दिल्लीः 27 फरवरी वह तिथि है, जिसने भारतीय इतिहास को बदल कर रख दिया था। 21 साल पहले आज के ही दिन यानी 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे।
इसके बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। गोधरा में सभी स्कूल-दुकानें बंद कर दी गईं। प्रशासन ने कर्फ्यू लगा गया। पुलिस को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए, जिस वक्त ये सब हुआ था, उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार थी।
गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के अगले दिन, यानी 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे, जो इसी सोसायटी में रहते थे। इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी।
उस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने दंगे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। कहा तो ये भी जाता है कि उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा था।
गोधरा कांड की जांच के लिए 6 मार्च 2002 को मोदी ने नानावटी-शाह आयोग का गठन किया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने। आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 को पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई।
2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिस कारण गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और इसका नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया। इसने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी वही बात दोहराई गई, जो रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई थी।
गोधरा कांड के लिए 31 मुसलमानों को दोषी ठहराया गया था। 2011 में SIT कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 27 फरवरी को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…
1670 : लियोपोल्ड प्रथम के आदेश के बाद ऑस्ट्रिया से यहूदियों को बाहर निकालना शुरू किया गया।
1921 : वियना में इंटरनेशनल वर्किंग यूनियन ऑफ सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई।
1931: क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से मुठभेड़ के दौरान खुद को गोली मार ली। उनका कहना था कि वो आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे। आज अल्फ्रेड पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क कहा जाता है।
1932 : अमेरिका में वर्जीनिया के बोसेवैन में कोयला खदान में विस्फोट से 38 लोगों की मौत।
1951: अमेरिकी संविधान में 22वां संशोधन किया गया, जिसके बाद तय हुआ कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति बन सकता है। इससे पहले यहां ऐसी लिमिट नहीं थी।
1956 : मिस्र में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला।
1956 : लोकसभा के पहले अध्यक्ष जीवी मावलंकर का निधन।
1965 : फ्रांस ने अल्जीरिया में भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
1974 : अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘पीपुल’ की बिक्री शुरू।
1995 : उत्तरी इराक के जाखो में एक कार बम विस्फोट में लगभग 54 लोग मारे गये।
1999: नाइजीरिया में 15 साल में पहली बार असैन्य शासक चुनने के लिए वोटिंग हुई। देश में 1979 से पूर्व सैन्य शासक ऑल्युसेगन ऑब्सान्जो ने सत्ता संभाली थी।
2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एक डिब्बे में भीड़ ने आग लगा दी जिसमें 59 लोग मारे गये।
2004 : फिलीपींस में एक आतंकवादी ने नाव को बम से उड़ा दिया जिसमें 116 लोगों की मौत हो गई।
2010 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मज़बूत स्तंभ एवं प्रख्यात समाजसेवक नानाजी देशमुख का निधन।
2010 : भारत ने आठवीं राष्ट्रमंडल निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में 35 स्वर्ण, 25 रजत और 14 कांस्य सहित कुल 74 पदक जीतकर प्रथम स्थान हासिल किया।
2013 : पश्चिम बंगाल में कोलकाता के एक बाजार में आग लगने से 20 लोगों की मौत हो गयी।
2015 : रूसी राजनीतिज्ञ बोरिस नेमत्सोव की मास्को में हत्या।