बेंगलुरुः कर्नाटक में अगले एक महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच राज्य सरकार ने शुक्रवार को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को लेकर दो बड़े फैसले किए। पहले फैसले के तहत सरकार ने OBC मुसलमानों के लिए निर्धारित 4% कोटा खत्म कर दिया। वहीं, दूसरे फैसले के तहत इस 4% कोटे को वोक्कालिगा और लिंयागत समुदायों में बांटा गया है।
इस फैसले के बाद वोक्कालिगा के लिए कोटा 4% से बढ़ाकर 6% कर दिया गया है। वहीं, पंचमसालियों, वीरशैवों और अन्य लिंगायत श्रेणियों के लिए कोटा 5% से बढ़ाकर 7% हो गया है। वहीं, मुस्लिम समुदाय को अब EWS कोटे के तहत आरक्षण मिलेगा।
बीजेपी शासित राज्य में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने से महीनेभर पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह घोषणा की है। उन्होंने मीडिया को इन बदलावों की जानकारी देते हुए कहा कि हमने कुछ बड़े निर्णय लिए हैं। कैबिनेट कमेटी ने कोटा कैटेगरी में बदलाव के लिए सुझाव दिए थे, जिसे हमने मान लिया।
आपको बता दें कि ओल्ड मैसूर या साउथ कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय का वर्चस्व है, जिसकी राज्य की आबादी में 15% हिस्सेदारी है। ये आबादी मांड्या, हासन, मैसूर, तुमकुर, कोलार और चिक्काबल्लापुर जिलों में असर रखती है। मांड्या में 50% से ज्यादा वोक्कालिगा हैं। ओल्ड मैसूर सबसे बड़ा रीजन है, लेकिन वहीं पार्टी की हालत बहुत खराब है, इसलिए इस बार यहां सबसे ज्यादा ताकत लगाने की तैयारी है।
दक्षिण कर्नाटक जनतादल सेकुलर का गढ़ भी है। पूर्व PM एच.डी. देवेगौड़ा और कांग्रेस के सीनियर लीडर सिद्धारमैया का यहां काफी प्रभाव है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां 20 और JD (S) ने 30 सीटें जीतीं थीं। BJP को 15 सीटें मिली थीं।
वहीं, सेंट्रल कर्नाटक की सीटों पर लिंगायत समुदाय निर्णायक भूमिका में रहता है। येदियुरप्पा सेंट्रल कर्नाटक के शिवमोगा से ही आते हैं। इस वजह से BJP का शिवमोगा और चिकमंगलूर जिलों में दबदबा है। महाराष्ट्र की सीमा से लगा कित्तूर कर्नाटक रीजन भी लिंगायत समुदाय के दबदबे वाला है। 2018 के चुनावों में सेंट्रल कर्नाटक में कांग्रेस ने 5 और BJP ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कित्तूर कर्नाटक में कांग्रेस ने 16, BJP ने 26 और JD(S) ने 2 सीटें जीतीं थीं।