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अंतरराष्ट्रीय

कान खोलकर सुन ले दुनिया, रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिनः पुतिन

दिल्लीः आज 21 फरवरी है और आज से तीन दिन बात यानी 24 फरवरी को रूस-यूक्रेन जंग का एक साल पूरा हो रहा है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि दुनिया ये कान खोलकर सुन ले कि रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिन है। उन्होंने मंगलवार को देशवासियों को संबोधित किया और कहा कि रूस ने शुरुआत में जंग को टालने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक कोशिशें कीं, लेकिन नाटो (NATO) और अमेरिका ने इन्हें कामयाब नहीं होने दिया। हम अब भी बातचीत चाहते हैं, लेकिन इसके लिए शर्तें मंजूर नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि यूक्रेन को लॉन्ग रेंज डिफेंस सिस्टम दिए जा रहे हैं। हमारे बॉर्डर पर इसकी वजह से खतरा मंडरा रहा है। रूस और यूक्रेन का मामला स्थानीय था। अमेरिका और उसके साथियों ने इसे दुनिया का मसला बना दिया।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, “सच्चाई ये है कि इस जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से हुई। हमने उस वक्त भी हर मुमकिन कोशिश की। वो लोग कीव और यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें मूर्ख बना रहे हैं। हम अपने वतन की हिफाजत करना बखूबी जानते हैं।“

उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके साथी महज अपना दबदबा बढ़ाने की साजिश की खातिर दूसरों को मोहरा बना रहे हैं। वेस्टर्न पावर ने ही जंग के जिन्न को बोतल से बाहर निकाला है, और वो ही इसे वापस बोतल में डाल सकते हैं। हम तो सिर्फ अपने देश और लोगों की हिफाजत करना चाहते हैं और यही कर भी रहे हैं।

पुतिन ने कहा कि जहां तक डोनबास इलाके का मामला है तो हमने हमेशा कहा कि पहले इसे शांति से सुलझा लीजिए, लेकिन रूस पर इल्जाम लगाने वाले ये भी देख लें कि वेस्टर्न लीडर्स का क्या रोल रहा। इन लोगों ने लगातार धोखेबाजी की और झूठ बोला। वेस्टर्न पावर सम्मान देना नहीं जानते। वो पूरी दुनिया पर थूकने की कोशिश करते हैं। यही तरीका वो अपने देश की जनता के साथ भी अपनाते हैं।

पुतिन ने कहा, “वेस्ट की हरकतों की वजह से हमें यूक्रेन पर हमला करना पड़ा। अपनी हिफाजत के लिए, यूक्रेन पर अटैक जरूरी था। डोनबास के लोगों ने तो रूस सरकार से मदद मांगी थी। जिस तरह इन ताकतों ने यूगोस्लोवाकिया, इराक, लीबिया और सीरिया को तबाह किया, वही ये यूक्रेन के साथ भी करना चाहते हैं।“

उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी इज्जत से समझौता नहीं करेगा। ​कीव में इतनी ताकत नहीं कि वो डोनबास का मसला सुलझा ले। वहां के लोग चाहते हैं कि रूस आए और उनकी परेशानियों को हल करे। मैंने ये कभी नहीं कहा कि जंग से ही इस मसले का हल निकाला जा सकता है। बातचीत तो होनी चाहिए, लेकिन इसमें सही तरीका अपनाया जाना चाहिए। प्रेशर टैक्टिक्स के आगे रूस न झुका है और न झुकेगा।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि हमें तो वेस्टर्न पावर्स से भी बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है। हम चाहते हैं कि हमारे बीच जॉइंट सिक्योरिटी स्ट्रक्चर हो। इसके लिए मैंने खुद कई साल तक कोशिश की, लेकिन अमेरिका और दूसरे वेस्टर्न पावर हल चाहते ही नहीं है। हमें हमेशा इग्नोर किया गया। दुनिया में ऐसा कौन सा देश है जिसके अमेरिका के बराबर दुनिया के दूसरे देशों में मिलिट्री बेसेस हैं? इसके बाद वो अमन की बात करते हैं तो सोचना पड़ता है।

 

पुतिन ने कहा कि वेस्टर्न वर्ल्ड आध्यात्मिक तबाही की तरफ जा रहा है। वह  हमारे चर्च और परंपराओं पर हमला कर रहे हैं। उनके धर्मगुरु तक ‘सेम सेक्स मैरिज’ का समर्थन कर रहे हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने भाषण के आखिरी मिनटों में अहम घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि रूस परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका के साथ की गई स्टार्ट न्यू ट्रीटी को नहीं मानेगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी जंग यूक्रेन के लोगों से नहीं है, क्योंकि वह तो वहां की हुकूमत के बंधक हैं। दुनिया ये कान खोलकर सुन ले कि रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिन है। दरअसल, वेस्टर्न पावर चाहते हैं कि यूरोप में वो पुलिस का रोल अदा करें। हम अपने बच्चों पर कोई खतरा नहीं आने देंगे।

पुतिन ने कहा कि दुनिया के सबसे अमीर देशों के संगठन G7 ने गरीब देशों की मदद के लिए 60 अरब डॉलर दिए। ये अच्छी बात है, लेकिन यह भी देखिए कि उन्होंने जंग के लिए 150 अरब डॉलर का फंड रखा। ये दोगलापन नहीं तो और क्या है?

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मंगलवार को करीब एक घंटे का भाषण दिया। पोलैंड के वारसा में मौजूद अमेरिका के राष्ट्रति जो बाइडेन ने यह स्पीच गौर से सुनी। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन सोमवार को अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे। यहां वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की के साथ नजर आए। बाइडेन का यह दौरा चौंकाने वाला है। इसकी किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई। दरअसल, प्रेसिडेंट बाइडेन शनिवार रात (भारत में रविवार तड़के) पोलैंड गए थे। यहां से वो एक घंटे का सफर करके ट्रेन के जरिए कीव पहुंच गए।

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