जयपुरः अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन है और किसी खूबसूरत जगह पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो हम आपको एक बार राजस्थान के जैसलमेर जाने की सलाह जरूर देंगे। यकीन मानिए वहां स्थित जैसलमेर के किले की खूबसूरती को आपको रोमांचित कर देगी। वैसे तो राजस्थान में मौजूद कई खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतें और किले केवल देश के लोगों को ही नहीं, विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। यहां के हर एक जिले में आपको एक से एक ऐतिहासिक फोर्ट देखने को मिल जाएंगे, जो काफी गर्व के साथ खड़े हुए हैं। इन किलों को देखने के लिए हर साल देसी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों की भी अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। अब हम किलों के बारे में बात कर ही रहे हैं, तो आपको बता दें राजस्थान के जैसलमेर शहर में एक ऐसा ही फोर्ट है, जो हर देखे जाने वाले सैलानियों को सरप्राइज कर देता है। हम बात कर रहे हैं त्रिकुटा हिल पर बने जैसलमेर फोर्ट की, जो भारत के इतिहास के साथ-साथ अपनी बेहतरीन संरचना के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। चलिए आपको इस लेख में इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बताते हैं।
जैसलमेर का किला 250 फीट तिकोनाकार पहाडी पर स्थित है। इस पहाडी की लंबाई 150 फीट और चौडाई 750 फीट है। स्थानीय स्रोतों के अनुसार इस जैसलमेर किले का निर्माण 1156 ई. में प्रारंभ हुआ था। वहीं समकालीन साक्ष्यों के अध्ययन से पता चलता है कि इसका निर्माण कार्य 1178 ई. के लगभग प्रारंभ हुआ था। पांच वर्ष के अल्प निर्माण कार्य के उपरांत रावल जैसल की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी शालीवाहन द्वारा इस किले का निर्माण कार्य जारी रखा गया और इसे मूर्त रूप दिया गया 1294 के आसपास, भाटी साम्राज्य को अलाउद्दीन खिलजी (खलीजी वंश के शासक) द्वारा 8 से 9 साल की घेराबंदी का सामना करना पड़ा। 1551 के आसपास रावल लूनाकरण के शासन के दौरान, किले पर फिर से अमीर अली (एक प्रसिद्ध अफगान प्रमुख) द्वारा हमला किया गया था, जिसके बाद राजा को अपनी बेटी की शादी हुमायूं के बेटे अकबर से करनी पड़ी। इसके बाद किले पर आक्रमण होने से बच गया ओर किले को सुरक्षित बचा लिया गया।
जैसलमेर का भव्य किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। पूरा किला पीले बलुआ पत्थर से बना हुआ है और देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। लोग विशेष रूप से यहां सूर्यास्त देखने आते हैं। सूर्य की किरणें पूरे किले की शोभा में चार चांद लगा देती हैं। किले की पीली दीवारें, सूरज की किरणों से मानों नहा सी जाती हैं, इस खूबसूरती को देखते हुए भी इस किले का नाम सोनार किला या स्वर्ण किला पड़ा था।
किले में कुछ हवेलियां भी हैं, जिनमें पटवाओं की हवेली, नथमल की हवेली, सलाम सिंह की हवेली शामिल हैं। कहा जाता है कि भारत में आपको बहुत ही कम फोर्ट मिलेंगे जहां आपको एक साथ राजपुताना और इस्लामी शैली एक साथ दिख जाए। लेकिन अगर आपको सच में इस तरह की वास्तुकला देखनी है, तो आपको एक बार जैसलमेर फोर्ट जरूर आना चाहिए।
प्रख्यात फिल्म निर्माता एवं लेखक सत्यजीत रे किले की सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसके चारों ओर एक कहानी रची। उन्होंने 1971 में प्रशंसित रहस्य उपन्यास, सोनार केला या शोनार केला लिखना जारी रखा। फिर, 1974 में, रे ने पुस्तक पर आधारित एक फिल्म का निर्देशन किया, जिसका नाम सोनार केला था। इसी उपन्यास के बाद इस किले का को सोनार किला या स्वर्ण किला के नाम से भी जाना जाने लगा था।
आपको बता दें कि जैसलमेर का किला दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान में रहने वाला किला है। साथ ही, यह राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला भी है। आपको बता दें, इसके परिसर में हजारों लोग रहते हैं। यहां असंख्य दुकानें हैं जहां स्थानीय लोग हस्तशिल्प उत्पाद बेचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये किला भारत में एकमात्र ऐसा फोर्ट जहां मध्य काल में रोजाना स्थानीय लोगों के लिए दुकानें लगा करती थी, जहां शहर और शहर से आने वाले लोग यहां आकर खरीदारी कर सकते थे। सजावट से लेकर मसाले, आनाज आदि तक इस बाजार में सब कुछ मिलता था।
जैसलमेर का किला थार रेगिस्तान के चिलचिलाती रेतीले मैदानों पर बना है। अगर आप जैसलमेर आकर किले को देखना चाहते हैं, तो हमारी सलाह है कि आप गर्मियों के महीनों में यहां आने से बचें और केवल सर्दियों के महीनों में, यानी अक्टूबर से मार्च के बीच ही इस जगह पर घूमने के लिए जाएं। सर्दियों में आपको दिन के समय ज्यादा गर्मी महदूद नहीं होगी और शाम में यहां ठंड रहती।
जैसलमेर फोर्ट के अलावा आप किले के पास की इन खूबसूरत जगहों पर भी घूम कर सकते हैं जैसे – पटवों की हवेली, बड़ा बाग, गड़ीसर झील, नथमल की हवेली, व्यास छत्री और सरकारी संग्रहालय।
बात यहां पहुंचने के साधन की करें, तो जैसलमेर रेल, सड़क और हवाई मार्ग से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जैसलमेर में स्थानीय परिवहन काफी अच्छा है। जैसलमेर शहर में ऑटो रिक्शा परिवहन भी सस्ते में मिल जाते हैं। यह मुख्य जैसलमेर शहर से पैदल दूरी पर है। आप अपने होटल से रिक्शा किराए पर ले सकते हैं। जैसलमेर से महत्वपूर्ण शहरों की दूरी: नई दिल्ली (921 किमी), जयपुर (620 किमी), मुंबई (1177 किमी), अहमदाबाद (626 किमी)।