दिल्लीः इस समय देश के विभिन्न हिस्सों में H3N2 इन्फ्लुएंजा काफी तेजी से फैल रहा है। इस संक्रम में भारत में पहली बार दो मरीजों की मौत के बाद सरकार अलर्ट पर है। H3N2 इन्फ्लुएंजा से कर्नाटक के हासन जिले के 82 साल का वृद्ध और हरियाणा के जींद का 56 साल का व्यक्ति जान चली गई है। इन दोनों मरीजों ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां थीं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस वायरस से अब तक 10 मरीजों की मौत का दावा किया जा रहा है।
जनवरी से अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में H3N2 इन्फ्लुएंजा के 3084 केस सामने आए हैं। इसे देखते हुए शनिवार को नीति आयोग ने मंत्रालयों की बैठक बुलाई है। इसमें राज्यों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। साथ ही देखा जाएगा कि किस राज्य को किस तरह के सपोर्ट की जरूरत है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मार्च के आखिर तक H3N2 संक्रमण के मामलों में कमी आने की संभावना है।
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को देश में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते मामलों की समीक्षा के लिए बैठक की। इस दौरान उन्होंने राज्यों को अलर्ट रहने और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी की। मांडविया ने बताया कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ काम कर रही है।
अमेरिका की हार्वर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ. राम शंकर उपाध्याय ने बताया कि एच3एन2 इन्फ्लुएंजा को हॉन्गकॉन्ग वायरस भी कहा जाता है। इससे संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराने की दर सिर्फ 7% है, लेकिन इस बारे में ढिलाई ठीक नहीं है।
लक्षण क्या हैः H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस है, जो कि सांस में संक्रमण पैदा करता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार H3N2 इन्फ्लुएंजा ए का सब टाइप है। वैसे तो इन्फ्लुएंजा वायरस साल भर हवा में सर्कुलेट होते हैं, लेकिन मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण इसकी तीव्रता में इजाफा होता है। एच3एन2 संक्रमण के कारण सांस लेने में परेशानी इसका सबसे पहला लक्षण है। खांसी-जुखाम, बुखार, डायरिया, उल्टी और शरीर में दर्द की शिकायत भी होती है।
तेज बुखारः बताया जा रहा है कि इस वायरस की चपेट में आने से आपको हाई ग्रेड फीवर हो सकता है जिसके साथ आपको कंपकपी भी हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकतर लोगों ने तेज बुखार महसूस किया।
लगातार खांसीः H3N2 वायरस की चपेट में आने से आपको बुखार के साथ लगातर खांसी भी महसूस हो सकती है। यह खांसी कई आम खांसी नहीं होती है बल्कि आपको परेशान कर सकती है। खांसी के साथ-साथ आपका गला बैठ सकता है और आवाज में परिवर्तन हो सकता है।
हफ्तों तक रह सकते हैं लक्षणः H3N2 वायरस से पैदा हुए लक्षण दो से तीन हफ्तों तक रहे सकते हैं। ज्यादातर पीड़ितों को दो से तीन दिन तेज बुखार रहता है। इसके साथ बदन दर्द, सिरदर्द और गले में बेचैनी महसूस हो सकती है। खांसी आपको दो से तीन महीने तक रहे सकती है।
बताया जा रहा है कि एच3एन2 वायरस की चपेट में आने वाले लोगों में बुखार-खांसी के अलावा सर्दी, लंग एलर्जी जैसे ब्रोंकाइटिस, सांस लेने में कठिनाई, सीने में बेचैनी जैसे लक्षण भी महसूस हो रहे हैं।
क्यों आई है संक्रमण के प्रसार में तेजीः इस समय पोस्ट कोरोना का दौर है। अब भी देश में कोरोना के तीन हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं। एच3एन2 संक्रमण में तेजी के दो बड़े कारण हैं। पहला- कोरोना के कारण लोगों की इम्युनिटी कमजोर होकर असंतुलित हुई है। दूसरा- एच3एन2 वायरस म्युटेट हुआ है यानी इसने अपना स्वरूप बदला है। वायरस में इस परिवर्तन से संक्रमण के मामले बढ़े हैं।
कैसे करें बचावः इस संक्रमण से बचाव के लिए वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के लिए तैयार की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालना करना होगा। मास्क का उपयोग और सोशल डिस्टेंसिंग बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। ये संक्रामक रोग है इसलिए भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। लंबे समय तक खांसी और जुखाम रहने पर डॉक्टर को दिखाएं। एच3एन2 इन्फ्लुएंजा का अभी कोई टीका नहीं है। इसके उपचार में एंटीवायरल दवाओं का उपयोग होता है। आईएमए ने एच3एन2 में डॉक्टरों को एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है।
कैसे करें बचावः आईसीएमआर ने अपने ट्विटर हैंडल से जानकारी दी है कि एच3एन2 वायरस से बचने और इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे…
- हाथों को साबुन और पानी से धोएं
- कोरोना की तरह अभी मास्क लगाएं
- नाक और आंखों को छूने से बचें
- छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को कवर करें
- तरल पदार्थों का खूब सेवन करें
- बुखार और बदन दर्द होने पर पेरासिटामोल लें
किसे हैं सबसे ज्यादा खतराः एच3एन2 वायरस से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों, बुजुर्गों और पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को है। लंबे समय तक खांसी-जुखाम रहे तो 60 साल से अधिक आयु के लोग तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट करा चुके लोग, टीबी और कैंसर के रोगी एच3एन2 के संक्रमण से सावधान रहें। समय रहते इलाज शुरू कराएं।