दिल्लीः मौजूदा समय में जिस बिजली के बल्ब से पूरी दुनिया जगमग होती है, उसका आज के ही दिन यानी 27 जनवरी 1880 को महान अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन को पेटेंट मिला था। एडिसन बल्ब को बनाने में हजार बार असफल हुए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार उस बल्ब का आविष्कार कर दिखाया, जिससे आज दुनिया जगमगा रही है।
इस महान वैज्ञानिक को बचपन में कमजोर बुद्धि वाला कहकर स्कूल से निकाल दिया गया था, लेकिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर उन्होंने बल्ब समेत हजारों जीवन बदलने वाले आविष्कार किए, जिनसे मानव जीवन और आसान बन गया।
एडिसन ने कई सालों की कड़ी मेहनत और हजारों प्रयासों में विफल होने के बाद आखिरकार दुनिया को बिजली के बल्ब के आविष्कार का तोहफा दिया था। कहा जाता है कि एडिसन ने बल्ब का फिलामेंट बनाने के लिए दो हजार अलग-अलग सामानों को आजमाया था। एडिसन ने आज ही के दिन 142 साल पहले यानी 27 जनवरी 1880 को बिजली के बल्ब को पेटेंट कराया था।
बल्ब बनाने में उनकी कई कोशिशों के नाकाम होने को लेकर एक बार एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया था कि हजार बार फेल होने के बाद की सफलता पर आपको कैसा लग रहा है? इस पर एडिसन ने कहा था कि मैं हजार बार फेल नहीं हुआ हूं बल्कि मैंने सफलतापूर्वक हजार ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करेंगे।”
थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 में अमेरिका के मिलान में हुआ था। पढ़ाई में कमजोर एडिसन ने 10 साल की उम्र में अपने घर में एक लैब बना ली थी। उनकी मां ने रसायन शास्त्र की एक किताब उन्हें सौंपी थी। इसमें केमिकल फॉर्मूले लिखे थे। प्रयोगों पर होने वाला खर्च निकालने के लिए उन्होंने काम तक शुरू कर दिया था। बल्ब बनाने में 40 हजार डॉलर खर्च किए थे। हाई रेजिस्टेंस वाली कार्बन थ्रेड फिलामेंट का भी आविष्कार किया था। ये 40 घंटे से ज्यादा समय तक काम कर सकती थी। एडिसन का निधन 18 अक्टूबर 1931 को हुआ था।
थॉमस अल्वा एडिसन कितने महान वैज्ञानिक थे, ये बात आज सब जानते हैं लेकिन उन्हीं एडिसन को बचपन में एक मंदबुद्धि बालक कहकर स्कूल से ही निकाल दिया गया था। लेकिन उनकी मां के भरोसे ने उन्हें एक महान वैज्ञानिक बना दिया। दरअसल, एक बार जब एडिसन स्कूल में थे तो उन्हें टीचर ने एक नोट दिया और कहा कि इसे ले जाकर अपनी मां को दे देना। एडिसन ने जब वह नोट अपनी मां नैंसी मैथ्यू इलिएट को दिया तो उसे पढ़कर वह रोने लगीं।
एडिसन ने मां से रोने की वजह पूछी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ये तो खुशी के आंसू हैं, क्योंकि इस नोट में लिखा है कि आपका बेटा बहुत बुद्धिमान है और हमारा स्कूल निचले स्तर का है। साथ ही हमारे टीचर भी इतने काबिल नहीं हैं कि इसे पढ़ा पाएं, इसलिए इसे आप स्वयं पढ़ाएं। एडिसन ये सुनकर बहुत खुश हुए और घर पर ही अपनी मां से पढ़ने लगे।
बहुत वर्षों बाद जब एडिसन महान वैज्ञानिक बन गए और उनकी मां गुजर गई थीं। तभी एक दिन उन्हें आलमारी में मां की डायरी मिली, जिसमें उन्हें स्कूल का वही पुराना नोट मिला। इस नोट को पढ़कर एडिसन अपने आंसू नहीं रोक सके। उस नोट में लिखा था कि आपका बच्चा मंदबुद्धि है, इसलिए उसे स्कूल न भेजें। एडिसन ने इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि एक महान मां ने एक मंदबुद्धि बच्चे को सदी का एक महान वैज्ञानिक बना दिया।
