दिल्लीः आज के ही दिन 1974 में चीन में एक ऐसी आर्मी का पता चला था, जो दुनिया में सबसे अनूठी है। इस आर्मी का नाम है टेराकोटा आर्मी, जो मिट्टी से बनी 8 हजार सैनिकों की सेना है। मिट्टी से बने इन आदमकद योद्धाओं को करीब 2000 वर्ष पहले सम्राट किन शी हुआंग की कब्र की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।
आज से करीब 48 साल पहले 29 मार्च 1974 को चीन के शांक्सी प्रांत में कुछ किसान एक कुआं खोद रहे थे, तभी उन्हें मिट्टी से बने सैनिक नजर आए। इसके बाद इसके आसपास एक बहुत बड़े इलाके में खुदाई कराई गई। इस खुदाई में हजारों की संख्या में मिट्टी के बने सैनिकों के होने का पता चला।
पिछले कई वर्षों के दौरान की गई पुरातत्व खुदाई से टेराकोटा आर्मी के 2 हजार सैनिक मिल चुके हैं, वहीं माना जाता है कि करीब 6 हजार और सैनिक अभी अंदर दफन हैं। जनवरी 2020 में की गई एक और खुदाई में 200 और मिट्टी के सैनिकों को निकाला गया था। मिट्टी के सैनिकों के साथ 130 रथ भी मिले, जिन्हें 520 घोड़े खींचते दिखाई दे रहे हैं। इन मिट्टी के सैनिकों में 1500 घुड़सवार भी मिले हैं।
राजा के कब्र की सुरक्षा के लिए मिट्टी से बने सैनिकों को तैनात करने की सोच कुछ वैसी ही थी, जिस सोच के साथ मिस्र में शासकों की मौत के बाद पिरामिड बनाए जाते थे। कुछ उसी अंदाज में चीनी शासक की कब्र की रक्षा के लिए मिट्टी से बनाई गई टेराकोटा सेना तैनात की गई थी।
पकी मिट्टी से बने ये सैनिक 210-209 ईसा पूर्व में चीन के राजा किन शी हुआंग की मौत के बाद बनाए गए थे। शी हुआंग ने 221 ईसा पूर्व में चीन को एकीकृत किया था। शी हुआंग की गिनती चीन के महान शासकों में होती है। चीन की महान दीवार के निर्माण से लेकर देशव्यापी रोड नेटवर्क तैयार करने समेत कई बेहतरीन कामों का श्रेय हुआंग को ही जाता है।
विशेष बात ये है कि इन सैनिकों का कद अलग-अलग है। उनके चेहरों और पहनावे से ये भी नजर आता है कि उनकी भूमिकाएं भी अलग हैं। इनमें से किसी भी सैनिक का चेहरा एक जैसा नहीं है और उनकी लंबाई 5, 6 और 7 फीट हैं। इससे पता चलता है कि इन सैनिकों को कितनी बारीकी से बनाया गया है।
टेराकोटा आर्मी के मिट्टी के पुतलों के सिर, धड़, हाथों और पैरों को पहले अलग-अलग तैयार किया गया था और फिर उन्हें जोड़ दिया गया। जोड़ने के बाद उन्हें आग में तपाकर मजबूत कर दिया गया था। इससे ये मिट्टी के पुतले इतने असली लगते हैं कि जैसे अभी बोल पड़ेंगे।
टेराकोटा आर्मी के सैनिक 23 फुट गहरे तीन गड्ढों में खड़े हैं। पहला गड्ढा 750 फीट लंबा और करीब 203 फीट चौड़ा है, इसमें ही सबसे ज्यादा 6,000 सैनिक तैनात हैं। पहले गड्ढे में 11 गलियारे हैं, जिनमें से अधिकांश करीब 10 फीट से अधिक चौड़े हैं।
इस हॉल की छत को बारिश से बचाने के लिए इनके ऊपर मिट्टी की परत चढ़ाई गई है। अन्य गड्ढों में घुड़सवार और युद्ध में काम आने वाली गाड़ियां तैनात हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में चीन की यात्रा के दौरान शांक्सी भी गए थे। इस दौरान उन्होंने टेराकोटा आर्मी भी देखी थी। टेराकोटा आर्मी को 1987 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया के इतिहास में 29 मार्च को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं परः :
1798: स्विटजरलैंड गणराज्य बना।
1807: जर्मनी के खगोलविद् विल्हेम ओल्बर्स ने क्षुद्रग्रह वेस्ता खोजा। इसे आसमान का सबसे चमकदार छोटा तारा कहा गया।
1849 : महाराजा दिलीप सिंह ने अपने दिवंगत पिता रणजीत सिंह का सिंहासन छोड़ दिया और पंजाब पर ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा हो गया।
1857 कलकत्ता के निकट बैरकपुर में मंगल पांडे ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका।
1859 : बहादुर शाह जफर द्वितीय को 1857 की क्रांति में भागीदारी का दोषी पाया गया और अंग्रेज सरकार ने उन्हें देश निकाला देकर रंगून भेज दिया।
1901ः ऑस्ट्रेलिया में पहली बार फेडरल इलेक्शन हुए।
1943ः स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण नायक को बरहामपुर जेल में फांसी पर लटकाया गया।
1954ः भारतीय लोक प्रशासन संस्थान का उद्घाटन किया गया।
1954 : राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय :नेशनल गैलरी आफ मॉडर्न आर्ट: का दिल्ली में शुभारंभ
2011ः भारत और पाकिस्तान के बीच टेरर हॉटलाइन बनी। 2008 के मुंबई हमलों के बाद विश्वास बहाली के उपायों के तौर पर इस कदम को देखा गया।
1967ः फ्रांस ने पहली बार अपनी परमाणु पनडुब्बी की शुरुआत की।
2010ः मॉस्को मेट्रो टेन में दो आत्मघाती हमले हुए, उसमें 40 लोगों की जान गई।
1981ः पहली लंदन मैराथन नार्वेजियन इजेज सिमंसेंन ने जीती।
1999 : उत्तर प्रदेश के कुमायूं और चमोली :अब उत्तराखंड: में आधी रात के ठीक बाद आए 6.8 वेग के भूकंप में 100 से ज्यादा लोगों की मौत।
1999ः अमेरिकी शेयर इंडेक्स डाउ जोंस पहली बार 10000 अंक के पार गया।
2002 : दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधी वाणिज्यिक उड़ान सेवा फिर से शुरू।
2004ः आयरलैंड कार्यस्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित करने वाला पहला देश बना।
2008ः दुनिया के 370 शहरों ने पहली बार ऊर्जा बचत के लिए अर्थ ऑवर मनाने की शुरुआत की।
2020 : भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1000 के पार। लाखों प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के कारण सामुदायिक संचरण का खतरा बढ़ा।
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