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Today History 17 April: आज है हीमोफीलिया डे, एक ऐसी बीमारी, जिससे ग्रसित व्यक्ति को चोट लगने पर खून बंद नहीं होता - Prakhar Prahari
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Today History 17 April: आज है हीमोफीलिया डे, एक ऐसी बीमारी, जिससे ग्रसित व्यक्ति को चोट लगने पर खून बंद नहीं होता

दिल्लीः आज 17 अप्रैल है। वैसे तो आज के दिन देश और दुनिया में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई हैं, लेकिन इस दिन को एक जानलेवा बीमारी की वजय से विशेष तौर पर याद किया जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं हीमोफीलिया की। आज के दिन को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे के तौर पर मनाया जाता है। हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे ग्रसित व्यक्ति को चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता है। इसी वजह से हल्की सी चोट लगने पर भी ज्यादा खून बह जाता है और यह बीमारी जानलेवा साबित हो जाती है।

हम सभी जानते हैं कि जब भी कहीं चोट लगती है तो घाव से खून बहना शुरू हो जाता है। इस बहते खून को रोकने के लिए हमारे शरीर का खुद का एक सिस्टम होता है। हमारा शरीर घाव के आसपास खून का थक्का जमा देता है जिस वजह से घाव से खून बहना बंद हो जाता है, लेकिन हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को घाव लगने की स्थिति में खून का थक्का नहीं जम पाता है जिस वजह से लगातार खून बहा करता है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है जो खून में थाम्ब्रोप्लास्टिन या क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की वजह से होती है।

हीमोफीलिया जिन लोगों को होता है, उन्हें चोट लगने पर खून लगातार बहते रहना। भले ही चोट छोटी हो या बड़ी।हड्डियों के जोड़ों में दर्द बना रहता है। शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन आ जाती है। मल या पेशाब में खून दिखता है। शरीर में नीले-नीले निशान पड़ जाते हैं। नाक में से खून आना, मसूड़ों से खून आना, आसानी से त्वचा का छिल जाना भी इसके लक्षण में शामिल है।

अब सवाल यह पैदा होता है कि इससे बचाव कैसे करें, तो यदि आपके दांत और मसूड़ों से खून निकलता है तो तुरंत डेंटिस्ट को दिखाएं। खून पतला करने वाली दवाइयों से परहेज करें। अपनी डाइट में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर चीजें शामिल करें। रोजाना एक्सरसाइज और योग करें। ज्यादा गंभीर लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

इस बीमारी के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए साल 1989 में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत हुई। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिन के अवसर पर 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधनः भारत में शिक्षा के सबसे बड़े पुरोधा रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हुआ था। 5 सितंबर 1888 को जन्मे डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वे 27 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किए गए थे। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे ऐसे शिक्षक रहे, जो देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने।

उनसे जुड़ा एक किस्सा बहुत मशहूर है। जब वे राष्ट्रपति बने, तब छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा। इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो शिक्षकों के लिए गर्व की बात होगी।’ तभी से शिक्षक दिवस की परंपरा पड़ी। 1962 में भारत सरकार ने डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की। तब से हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं।

बेंजामिन फ्रैंकलिन का निधन: बेंजामिन फ्रैंकलिन का जन्म 17 जनवरी, 1706 में बोस्टन शहर में हुआ था। उनके पिता साबुन और मोमबत्ती बनाते और बेचते थे। उनके 17 भाई-बहन थे। उन्होंने कई आविष्कार किए, लेकिन उन सब में तड़ित चालक (lightning rod) सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इसमे धातु की बनी एक छड़ ली जाती है और इस छड़ का ऊपरी नुकीला सिरा मकान की छत के ऊपर रहता हैं जबकि दूसरा सिरा जमीन में गाड़ दिया जाता है। जब बिजली गिरती है तो मकान से ना टकराकर उस छड़ के द्वारा जमीन में चली जाती है। बेंजामिन फ्रैंकलिन के इस आविष्कार से आसमानी बिजली के गिरने के बावजूद मकानों को कम नुकसान होने लगा।

इसके लिए बेंजामिन फ्रैंकलिन ने घर में बनी हुई एक पतंग को आसमान में उड़ाया। इस पतंग को बनाने के लिए उन्होंने एक बड़ा रेशमी रूमाल लिया और उसे लकड़ी की पट्टियों से बनी पतंग पर बांध दिया। लकड़ी की एक पट्टी पर लोहे का तार इस प्रकार लगाया कि वह पतंग के सिरे से एक फीट बाहर रहे।

