मुंबईः जिसने दुनिया को हंसाया, वहीं अब सबको रूलाकर दुनिया से चला गया। जी हां हम बात कर रहे हैं मशहूर अभिनेता निर्माता, निर्देश और राइटर सतीश कौशिक का, जिनका 66 साल की उम्र में निधन हो गया। 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जन्मे सतीश का फिल्मी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। एनएसडी (NSD) यानी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और एफटीआईआई (FTII) यानी फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पढ़े सतीश कौशिक को अपने करियर के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। उनका फिल्मों का स्ट्रगल 1980 के आसपास शुरू हुआ और सात साल बाद यानी 1987 में आई फिल्म मि. इंडिया के कैलेंडर वाले रोल से पहचान मिली।

कैलेंडर बनकर सतीश सपोर्टिंग रोल के लिए बॉलीवुड की नई चॉइस बन गए, लेकिन इसके पहले से वे निर्देशन के क्षेत्र में कोशिश करने लगे थे। सतीश ने साल1983 में शेखर कपूर के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर फिल्म मासूम में काम किया था। उन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया और कई शानदार फिल्में डायरेक्ट भी कीं।

सतीश कौशिक को बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर सबसे बड़ा ब्रेक मिला फिल्म रूप की रानी, चोरों का राजा से। इस फिल्म के निर्माता बोनी कपूर थे और फिल्म में अनिल कपूर-श्रीदेवी स्टार कलाकार थे। ये अपने जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी। इसका एक सीन जो चलती ट्रेन से हीरे चोरी करने वाला था। कहा जाता है 1992-93 में इस अकेले सीन को फिल्माने में 5 करोड़ रुपए लगे थे। भारी-भरकम बजट और अच्छी स्टार कास्ट के बाद भी फिल्म चली नहीं। इसकी असफलता से दुःखी सतीश के मन में सुसाइड तक के ख्याल आने लगे थे। खुद उन्होंने एक टीवी शो के दौरान इसका खुलासा किया था।

रील लाइफ में अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाने वाले सतीश कौशिक की असल जिंदगी दुखों भरी रही। उनके बेटे शानू की मौत ने उन्हें बेहद तोड़कर रख दिया था। मौत के वक्त शानू की उम्र केवल दो साल थी। इसके काफी समय बाद कौशिक के घर में खुशियां आ पाईं। उनके घर 15 जुलाई 2012 को बेटी वंशिका का जन्म सरोगेसी से हुआ था। उस वक्त सतीश 57 साल के थे। उनके घर में यह खुशी बेटे शानू की मौत के 16 साल बाद आई थी। सतीश ने बेटी के जन्म की खुशखबरी साझा करते हुए अपने बयान में कहा था, “यह एक बच्चे के लिए हमारे लंबे और दर्दनाक इंतजार का अंत है।“

सतीश ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं आया तो एक्टर बनने ही था, लेकिन एनएसडी और एफटीआईआई से पढ़ा लिखा एक्टर होने के बाद भी काम नहीं मिल रहा था। मैं साधारण परिवार से था। गुज़ारे के लिए एक कम्पनी में नौकरी की। वहां मेरा काम था दीवार पर लटके यार्न को लकड़ी से साफ करना। एक साल तक मैंने यह भी किया।

उन्होंने कहा कि यह सोचकर कलेजा फट पड़ता था कि दिल्ली से यहां मैं करने क्या आया था और कर क्या रहा हूं। फिर असिस्टेंट डायरेक्शन किया और तीन प्रोजेक्ट बाद डायरेक्शन का ऑफर मिला। नियति का खेल ही ऐसा है। हम मांगते कुछ और हैं, मिलता कुछ और है, लेकिन मेरा मानना है कि जो भी करो पूरी ताक़त झोंक दो।

