दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को रेडियो के माध्य से देशवासियों के साथ मन की बात की। आपको बता दें कि पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम (Mann Ki Baat 2023) के 97वां एपिसोड है। इस दौरान उन्होंने सुपर फूड मिलेट्स के बारे में बताया।। साथ लोकतंत्र का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। हमारी रगों में लोकतंत्र बसा है। हमारे स्वभाव और संस्कृति ही लोकतांत्रिक हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं आपको ऐसे विषय के बारे में बताउंगा जिसे सुनकर आप भी कहेंगे वाह भाई वाह! दिल खुश हो गया! पीएम मोदी ने Indian Institute of Science यानी IISC का जिक्र करते हुए कहा कि इस संस्था के नाम पर 145 पेटेंट हैं। उन्होंने इसके लिए बधाई भी दी। इसके अलावा मोदी ने महाराष्ट्र में 20 साल से मिलेट्स की खेती करने वाली शर्मिला और ओडिशा में बाजरे से रसगुल्ला और केक बनाने वाली महिलाओं का जिक्र कर उनके इस प्रयास की सराहना की। ई वेस्ट पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि हर सेकेंड 800 लैपचॉप फेंक दिए जा रहे हों। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन E-Waste फेंका जा रहा है। E-Waste का सदुपयोग करना, ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है। तो चलिए अब हम आपको पीएम मोदी के मद की बात की प्रमुख बातों की जानकारी देते हैं…

  • आज मैं एक ऐसे विषय पर बात करुंगा जिसे सुनकर आपको भी आनंद आ जाएगा। आपका भी मन कह उठेगा- वाह भाी वाह दिल खुश हो गया। मोदी ने बताया कि बेंगलुरु का Indian Institute of Science, यानी IISC शानदार उदाहरण पेश कर रहा है।
  • मोदी ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम में पहले भी इसका जिक्र किया है। इस संस्थान के पीछे देश की दो महान विभूतियां जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा रही है। मोदी ने आगे कहा कि आपको और मुझे आनंद और गर्व दिलाने वाली बात ये है कि साल 2022 में इस संस्थान के नाम कुल 145 पेटेंट्स रहे हैं। इसका मतलब है हर पांच दिन में दो पेटेंट्स। ये रिकॉर्ड अपने आप में अद्भुत है। इस सफलता के लिए मैं IISC की टीम को भी बधाई देना चाहता हूं। आज पेटेंट फाइल करने में भारत की रैंकिंग 7वीं और ट्रेडमार्क में 5वीं है। सिर्फ पेटेंट्स की बात करें, तो पिछले पांच वर्षों में इसमें करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
  • पीएम मोदी ने 97वें मन की बात कार्ययक्रम की शुरुआत में देशवासियों को नए साल की बधाई दी। मोदी ने कहा कि जनवरी के महीने में उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक त्योहारों की रौनक रहती है। इसके बाद देश गणतंत्र उत्सव भी मनाता है। इस बार भी गणतंत्र दिवस पर अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। पीएम मोदी ने कहा कि जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा। कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली Women Camel Riders और CRPF की महिला टुकड़ी की भी काफी सराहना हो रही है।
  • पीएम मोदी ने पद्म पुरस्कार पाने वालों की भी चर्चा की। उन्होंने पुरस्कार पाने वाले लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है। कौन होगा जिसको संगीत पसंद ना हो। हर किसी की संगीत की पसंद अलग-अलग हो सकती है, लेकिन संगीत हर किसी के जीवन का हिस्सा होता है। इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं, जो, संतूर, बम्हुम, द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं। गुलाम मोहम्मद ज़ाज़, मोआ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुरका-लांग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ़ चर्चा हो रही है।
  • उन्होंने कहा कि आज जब हम आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान गणतंत्र दिवस की चर्चा कर रहे हैं, तो मैं यहाँ एक दिलचस्प किताब का भी जिक्र करूंगा। कुछ हफ्ते पहले ही मुझे मिली इस किताब में एक बहुत ही रोचक विषय पर चर्चा की गयी है। इस किताब का नाम इंडिया द मदर ऑफ डेमोक्रेसी किताब है और इसमें कई बेहतरीन विषय हैं। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से, हम एक डेमोक्रेटिक सोसाइटी हैं। डॉ० अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां Motions, Resolutions, Quorum (कोरम), Voting और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे। तमिलनाडु में एक छोटा, लेकिन चर्चित गांव है – उतिरमेरुर। यहां ग्यारह सौ-बारह सौ साल पहले का एक शिलालेख दुनिया भर को अचंभित करता है। यह शिलालेख एक Mini-Constitution की तरह है।
  • पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौराना पीएम मोदी ने महाराष्ट्र और ओडिशा की महिलाओं का जिक्र किया। मोदी ने बताया कि महाराष्ट्र में अली बाग में शर्मिला नामक महिला 20 साल से मिलेट्स की खेती कर रही हैं। वहीं पीएम ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में मिलेट्स कैफे का भी जिक्र किया। मोदी ने ओडिशा की महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यहां कि महिलाएं बाजरे से रसगुल्ला, गुलाब जामुन और केक बना रही हैं। मोदी ने आगे कहा कि बाजार में इनकी खूब डिमांड होने से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है।
  • पीएम मोदी ने गोवा में हुए पर्पल फेस्ट इवेंट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गोवा में पर्पल फेस्ट इवेंट हुआ। दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था। 50 हजार से भी ज्यादा हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुए। यहां आए लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब ‘मीरामार बीच’ घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं
  • डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां प्रस्ताव, संकल्प, कोरम और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे। बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी। इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष दोनों का निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। योग भी स्वास्थय से जुड़ा है और बाजरा भी स्वास्थय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दोनों अभियानों में जनता की भागीदारी के कारण एक क्रांति रास्ते पर है।
  • इस कार्यक्रम में पहले भी हमने Waste to Wealth यानी ‘कचरे से कंचन’ के बारे में बातें की हैं, लेकिन आइए, आज, इसी से जुड़ी E-Waste की चर्चा करते हैं। आज के लेटेस्ट डिवाइस भविष्य के E-Waste भी होते हैं। जब भी कोई नई डिवाइस खरीदता है या फिर अपनी पुरानी डिवाइस को बदलता है, तो यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि उसे सही तरीके से डिस्कार्ड किया जाता है या नहीं। अगर E-Waste को ठीक से डिस्पोज नहीं किया गया, तो यह, हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन, अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है, तो, यह Recycle और Reuse की Circular Economy की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। मानव इतिहास में जितने कमर्शियल बने हैं, उन सभी का वजन मिला दिया जाए, तो भी जितना E-Waste निकल रहा है, उसके बराबर, नहीं होगा। ये ऐसा है जैसे हर सेकेंड 800 लैपचॉप फेंक दिए जा रहे हों। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन E-Waste फेंका जा रहा है। E-Waste का सदुपयोग करना, ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है।

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