उन्होंने पतंग को उड़ाने के लिए एक डोरी इस्तेमाल की और डोरी के सिरे पर एक रिबन बांध दी। डोरी तथा रिबन के जोड़ पर लोहे की एक बड़ी चाबी लगा दी। उस समय बरसात का मौसम था और बादल छाए हुए थे। पतंग को उड़ाने के लिए वे एक सूखी जगह पर खड़े हो गए ताकि रिबन गीला न हो और उन्हें करंट न लगे। पतंग उड़ती रही। फ्रैंकलिन ने देखा कि चाबी में स्पार्किंग हो रही है। इस प्रयोग के आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि बादलों की विशाल विद्युत को बादलों से जमीन तक लाया जा सकता है। इसी के आधार पर उन्होंने तड़ित चालकों को बनाया।

वे अमेरिका के सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और पत्रकार रहे, लेकिन शायद वैज्ञानिक के रूप में आज उन्हें अधिक लोग जानते हैं। अमेरिका की आजादी के घोषणा-पत्र का मसौदा तैयार करने वाले 5 व्यक्तियों में से एक फ्रैंकलिन भी थे। 1790 में आज ही के दिन उनका निधन हो गया। उन्हें सम्मान देने के लिए 100 डॉलर के नोट पर उनकी फोटो छापी गई।

इतिहास का सबसे जानलेवा ज्वालामुखी विस्फोटः तमबोरा के धमाके को अब तक के सबसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट में से एक माना जाता है। यह ज्‍वालामुखी इंडोनेशिया के समबावा द्वीप पर है। वर्षों तक शांत रहने के बाद 5 अप्रैल 1815 को ज्वालामुखी में हल्के कंपन महसूस किए गए थे।

इसकी वजह से सुमबवा द्वीप पर डेढ़ मीटर मोटी राख की परत बिछ गई। 10 अप्रैल को तेज धमाकों के बाद यहां सुनामी आई। धीरे-धीरे इस राख की जद में आस-पास के गांव, कस्‍बे और शहर सब आ गए। ज्वालामुखी की गर्म राख हवा में फैल गई जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। सैकड़ों लोग इस राख की जद में आकर मर गए।

17 अप्रैल 1815 को ज्वालामुखी में एक और धमाका हुआ। इसके मुख से लावा बाहर आने लगा जिसने खेत, जंगल और घर सभी को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में मरने वालों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है। ज्वालामुखी की वजह से करीब 10 हजार लोग मारे गए। ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद आए भयानक सूखे ने करीब 80 हजार लोगों की जान ले ली। ज्वालामुखी इतना भीषण था कि इसकी वजह से तमबोरा के पहाड़ की ऊंचाई घट गई। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 17 अप्रैल को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

1799 : श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी शुरू। 4 मई को टीपू सुल्तान की मौत के साथ इसका अंत हुआ।
1875: सर नेविले चैंबरलिन ने स्नूकर का आविष्कार किया।
1941: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूगोस्लाविया ने जर्मनी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
1946: सीरिया ने फ्रांस से आजादी मिलने की घोषणा की।
1970: अंतरिक्ष यान अपोलो-13 ने धरती पर सुरक्षित वापसी की।
1971: मिस्र, लीबिया और सीरिया ने मिल कर यूनाइटेड अरब स्टेट बनाने के लिए संघ का गठन किया।
1972: श्रीलंका के महानतम खिलाड़ी मुथैया मुरलीधरन का जन्म। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 800 विकेट लेने का रिकॉर्ड है।
1975: भारत के दूसरे राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन का निधन।
1977: स्वतंत्र पार्टी का जनता पार्टी में विलय।
1982 : कनाडा ने संविधान अपनाया।
1982 : अमेरिका ने नेवादा परीक्षण स्थल पर परमाणु परीक्षण किया।
1983 : एसएलवी-3 राकेट ने दूसरे रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की निकट कक्षा में स्थापित किया।
1986 : नीदरलैंड और सिसली के बीच युद्ध की स्थिति को खत्म करने की घोषणा करते हुए शांति बहाल।
1990: पटना के पास एक ट्रेन में धमाके से 80 से भी ज्यादा लोगों की मौत।
1993: अंतरिक्ष यान एसटीएस-56 डिस्कवरी धरती पर वापस लौटा।
1995: पाकिस्तान में बाल मजदूरी को समाप्त करने वाले युवा कार्यकर्ता इक़बाल मसीह की हत्या।
1997: प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उड़ीसा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक का निधन।
2003: लगभग 55 वर्षों के बाद भारत-ब्रिटेन संसदीय मंच का गठन हुआ।
2007: 2014 के एशियाई खेलों के लिए दक्षिण कोरिया को मेजबानी मिली।
2008: ब्राजील और भारत के बीच चार महत्त्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किये गए।
2011: गेम ऑफ थ्रोन्स का पहला एपिसोड दिखाया गया।
2013: न्यूजीलैंड ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी।
2014: प्रसिद्ध कोलंबियाई उपन्यासकार ग्रैबिएल मार्क़ेज का निधन।

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