उन्होंने बताया कि फिल्म ब्रिक लेन के बाद काम तो मुझे बहुत मिला, लेकिन जिस रिसेप्शन की उम्मीद मुझे थी, मैं मानता हूं कि मुझे नहीं मिला। मुझे आज भी इस बात का अफ़सोस है। तब मीडिया इस तरह काम नहीं करता था जैसा आज कर रहा है। शायद इसी वजह से यह फिल्म ज्यादा लोगों ने देखी भी नहीं। उन्हें पता ही नहीं चला कि सतीश कौशिक यह भी है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष के बिना जीना भी कोई जीना हुआ। युवाओं के लिए एक कहानी शेयर करता हूं। संगमरमर की दो कृतियां आपस में बात कर रही थीं। एक कहता तुझे तो ले जा रहे हैं मंदिर के अंदर। सब तुझे पूजेंगे और मुझपर पैर रखकर लोग तुझ तक आएंगे। दूसरे पत्थर ने कहा कि तूने छैनी और हथौड़ी से मिली वह पीड़ा कहां सही जो मैंने झेली है। मॉरल ऑफ द स्टोरी यही है कि छैनी-हथौड़ी से डरने वाले पत्थर का मुक़द्दर अर्श नहीं फर्श ही है।

 

फिल्म ‘राम-लखन’ (1989) और ‘साजन चले ससुराल’ (1996) के लिए सतीश को दो बार बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल चुका है। सतीश कौशिक अभिनेता के अलावा निर्माता और निर्देशक भी थे। कई फिल्मों में एक्टिंग कर चुके सतीश को उनके फनी डायलॉग्स के लिए भी जाना जाता है।

सतीश कौशिक की यादगार फिल्में- अभिनेता सतीश कौशिक की यादगार फिल्मों की बात करें तो उन्होंने ‘जाने भी दो यारों’, ‘उत्सव’, ‘सागर’, ‘राम लखन’, ‘स्वर्ग’, ‘जमाई राजा’, ‘अंदाज’, ‘साजन चले ससुराल’, ‘दीवाना मस्ताना’, ‘मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी’, ‘आंटी नंबर वन’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’, ‘आ अब लौट चलें’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘दुल्हन हम ले जाएंगे’, ‘हद कर दी आपने’, ‘क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता’, ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘अतिथि तुम कब जाओगे’, ‘उड़ता पंजाब ‘और ‘फन्ने खां’ जैसी फिल्मों में काम किया है।

बॉलीवुड में सतीश कौशिक अनुपम खेर और अनिल कपूर सबसे करीब थे। इन तीनों की दोस्ती सालों पुरानी है। अनिल और सतीश कौशिक मि. इंडिया के जमाने से दोस्त हैं। वहीं अनुपम खेर और सतीश की दोस्ती 45 साल पुरानी है। एनएसडी के जमाने से दोनों एक दूसरे के करीब रहे हैं। तीनों मुंबई में होते हैं तो जरूर मिलते हैं। एक दूसरे से हंसी-मजाक भी होता है, कभी आमने-सामने तो कभी सोशल मीडिया पर। एक सप्ताह पहले ही अनुपम खेर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अनिल कपूर के साथ का एक वीडियो शेयर किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि अनिल और मैं अगर मुंबई में होते हैं तो दिन में दो बार जरूर मिलते हैं। शायद ये बात हमारे तीसरे दोस्त सतीश कौशिक को अच्छी ना लगे। इस पोस्ट पर सतीश ने जवाब दिया था कि हमारी ऐसी किस्मत कहां हैं।

आपको बता दें कि अभिनेता सतीश कौशिक पूरी तरह स्वस्थ थे। दो दिन पहले 7 मार्च को उन्होंने खूब जमकर होली भी खेली। जुहू में जावेद अख्तर की होली पार्टी में शामिल हुए थे। जहां की फोटो भी उन्होंने ट्विटर पर शेयर की थीं। उन्होंने लिखा था, न्यूली वेड कपल अली और ऋचा से मुलाकात हुई है होली पार्टी में। सतीश के साथ जावेद अख्तर, महिमा चौधरी, ऋचा चड्ढा और अली फजल दिखे थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here