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अंतरराष्ट्रीय

Pervez Musharraf Death: भारत के साथ लड़ा 1965 और 1971 का जंग, रची कारगिल की साजिश

दिल्ली डेस्कः पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। परवेज मुशर्रफ काफी समय से बीमार थे और दुबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे। पाकिस्तान के पूर्व तनाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ 2007 संविधान को पलटने के आरोप में पाकिस्तान के इतिहास में मौत की सजा पाने वाले पहले सैन्य शासक थे।

परवेज मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। जून 2022 में उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। आपको बता दें कि अमाइलॉइडोसिस में इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते।

1965 में भारत से लड़ा जंग, कारगिल की साजिश रचीः 11 अगस्त 1943 को पुरानी दिल्ली में जन्मे परवेज मुशर्रफ कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र में बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने 1965 में भारत के खिलाफ जंग लड़ी। खास बात ये है कि पाकिस्तान ये जंग हार गया। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार ने मुशर्रफ को मेडल दिया।

इसके बाद 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी परवेज मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची। जंग भी हारे और दुनिया में पाकिस्तान को बदनाम भी करा दिया। जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर’ में लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी, लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए।

वाजपेयी से मिलने के लिए काफिला रुकवायाः बात 2005 की है। उस समय भारत नें डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार और परवेज मुशर्रफ भारत दौरे पर आए हुए थे। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना चाहते थे और तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार टालमटोल कर रही थी, लेकिन मुशर्रफ ने वाजपेयी से मिलने की ठान ली थी। यह मुलाकात 18 अप्रैल 2005 को हुई। मुशर्रफ ने पाकिस्तान वापसी के लिए पालम हवाई अड्डे जाते समय अपना काफिला 6 कृष्ण मेनन मार्ग पर रुकवा दिया था। वे अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और कहा, “सर, अगर आप प्रधानमंत्री होते तो आज दोनों देशों के बीच के रिश्ते कुछ और होते’’

पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ पर भरोसा करके उन्हें पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया, लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और तानाशाह बन गए। सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।

सत्ता में रहते हुए जनरल मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सुलूक किया। सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई। यही कारण है कि सत्ता जाने के बाद बलूच महिलाओं ने अमेरिका से जनरल मुशर्रफ को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी।

03 नवंबर 2007 की इमरजेंसी और फिर मार्शल लॉ की घोषणा के मामले में 2013 में मुशर्रफ पर देशद्रोह का केस चला। इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार ने अप्रैल 2013 में उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर बैन लगा दिया था। हालांकि परवेज मुशर्रफ ने 18 मार्च 2016 की सुबह पाकिस्तान छोड़ दिया था। देश छोड़ने की वजह खराब सेहत बताई थी।

 

दिल्ली रहता था मुशर्रफ का परिवारः परवेज मुशर्रफ का परिवार बंटवारे से पहले भारत में काफी संपन्न था। उनके दादा टैक्स कलेक्टर थे। उनके पिता भी ब्रिटिश हुकूमत में बड़े अफसर थे। मुशर्रफ की मां बेगम जरीन 1940 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ती थीं। मुशर्रफ परिवार के पास पुरानी दिल्ली में एक बड़ी कोठी थी। अपने जन्म के चार साल बाद तक मुशर्रफ ज्यादातर यहीं रहे।

साल 2005 में अपनी भारत यात्रा के दौरान परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन मुशर्रफ लखनऊ, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गई थीं। आइए एक नजर डालते हैं परवेज मुशर्रफ से जुड़ीं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

