दिल्लीः केजरीवाल सरकार का बजट आज दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं होगा। आम आदमी पार्टी ने सोमवार शाम एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि केंद्र ने विधानसभा में पेश होने वाले दिल्ली सरकार के बजट पर रोक लगा दी है।
केजरीवाल ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिल्ली में बजट पेश होने से एक दिन पहले केंद्र ने इस पर रोक लगा दी है। केजरीवाल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कल से दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को, डॉक्टरों को, टीचर्स को तनख्वाह नहीं मिलने वाली है। ये सीधी-सीधी गुंडागर्दी चल रही है।
LG ऑफिस की सफाईः सीएम केजरीवाल के इस बयान के बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर के ऑफिस से एक स्टेटमेंट जारी किया गया, जिसमें बताया गया उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बजट का पास कर दिया था और इसमें कुछ टिप्पणियां जोड़कर उन्हें 09 मार्च को अरविंद केजरीवाल के पास भेज दिया था।
इसके बाद दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति की तरफ से बजट को अप्रूवल दिलाने के लिए होम मिनिस्ट्री को संदेश भेजा था। इसके बाद होम मिनिस्ट्री ने 17 मार्च को अपने ऑब्जर्वेशन दिल्ली सरकार को बताए थे। अब तक दिल्ली सरकार की तरफ से होम मिनिस्ट्री को यह फाइल नहीं भेजी गई है। एलजी ऑफिस अभी तक इस फाइल के भेजे जाने का इंतजार कर रहा है।
वहीं, दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि गृह मंत्रालय ने बजट को लेकर अपनी कुछ चिंता जाहिर की थीं और 17 मार्च को चीफ सेक्रेटरी को एक लेटर भेजकर बजट को अप्रूव करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, “अस्पष्ट कारणों के चलते दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने 3 दिन तक इस लेटर को अपने पास छिपाकर रखा। मुझे इस लेटर के बारे में आज दोपहर 2 बजे पता चला है। मुझे सोमवार शाम 6 बजे यह फाइल मिली है और हमने रात 09 बजे तक गृह मंत्रालय की सारी चिंताओं को लेकर अपना जवाब LG ऑफिस भेज दिया था। दिल्ली के बजट को लेट कराने में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए।“
इस पर उपराज्यपाल के कार्यालय ने जवाब दिया और कहा कि हमें रात 9:25 बजे फाइल मिली और LG के अप्रूवल के बाद इसे 10.05 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आम आदमी पार्टी से उसके बजट को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था, क्योंकि इसमें विज्ञापनों पर ज्यादा खर्च प्रस्तावित था और इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास से जुड़े कार्यों पर कम खर्च प्रस्तावित था।
इन आरोपों का भी अशोक गहलोत ने खंडन किया है। उन्होंने बताया कि बजट कुल 78,800 करोड़ रुपए का था, जिसमें से 22 हजार करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए थे रखे गए थे, जबकि विज्ञापनों के लिए सिर्फ 550 करोड़ प्रस्तावित थे।
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