मुंबईः मुगल भारत को लूटने नहीं बल्कि यहां अपना आशियाना बनाने आए थे। यह कहना है बॉलीवुड के अनुभवी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की। आपको नसीरुद्दीन अपनी नई वेब सीरीज ‘ताज – डिवाइडेड बाई ब्लड’ में राजा अकबर की भूमिका निभा रहे हैं। मुगलों की लगातार बदनामी पर उन्होंने अपने विचार शेयर किए हैं। उन्होंने कहा कि मुगल यहां भारत को लूटने नहीं बल्कि अपना आशियाना बनाने आए थे। उन्होंने आगे कहा कि यदि मुगल इतने ही राक्षस थे तो विरोध करने वालों को ताजमहल, लाल किला और कुतुब मीनार जैसे ऐतिहासिक स्मारकों को गिरा देना चाहिए। उनकी यही बातें सुबह से ही आग की तरह चारों तरफ फैल रही हैं।
अभिनेता नसीरुद्दीन (Naseeruddin Shah) ने मुगलों के बारे में गलत धारणा रखने वाले लोगों के बारे में बोलते हुए कहा, ‘यह मुझे चकित करता है क्योंकि यह बहुत ही मजाकिया है। मेरा मतलब है, लोग अकबर और नादिर शाह या बाबर के परदादा तैमूर जैसे जानलेवा आक्रमणकारी के बीच अंतर नहीं बता सकते। ये वो लोग थे जो यहां लूट करने आए थे। मुगल यहां लूट करने नहीं आए थे। वे यहां इसे अपना घर बनाने आए थे और उन्होंने यही किया। उनके योगदान को कौन नकार सकता है?’
नसीरुद्दीन ने कहा कि मुगलों को भले ही हमारे देश की स्वदेशी परंपराओं की कीमत पर महिमामंडित किया गया हो लेकिन उन्हें खलनायक बनाने की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर उन्होंने जो कुछ भी किया वह भयानक था, तो ताजमहल को गिरा दें, लाल किले को गिरा दें, कुतुब मीनार को गिरा दें। हम लाल किले को पवित्र क्यों मानते हैं, इसे एक मुगल ने बनाया था। हमें उनका महिमामंडन करने की जरूरत नहीं है लेकिन वहां उन्हें बदनाम करने की कोई जरूरत नहीं है।“
"It is our national custom to laugh at others' miseries. We can't laugh at ourselves."
-Naseeruddin ShahThoughts? pic.twitter.com/KGmMpMxeLO
— Som Shekhar (@somshekharsom) February 24, 2023
उन्होंने यह भी कहा कि बौद्धिक बातचीत के लिए बहस के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि देश के इतिहास की समझ की कमी है। इससे पहले एक्टर कुछ दिन पहले ही अपने एक वीडियो को लेकर भी चर्चे में आ गए हैं। उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे फिल्म इंडस्ट्री के बारे में भी बोलते नजर आ रहे हैं। एक्टर और उनकी पत्नी ने दिसंबर 2022 में जश्न-ए-रेख्ता कार्यक्रम में भाग लिया था।
एक पैनल पर बोलते हुए नसीरुद्दीन ने कहा था, “हिंदी फिल्म ने किसी समुदाय को अकेला नहीं छोड़ा है, उन्होंने किस समुदाय को बख्शा है, मुझे बताएं। वे रूढ़िवादिता के उस्ताद हैं। सिखों का मजाक बनाया गया था, पारसियों का मजाक उड़ाया गया था, ईसाइयों का मजाक उड़ाया गया था … मुसलमान हमेशा निस्वार्थ मित्र था, जो अंत में हीरो की जान बचाते हुए अपनी जान गंवा देता था। लेकिन वह जरूर मरते थे।“