तार से प्रवेश करेगा और फिर धीमा हो जाएगा। इस व्हीकल की हीट शील्ड को कई मल्टिपल एंट्री के लिए डिजाइन किया गया है। धीमा होने के बाद स्टारशिप मंगल पर लैंड कर जाएगा। मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहुंचने में करीब-करीब 9 महीने का समय लगेगा और वापस आने में भी इतना ही।

 

 

क्या है मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत…मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- ‘पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकती है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।’ करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा।

स्टारशिप का सबसे बड़ा टारगेट इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाना है। इसके अलावा इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने के नासा के मिशन में भी स्टारशिप लैंडर का काम करेगा। मस्क का प्लान स्टारशिप का इस्तेमाल स्पेस टूरिज्म के लिए करना भी है। मस्क ने एक जैपनीज बिलेनियर युसाकु मेजवा से चंद्रमा के चारों ओर की ट्रिप का वादा किया है।

स्पेसएक्स लॉन्च के बारे में विशेष बातें…

  • स्पेसएक्स अपनी स्टारशिप रॉकेट का एक प्रदर्शन उड़ान करने जा रही है।
  • यह पहली बार होगा जब सुपर हैवी पहली चरण का रॉकेट बूस्टर और छह इंजन वाले अंतरिक्ष जहाज एक साथ उड़ेंगे।
  • ऊपर के स्टेज वाले अंतरिक्ष जहाज के कई असफल उड़ानों के बाद अंत में 2021 में सीधे खड़े होकर लैंड हुआ था।
  • स्पेसएक्स कोई भी रॉकेट या अंतरिक्ष जहाज का कोई भाग वापस प्राप्त करने की कोशिश नहीं करेगी; सब कुछ समुद्र में गिरेगा।
  • स्टारशिप में 33 मुख्य इंजन हैं जिनकी कुल उत्सर्जन ताकत 16.7 मिलियन पाउंड है।
  • जनवरी में लॉन्च पैड पर मेथेन से चलने वाले पहले चरण के अंदर से केवल दो इंजन बचे थे जो सफलतापूर्वक टेस्ट किए गए थे।
  • स्टारशिप क्षमता रखता है कि वह 250 टन तक उठा सकता है और मंगल ग्रह की मिशन पर 100 लोगों की आवासीय व्यवस्था कर सकता है।
  • मस्क की योजना है कि वे मानवों को भेजने से पहले स्पेसक्राफ्ट का उपयोग करके स्टारलिंक उपग्रहों को निम्न-पृथ्वी ओर्बिट में लॉन्च करें।
  • स्टारशिप आसानी से एनएसए के सैटर्न वी चंद्रमा रॉकेट और आर्टेमिस प्रोग्राम के स्पेस लॉन्च सिस्टम को पार करता है।
  • इससे पहले फेल हो चुके पूर्व सोवियत संघ के एन1 चंद्रमा रॉकेट से भी स्टारशिप बेहतर प्रदर्शन करता है।
  • टेस्ट फ्लाइट टेक्सास के बोका चिका बीच के पास एक दूरस्थ स्थान से लॉन्च होगा।
  • फ्लाइट 1 1/2 घंटे तक चलेगा और पूरी पृथ्वी का एक पूर्ण ओर्बिट पूरा नहीं करेगा।
  • फ्लाइट के तीन मिनट बाद, बूस्टर अलग हो जाएगा और मेक्सिको की खाड़ी में गिर जाएगा
  • अंतरिक्ष जहाज पूर्व की ओर बढ़ता रहेगा, अटलांटिक, इंडियन और प्रशांत महासागरों को पार करेगा और हवाई के पास लैंडिंग करेगा।
General Desk

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