दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इन दिनों Infuenza A(H3N2) वायरस कहर बरपा रहा है। इसकी वजह से कई मरीज शिकायत कर रहे हैं कि ‘ऐसा लगता है कि मेरे फेफड़े बाहर आ जाएंगे। यह लंबे समय तक चलने वाली खांसी मुझे पेट में ऐंठन और तकलीफ दे रही है। मैं इसकी वजह से रात में सो नहीं पा रहा हूं।’ जी हां दिल्ली में इस तरह की शिकायतें मरीज डॉक्टरों से कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि देश में फैला मौजूदा वायरस Infuenza A(H3N2) है। पहले की तुलना में इसके लक्षण थोड़े अलग और ज्यादा गंभीर हैं। कई मरीजों ने शिकायत की जो खांसी कभी 2-4 दिन में ठीक हो जाती थी उसे ठीक होने में हफ्तों लग रहे हैं।

राष्ट्रीय दिल्ली में कई लोगों ने यह भी शिकायत की कि वायरल के बाद उन्हें लंबे समय तक थकान, कमजोरी, मानसिक धुंध और काम में मन न लगना जैसी चीजों से उन्हें गुजरना पड़ रहा है। मैक्स हेल्थ केयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धराजा ने इस बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि आमतौर पर हमें उत्तर भारत में फ्लू के मामले देखने को नहीं मिलते हैं। लेकिन इस साल फरवरी और मार्च में मरीजों की संख्या बढ़ी है। यह वायरस किसी खास तरह के रिएक्शन या सूजन को जन्म दे रहा है। कभी-कभी तो यह फेफेड़ों पर भी प्रभाव डाल रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि बुखार, खांसी, ठंड और शरीर के दर्द जहां 2 से 4 दिन में ठीक हो रहे हैं वही सूखी खांसी लंबे समय तक बनी हुई है।

डॉक्टर बुद्धिराजा ने बताया कि जिनको अस्थमा नहीं भी है वह भी अस्थमा के मरीजों की तरह हरकत कर रहे हैं। इस तरह के मरीजों को एंटी-एलर्जिक और अस्थमा के ट्रीटमेंट वाली दवाईयांदी जा सकती हैं। कभी-कभी उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर स्टेरॉयड भी दिए जा सकते हैं जिससे उनके सूजन को कम किया जा सके।

वहीं, पीएसआरआई इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर जीसी खिलनानी ने बताया कि इस तरह के मर्ज के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं। किसी मरीज को जेनेटिक प्रवत्तियों के चलते भी ऐसा हो सकता है। इसमें पहले से अस्थमा से पीड़ित होना, COPD और पहले से मौजूद फेफड़े की बीमारियां भी जिम्मेदार हैं। वायु प्रदूषण के चलते मर्ज की गंभीरता और सूजन में इजाफा हो सकता है। इसके चलते लंबे समय तक लोगों को खांसी, गला खराब और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। डॉक्टरों ने बताया कि इस बार कुछ दिन के लिए आवाज गायब होना और निगलने में परेशानी भी देखी जा रही है। यह भी देखा गया है कि मल्टीपल कोर्स की एंटीबायोटिक भी असर नहीं दिखा रही हैं।

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