दिल्ली डेस्कः आरएसएस (RSS) यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रोजगार और शिक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन (British Rule) से पहले भारत की 70 से 80 फीसदी आबादी शिक्षित थी और तब जातियों के बीच कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने इंद्री-करनाल मार्ग पर आत्मा मनोहर जैन आराधना मंदिर परिसर में एक मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद बाद ये बातें कहीं।
डॉ. भागवत ने ब्रिटिश शासन का जिक्र करते हुए कहा, “ब्रिटिश शासन से पहले भारत की 70 से 80% आबादी शिक्षित थी, और कोई बेरोजगारी नहीं थी। तब वहां कि केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित थी। लेकिन अंग्रेजों ने वहां की शिक्षा प्रणाली को यहां लागू किया और वो 70 फीसदी शिक्षित बन गए। जबकि भारत की केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित रह गई।”
संघ प्रमुख ने कहा कि जाति और रंग के आधार पर ब्रिटिश शासन के पहले कोई भेदभाव नहीं था क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यहां इंग्लैंड की शिक्षा प्रणाली लागू की थी और इसने देश की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया। हमारी शिक्षा व्यवस्था न केवल रोजगार के लिए बल्कि ज्ञान का माध्यम भी थी। शिक्षा सस्ती और सभी के लिए सुलभ थी।इसलिए समाज ने शिक्षा का सारा खर्च उठाया और इस शिक्षा से निकले विद्वानों, कलाकारों और कारीगरों को पूरी दुनिया में पहचान मिली।”
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