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ईरान में भूकंप से सात लोगों की मौत, 440 लोग घायल, जानें क्यों आता है भूकंप, क्या है रिक्टर स्केल और कितनी तीव्रता के भूकंप को किस श्रेणी में रखा जाता है - Prakhar Prahari
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ईरान में भूकंप से सात लोगों की मौत, 440 लोग घायल, जानें क्यों आता है भूकंप, क्या है रिक्टर स्केल और कितनी तीव्रता के भूकंप को किस श्रेणी में रखा जाता है

तेहरानः उत्तर पश्चिम ईरान के पश्चिम अजरबैजान प्रांत में शनिवार रात भूकंप के के कारण सात लोगों की मौत हो गई है और करीब 440 लोग घायल हुए हैं।  रिक्टर स्केल पर 5.9 तीव्रता वाले भूकंप के ने पश्चिम अजरबैजान प्रांत के खोए शहर में भारी तबाही मचाई है।

टीआरटी वर्ल्ड के मुताबिक, भूकंप में सात लोगों की मौत हो गई और करीब 440 लोग घायल हो गए। खोए के अलावा आस-पास के कई शहरों में भूकंप के झटके आए। यूएसजीएस ने कहा कि 23:44:44 बजे (यूटीसी+05:30) भूकंप के झटके महसूस किए गए।

वहीं, ईरानी समाचार एजेंसी आईआरएनए के अनुसार भूकंप के झटके काफी तेज थे और ईरान के पश्चिम अजरबैजान प्रांत के कई इलाकों में महसूस किए गए। वहीं, पड़ोसी पूर्वी अजरबैजान की प्रांतीय राजधानी तबरेज सहित कई शहरों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। खोय, खोय काउंटी का एक शहर है जो ईरान के पश्चिम अज़रबैजान प्रांत की राजधानी है।

सैन्य संयंत्र में जोरदार धमाकाः  मध्य  ईरान के इस्फहान में एक सैन्य संयंत्र में एक जोरदार विस्फोट सुना गया, लेकिन सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि कोई हताहत नहीं हुआ है। ईरानी राज्य प्रसारक आईआरआईबी ने रविवार तड़के अपनी वेबसाइट पर ये जानकारी दी। IRIB ने अधिक विवरण दिए बिना बताया कि विस्फोट रक्षा मंत्रालय के गोला-बारूद निर्माण केंद्रों में से एक में हुआ और इस्फ़हान गवर्नमेंट के राजनीतिक और सुरक्षा उप प्रमुख द्वारा एक घोषणा के अनुसार कोई हताहत नहीं हुआ।

कैसे आता है भूकंपः  भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।

क्या है रिक्टर स्केलः रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को मापने का एक मापक है. अमेरिकी भूकंपविज्ञानी चार्ल्स एफ रिक्टर और बेनो गुटेनबर्ग ने साल 1935 में इसे तैयार किया था. भूकंप की तीव्रता सिस्मोग्राफ पर ऊंची लाइनों के रूप में दिखती है. हालांकि, आज के आधुनिक युग में भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए कई आधुनिक यंत्र और टेक्नोलॉजी आ चुकी हैं, जो भूगर्भीय हलचल को बारीकी से पकड़ लेती है. लेकिन फिर भी जब बात भूकंप की तीव्रता की आती है तो रिक्टर स्केल के पैमाने पर ही इसकी गणना को लिखा और समझा जाता है.

शुरुआती दौर में रिक्टर स्केल को मध्यम आकार के भूकंप को मापने के लिए तैयार किया गया था. इसके तहत 3 से 7 तीव्रता के भूकंप को मापा जा सकता था. इससे दो या दो से ज्यादा भूकंपों की तीव्रता और नुकसान का अंदाजा लगाना आसान होता था. आज आधुनिक दौर के सिस्मोग्राफ को रिक्टर स्केल के अनुसार काम करने के लिए कैलिबर किया गया है और इसमें भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

तीव्रता                 श्रेणी              असर                       संख्या

1.0 से 2.9 या कम तीव्रता माइक्रो आमतौर पर इनका पता नहीं चलता, मशीन में रिकॉर्ड होता है 1 लाख से ज्यादा
3.0–3.9 माइनर महसूस होता है, लेकिन नुकसान नहीं होता 12 हजार से 1 लाख तक
5.0–5.9 हल्का सभी लोग महसूस कर सकते हैं, हल्की टूट-फूट हो सकती है 2 से 12 हजार तक
5.0–5.9 मध्यम कमजोर बिल्डिंगों को कुछ नुकसान हो सकता है 200 से 2 हजार तक
6.0–6.9 तेज भीड़भाड़ वाले इलाकों में ज्यादा नुकसान हो सकता है 20 से 200 तक
7.0–7.9 भीषण पबड़े इलाके में बहुत अधिक नुकसान, कई लोगों की मौत हो सकती है तीन या इससे कम

 

भूकंप की तीव्रता और श्रेणीः  रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।

लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।

 

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