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अडानी के बाद अब इस कारोबारी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, लगातार आठ दिन गिरे शेयरों के भाव

मुंबईः प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) के बाद एक और भारतीय कारोबारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जी हां वह नाम है अनिल अग्रवाल। अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की कंपनी वेदांता (Vedanta) के शेयरों में लगातार आठ दिन गिरावट रही। हालांकि आज इसमें तेजी रही। आपको बता दें कि वेदांता पर भारी कर्ज है और इसे लेकर निवेशकों में चिंता है।

मौजूदा समय में ग्लोबल डेट मार्केट की स्थिति बड़ी टाइट है, क्योंकि कई सेंट्रल बैंकों ने महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है। इस कारण वेदांता के लिए फंड जुटाना मुश्किल हो रहा है। हाल में वेदांता ने अपनी एक कंपनी की हिस्सेदारी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Ltd) को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है।

वेदांता की परेशानी पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी। तब रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वेदांता की होल्डिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज की रेटिंग डाउनग्रेड कर दी थी। इससे कंपनी की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठने लगे। मूडीज का कहना था कि कंपनी को अप्रैल और मई में 90 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है लेकिन वह फंड नहीं जुटा पा रही है। इसके अलावा कंपनी को फाइनेंशियल ईयर 2024 की पहली तिमाही में 90 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है। कुल मिलाकर कंपनी को मार्च 2024 तक 3.8 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज, 60 करोड़ डॉलर का इंटरकंपनी लोन और 60 करोड़ डॉलर का इंटरेस्ट बिल चुकाना है।

हालांकि वेदांता रिसोर्सेज का कहना है कि मूडीज की रिपोर्ट में दम नहीं है। उसने इस साल की पहली छमाही में एक अरब डॉलर जुटाए हैं जबकि वेदांता लिमिटेड ने 1.5 अरब डॉलर जुटाए हैं। वेदांता का कहना है कि वह अपने कर्ज का समय पर भुगतान करेगी। कंपनी ने कहा कि उसने मार्च, 2023 तक का सारा कर्ज चुका दिया है। पिछले 11 महीने में दो अरब डॉलर कर्ज का भुगतान किया है। लगातार आठ दिन तक गिरने के बाद वेदांता के शेयरों में आज तेजी रही। यह एनएसई पर 3.91 फीसदी तेजी के साथ बंद हुआ।

उधर, जानकारों का मानना है कि अनिल अग्रवाल के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। अगर चीन में आर्थिक गतिविधियां पटरी पर नहीं लौटती हैं तो कमोडिटी में भारी प्रॉफिट का दौर नहीं लौटेगा। साथ ही अगर वह हिंदुस्तान जिंक के कैश का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो उन्हें दूसरी जगह से कर्ज लेना पड़ेगा। ब्याज दर महंगा होने से उन्हें कर्ज जुटाना महंगा पड़ेगा। अगर उन्होंने सरकार की मंशा के खिलाफ हिंदुस्तान जिंक को एसेट्स बेचने की कोशिश की तो फॉक्सकॉन के साथ सेमीकंडक्टर फैक्ट्री लगाने का उनका 19 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है।

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