Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः दुनिया के अजूबों में मिस्र के पिरामिड शामिल हैं, लेकिन वहां राज करने वाले तूतेनखामेन की मौत का रहस्य तीन हजार साल भी बरकरार है और दुनियाभर के रिसर्चर्स के लिए एक चुनौती बना हुआ है। आपको बता दें कि 101 साल पहले तक तूतेनखामेन का जिक्र बहुत कम होता था, लेकिन 16 फरवरी 1922 को जब ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट हार्वर्ड कार्टर ने वैली ऑफ द किंग्स में स्थित पिरामिड में तूतेनखामेन या किंग तूत की कब्रगाह का दरवाजा खोला तो पूरी दुनिया का ध्यान इस पर गया।

तूतेनखामेन सिर्फ 10 साल की उम्र में राजा बना और 19 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। इतनी कम उम्र में मौत होने से वह किसी को अपना वारिस भी घोषित नहीं कर सका था। वैली ऑफ द किंग्स में उसने अपने रहने के लिए जिस इमारत को बनवाया था, उसे ही जल्दबाजी में कब्रगाह में तब्दील किया गया। अन्य शासकों की तरह उसके शव को भी ममी बनाकर रीस्टोर किया गया।

मिस्र के लोगों का उस समय मानना था कि राजा मरने के बाद जिस दुनिया में गया है, वहां भी उसकी शानो-शौकत बनी रहनी चाहिए। इसी वजह से मकबरे में सोना-चांदी और जवाहरात समेत सभी वस्तुएं भी रखी जाती थीं। तूतेनखामेन को भी तीन ताबूतों में रखा गया था। एक ताबूत सोने का बना था। उसे नीला और गोल्डन मास्क भी पहनाया गया था। मकबरे से मिली सभी वस्तुओं को एक म्यूजियम में रखा गया है। यह मिस्र के समृद्ध इतिहास का प्रतीक है।

तूतेनखामेन को प्रसिद्धी मिली, उसकी मौत के 3,000 साल बाद। खास बात यह थी कि यह इकलौता राजा है, जिसकी हड्डियां और मकबरे का ज्यादातर सामान सही-सलामत मिला। इस दौरान भी कई विवाद हुए।

कार्टर के जिस साथी ने मकबरे का दरवाजा खोला था, उसकी मौत हो गई। तब मकबरों को शापित कहा जाने लगा। कुछ साल पहले बनी भूतिया फिल्मों ने भी पिरामिड और तूतेनखामेन की प्रसिद्धि बढ़ाई।

कार्टर ने अपनी स्टडी में लिखा है कि जब उन्होंने पहली बार तूतेनखामेन की ममी को देखा तो ममी ने ताबीज पहन रखा था और पूरा चेहरा सोने से बने मास्क से ढंका हुआ था। इन सामानों को निकालने के लिए कार्टर और उसकी टीम ने तूतेनखामेन के शरीर के कई टुकड़े कर दिए। गोल्डन मास्क को हटाने के लिए गर्म छुरियों और तारों का इस्तेमाल किया गया।

इस मास्क को बाम की तरह तूतेनखामेन के चेहरे पर चढ़ाया गया था। काटे हुए शरीर को दोबारा ठीक करने के बाद 1926 में उसे फिर से पुरानी जगह पर रख दिया गया। उसके बाद से ममी को एक्स-रे के लिए सिर्फ तीन बार बाहर निकाला गया है।

वर्ष 1968 में हुए एक्स-रे से ऐसा पता चला कि हड्डी का एक टुकड़ा उनकी खोपड़ी में धंसा हुआ है, जिससे कयास लगे कि 19 वर्षीय तूतेनखामेन की मौत स्वाभाविक नहीं थी बल्कि उनकी हत्या की गई होगी। पर 2010 की स्टडी ने खुलासा किया कि तूतेनखामेन की मौत मलेरिया की वजह से हुई थी। यह आशंका भी जताई गई कि उसे हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी भी थी, जो उसकी मौत का कारण बनी। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 16 फरवरी को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

1745 : मराठा सामाज्य के चौथे पेशवा थोरले माधवराव का जन्म हुआ।
1759: मद्रास पर फ्रांस का कब्जा समाप्त।
1751 : ग्रे की “एलजी लिविंग इन कंट्री चर्च यार्ड” का पहला प्रकाशन किया गया।
1760 : दक्षिण कैरोलिना के किले प्रिंस जॉर्ज में अमेरिकी मूल के बंधकों की मौत हुई।
1769 : कलकत्ता (अब कोलकाता) के अकरा में पहली बार सुनियोजित घुड़दौड़ का आयोजन किया गया।
1796 : डच द्वारा ग्रेट ब्रिटेन को सीलोन का नियंत्रण प्रदान किया गया।
1846 : सोबरायन की लड़ाई से भारत में सिख युद्ध का अंत हुआ।
1896: हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म।
1901 : भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, विद्वान और न्यायविद् महादेव गोविन्द रानाडे का निधन।
1914 : लॉस एंजिलिस और सैन फ्रांसिस्को के बीच पहले विमान ने उड़ान भरी।
1922 : ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट हार्वर्ड कार्टर ने वैली ऑफ द किंग्स में स्थित पिरामिड में तूतेनखामेन या किंग तूत की कब्रगाह का दरवाजा खोला।
1937: अमेरिका के वैज्ञानिक वालेस कैरोदर्स को नायलॉन का पेटेंट मिला। इसका इस्तेमाल शुरू में टूथब्रश बनाने के लिए किया गया था।
1938 : प्रख्यात बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र चटोपाध्याय का निधन।
1944 : हिन्दी सिनेमा के पितामाह दादा साहब फाल्के का नासिक में 74 वर्ष की आयु में निधन। दादा साहब फाल्के पुरस्कार को सिने जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है।
1946 : पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ में सोवियत संघ के प्रतिनिधि ने वीटो अधिकार का प्रयोग किया।
1956: भारत के महान वैज्ञानिक मेघनाद साहा का निधन। उन्हें साहा इक्वेशन के लिए याद किया जाता है।
1959 : क्यूबा में क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो तानाशाह जनरल फुलगेंसियो बतिस्ता की सेनाओं को हराने के बाद क्यूबा के इतिहास में सबसे कम उम्र 32 साल में प्रधानमंत्री बने।
1966 : भारत के शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता सेनानी साधु वासवानी का निधन।
1969 : मिर्जा गालिब की 100वीं पुण्यतिथि पर डाक टिकट जारी किया गया।
1971: पश्चिमी पाकिस्तान और चीन के बीच राजमार्ग को औपचारिक तौर पर खोला गया।
1982 : कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में पहली बार जवाहरलाल नेहरू इंटरनेशनल गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया।
1987: पनडुब्बी से पनडुब्बी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
2001: फिलीपींस की राजधानी मनीला में जूतों के अनूठे संग्रहालय का उद्घाटन। यहां तरह-तरह के जूतों के हजारों जोड़े रखे गए हैं।
2005 : पर्यावरण की रक्षा के लिए क्योटो संधि दुनिया के कई प्रमुख देशों के राज़ी होने के सात साल बाद अस्तित्व में आई।
2013 : पाकिस्तान के हजारा कस्बे स्थित एक बाजार में हुए बम विस्फोट में 84 लोग मारे गए और 190 घायल हुए।

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