दिल्लीः उद्योग जगत ने आर्थिक समीक्षा 2022-23 को लेकर कुल मिलाकर उत्साह जताया है और कहा है कि राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अंदर रखने की उपलब्धि अर्थव्यवस्था की वृद्धि में सहायक होगी। उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने आर्थिक समीक्षा पर अपनी प्रतिक्रिया में चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को लक्ष्य तक सीमित रखने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की है।
सीआईआई (CII) यानी भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष संजीव बजाज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में प्रस्तुत की गई आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में दबाव के बावजूद घाटे को लक्ष्य के अंदर सीमित रखने का कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की बृहद स्थिरता मजबूत बनी रहेगी तथा सरकार को बुनियादी क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि को गति देने का अवसर मिलेगा।
बजाज ने कहा कि सीआईआई कहता रहा है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने की राह में खर्च की प्राथमिकताएं बाधक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को वित्त वर्ष 2025- 26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत तक सीमित करने का स्पष्ट खाका प्रस्तुत करना चाहिए।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और मजबूत का चित्रण करता है। इसमें उम्मीद की गई है पिछले कुछ वर्षों में किए गए आर्थिक सुधारों से वृद्धि दर ऊंची बनी रहेगी तथा बैंकों और कंपनियों का स्वास्थ्य बेहतर होगा। सरकार के पूंजीगत निवेश से इसमें और मदद मिलेगी। सुश्री अरोड़ा ने कहा कि सर्वेक्षण में उम्मीद की गई है कि ऐसे अनुकूल परिवेश में निजी क्षेत्र पूंजी निर्माण का एक चक्र शुरू होगा।
निर्यात संघों के महासंघ फियो के अध्यक्ष डॉ शक्तिवेल ने कहा कि आर्थिक समीक्षा में भारत के वाणिज्य व्यापार में वृद्धि और विविधीकरण को रेखांकित किया गया है। डॉ शक्तिवेल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात में नौ से 10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
फियो का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 440 से 450 अरब डॉलर के बीच रहेगा। रियल स्टेट क्षेत्र की कंसलटेंसी कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक अनुसंधान, विवेक राठी ने कहा कि आर्थिक समीक्षा का मुख्य स्वर भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती है। चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत और 202-24 में छह प्रतिशत से 6.8 परिषद के बीच की अनुमानित वृद्धि के साथ भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बना रहेगा। राठी का अनुमान है कि इससे वैश्विक पूंजी और प्रौद्योगिकी के लिए भारत का आकर्षण बढ़ेगा।