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अंतरराष्ट्रीय

नेपाल में ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार के लिए राहत भरी खबर, राम चंद्र पौडेल बने राष्ट्रपति

काठमांडू: पड़ोसी मुल्क नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव में नेपाली कांग्रेस के प्रत्याशी राम चंद्र पौडेल विजयी हुए हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल के नेपाली कांग्रेस के साथ किए गए गठबंधन को बड़ी जीत मिली है। रामचंद्र पौडेल को 33 हजार से ज्‍यादा वोट मिले। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रत्‍याशी सुभाष चंद्र नेमबांग को मात्र 15 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा। रामचंद्र पौडेल नेपाल के तीसरे राष्‍ट्रपति बने हैं। राष्‍ट्रपति चुनाव के नतीजे ने प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ी राहत दी है जो ओली के साथ राजनीतिक विवाद में फंसे हुए थे।

नेपाली कांग्रेस के रामचंद्र पौडेल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के सुभाष चंद्र नेमबांग इस पद की दौड़ में शामिल थे। यहां नया बनेश्वर स्थित संसद भवन में आज, स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे मतदान शुरू हुआ था। पौडेल ने भरोसा जताया था कि सांसद/ विधायक राष्ट्रपति पद के लिए उनका चयन करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि संघीय संसद एवं प्रांतीय एसेंबली के सदस्य मुझे वोट करेंगे। मेरा मानना है कि वे मेरे लंबे संघर्ष के बारे में सही निर्णय करेंगे।’ मौजूदा राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त होगा।

राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए प्रतिनिधि सभा के दो पूर्व अध्यक्ष- पौडेल और नेमबांग आमने-सामने थे। पौडेल प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाले आठ-दलीय गठबंधन द्वारा समर्थित उम्मीदवार थे, जबकि नेमबांग ओली की सीपीएन-यूएमएल से सम्बद्ध हैं। पौडेल (78) और नेमबांग (69) ने पिछले महीने पर्चे भरे थे। पौडेल को राष्ट्रपति पद के चुनाव में समर्थन देने को लेकर उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने मौजूदा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।

सीपीएन-यूएमएल नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। आठ राजनीतिक दलों के समर्थन से राष्ट्रपति चुनाव में पौडेल की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि निर्वाचन की तारीख से पांच वर्ष होगी और एक व्यक्ति को इस पद पर केवल दो कार्यकाल के लिए ही चुना जा सकता है। यद्यपि राष्ट्रपति का पद काफी हद तक औपचारिक है, लेकिन संविधान प्रदत्त विवेकाधीन शक्तियों के कारण नेपाल के राजनीतिक दलों में हाल के दिनों में इस पद के लिए रुचि बढ़ी है।

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