  • 12 अक्तूबर 1999: परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट किया।
  • जून 2001: मुशर्रफ ने खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित किया।
  • 3 नवंबर 2007: परवेज मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लागू करते हुए 1973 के संविधान को निलंबित कर दिया।
  • 28 नवंबर 2007: मुशर्रफ पूरी तरह राजनीति में चले गए। जनरल अशफाक कियानी को आर्मी की कमान सौंपी।
  • 29 नवंबर 2007: पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
  • 15 दिसंबर 2007: मुशर्रफ ने आपातकाल हटाया, अल्पकालीन संवैधानिक आदेश (पीसीओ) हटाया और आपातकाल के 42 दिनों के दौरान लिए गए फैसलों को संवैधानिक जामा पहनाया।
  • 18 अगस्त 2008: 9 साल के शासन के बाद इस्तीफा दिया ताकि महाभियोग से बच सकें।
  • 31 जुलाई 2009: सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि 3 नवंबर 2007 को आपातकाल लागू करना पूरी तरह असंवैधानिक था। कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा।
  • 6 अगस्त 2009: जवाब देने से इनकार करते हुए मुशर्रफ इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए।
  • 8 जून 2010: अपनी पार्टी APML लॉन्च की, मुशर्रफ इसके अध्यक्ष बने।
  • 24 मार्च 2013: आम चुनाव के लिए मुशर्रफ पाकिस्तान लौटे।
  • 29 मार्च 2013: सिंध हाई कोर्ट ने मुशर्रफ की जमानत अवधि बढ़ाई साथ ही कहा कि वह बिना इजाजत देश नहीं छोड़ सकते।
  • 5 अप्रैल 2013: सुप्रीम कोर्ट मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह मामले की सुनवाई के लिए तैयार हुआ।
  • 7 अप्रैल 2013: चीफ जस्टिस इफ्तिखार मो. चौधरी ने खुद को तीन सदस्यीय सुनवाई बेंच से अलग कर लिया।
  • 18 अप्रैल 2013: जमानत याचिका खारिज होने पर मुशर्रफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से फरार हुए।
  • 19 अप्रैल 2013: मुशर्रफ ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। इस्लामाबाद के चक शहजाद में उनका फार्महाउस सील किया गया। इसे ही जेल में तब्दील कर दिया गया।
  • 30 अप्रैल 2013: पेशावर हाईकोर्ट ने मुशर्रफ को सीनेट और नेशनल असेंबली चुनाव लड़ने से रोका।
  • 24 जून 2013: प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने नेशनल असेंबली में कहा कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट से मुशर्रफ के खिलाफ आर्टिकल 6 के तहत केस चलाने की मांग करेगी।
  • 18 नवंबर 2013: मुशर्रफ पर देशद्रोह केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट, चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई में विशेष ट्रिब्यूनल के गठन पर राजी हुआ।
  • 2 जनवरी 2014: अदालत ले जाते वक्त मुशर्रफ ने दिल की बीमारी की बात उठाई जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया।
  • 18 फरवरी 2014: लगातार 22 सुनवाई में गैरमौजूद रहे मुशर्रफ आखिर अदालत में पेश हुए लेकिन उनके खिलाफ आरोप तय नहीं हुए।
  • 14 मई 2014: फेडरल इनवेस्टीगेशन एजेंसी ने कहा कि मुशर्रफ द्वारा 2007 में गैरकानून रूप से आपातकाल लागू करने के संबंध में अकाट्य सबूत हैं।
  • 22 दिसंबर 2015: मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने आर्मी चीफ अशफाक परवेज कियानी और दूसरे नेताओँ से सलाह मश्विरा करने के बाद आपातकाल लगाया।
  • 18 मार्च 2016: अदालत से मंजूरी के बाद मुशर्रफ मेडिकल आधार पर दुबई के लिए रवाना हो गए।
  • 11 मई 2016: विशेष अदालत ने मुशर्रफ को देशद्रोह केस में भगोड़ा घोषित किया।
  • 27 फरवरी 2017: मुशर्रफ ने टीवी विश्लेषक के तौर पर अपना करियर शुरू किया।
  • 10 नवंबर 2017: मुशर्रफ ने 23 दलों के महागठबंधन पाकिस्तान अवामी इत्तेहाद के गठन का एलान किया।
  • 29 मार्च 2018: जस्टिस याह्या अफरीदी के खुद को सुनवाई से अलग करने के बाद स्पेशल कोर्ट बेंच भंग की गई।
  • 7 अप्रैल 2018: चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार ने दोबारा सुनवाई बेंच का गठन किया।
  • 7 जून 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ को चुनाव में भाग लेने की इजाजत इस शर्त पर दी कि वह अदालत के सामने पेश होंगे।
  • 30 जुलाई 2018: अभियोजन पक्ष के प्रमुख ने मुशर्रफ राजद्रोह मामले में केस छोड़ा।
  • 20 अगस्त 2018: अपनी जान को खतरा बताकर मुशर्रफ ने अदालत में पेश होने से पहले राष्ट्रपति स्तर की सुरक्षा मांगी।
  • 24 अक्तूबर 2018: एपीएमएल ने बताया कि मुशर्रफ गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं जिसके कारण वह न तो खड़े रह सकते न ही चलसकते हैं।
  • 31 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुशर्रफ दो मई को अदालत में पेश हों अन्यथा वह अपने बचाव का अधिकार खो देंगे।
  • 11 जून 2019: सुप्रीम कोर्ट ने एनएडीआरए से मुशर्रफ का पासपोर्ट दोबारा बहाल करने को कहा।
  • 30 जुलाई 2019: एक बार फिर अभियोजन पक्ष के प्रमुख ने मुशर्रफ के खिलाफ केस छोड़ा।
  • 8 अक्तूबर 2019: विशेष अदालत ने रोजाना सुनवाई का फैसला किया।
  • 19 नवंबर 2019: विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि फैसला 28 नवंबर को सुनाया जाएगा।
  • 23 नवंबर 2019: मुशर्रफ ने अदालती कार्यवाही के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में अपील की।
  • 26 नवंबर 2019: लाहौर हाईकोर्ट मुशर्रफ की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया।
  • 27 नवंबर 2019: इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को मुशर्रफ पर फैसला देने से रोका।
  • दिसंबर 2019: विशेष अदालत ने कहा कि वह 17 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। मुशर्रफ ने ट्रायल पर रोक के लिए लाहौर हाईकोर्ट में अर्जी लगाई।
  • 17 दिसंबर 2019: विशेष अदालत ने देशद्रोह मामले में मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई।
  • 5 फरवरी 2023: परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन
General Desk

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