दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में 06 मेंबर्स एक्सपर्ट कमेटी बना दी है। इस समिति का प्रमुख रिटायर्ड जज एएम सप्रे होंगे। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल होंगे। यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी को मामले की जांच सौंपने के साथ ही सेबी (SEBI) यानी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया से भी स्टॉक्स की कीमतों में हेरफेर की जांच रिपोर्ट तलब की है। सेबी को 2 महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि कमेटी बनाने से मार्केट रेगुलेटर सेबी की स्वतंत्रता और इसकी जांच प्रोसेस में कोई बाधा नहीं आएगी।

अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने कोर्ट के इस फैसले के बाद ट्वीट कर फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है। सत्य की जीत होगी।

इन 2 पहलुओं की समिति करेंगी जांच:

  • ,शेयर मार्केट का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। यानी मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की निगरानी और पुख्ता की जाएगी।
  • अडानी ग्रुप के शेयर्स में तेज गिरावट से जुड़े विवादों की जांच करेगी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद ग्रुप के शेयर्स गिरे थे।

​​​​ SEBI इन पहलुओं की करेगी जांचः

  • क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रेक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ।
  • क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ।

आपको बता दें कि कॉन्ट्रेक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

अमेरिकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया था कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।

इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।

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