वैसे तो एडिसन ने एक हजार से ज्यादा आविष्कार किए और उन्होंने अपने जीवन में आविष्कारों के 1,093 पेटेंट कराए थे। लेकिन, उनके कुछ काम तो इतिहास में उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेंगे। बिजली के बल्ब के साथ ही उन्होंने आवाज रिकॉर्ड और प्लेबैक करने वाले फोनोग्राफ उपकरण का भी आविष्कार किया था। बल्ब में लगने वाले सेफ्टी फ्यूज और ऑन/ऑफ स्विच भी बनाए। मोशन पिक्चर के आविष्कार का श्रेय भी एडिसन को जाता है।
ऑश्वित्ज़ शिविर मुक्त हुआः रेड आर्मी ने दक्षिण पश्चिम पोलैंड में नाज़ियों के सबसे बड़े प्रताड़ना शिविर को मुक्त करा लिया है। ख़बरों के अनुसार पोलैंड के हज़ारों लोगों और कई दूसरे यूरोपीय देशों के यहूदियों को काफ़ी बुरी परिस्थितियों में बंदी बनाकर रखा गया था।
ऑश्वित्ज़ शिविर पर क़ब्ज़े का ज़्यादा ब्यौरा नहीं मिल पाया है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार जर्मन गार्डों को कुछ दिन पहले ही आदेश दिया गया था कि वे वहाँ से गैस चैंबर और अंतिम संस्कार करने वाली जगह को नष्ट कर दें। हज़ारों ऐसे क़ैदी जो चल सकते थे उन्हें जेल से निकालकर जर्मनी के दूसरे शिविरों में ले जाया गया।
शिविर में क्या होता था उसका ब्यौरा कुछ तो पोलैंड की निर्वासित सरकार की ओर से आया और कुछ उन क़ैदियों से जो वहाँ से भागने में सफल रहे। जुलाई 1944 में हंगरी के ऐसे चार लाख यहूदियों का ब्यौरा मिला जिन्हें पोलैंड भेजा गया था और उनमें से कई ऑश्वित्ज़ पहुँच गए। ये शिविर 1940 में बना था और तब से कुछ ही क़ैदी वहाँ से भागने में क़ामयाब हो पाए। रेड आर्मी जब शिविर पहुँची तो उन्हें वहाँ कुछ ही बंदी मिले और वे इतने बीमार थे कि शिविर छोड़कर कहीं नहीं जा सकते थे। इससे एक सप्ताह पहले पोलैंड की राजधानी वारसॉ को साढ़े पाँच साल के जर्मनी के क़ब्ज़े के बाद स्वतंत्र करा लिया गया था।
अपोलो 1 दुर्घटना में तीन अंतरिक्षयात्रियों की मौतः चाँद पर मानवीय अभियान के सिलसिले में केप कैनेडी में रिहर्सल के दौरान अपोलो अंतरिक्षयान में आग लगने से तीन अमरीकी अंतरिक्षयात्रियों की मौत हो गई। ख़बरों के अनुसार जहाँ ऑक्सीजन और कुछ अन्य सामग्री रखी थी वहाँ पर बिजली की चिंगारी से शायद ये आग लगी हो। अंतरिक्षयान के जिस हिस्से में ऑक्सीजन वाला वातावरण था वहाँ आग तेज़ी से फैली और कुछ ही सेकेंड के भीतर चालक दल के सदस्य मारे गए।
फ़्लाइट कमांडर गस ग्रिसम, एडवर्ड व्हाइट और रोजर शैफे पहले अपोलो अभियान के परीक्षण में हिस्सा ले रहे थे। नौसेना के लेफ़्टिनेंट कमांडर शैफ़े पहले कभी अंतरिक्ष में नहीं गए थे। वायु सेना के लेफ़्टिनेंट कर्नल ग्रिसम दो बार अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमरीकी थे जबकि वायु सेना के लेफ़्टिनेंट कर्नल व्हाइट अंतरिक्ष में चहलक़दमी करने वाले पहले अमरीकी थे। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 27 जनवरी को घटित हुईं घटनाओं पर…
1891: पेन्सिलवेनिया के माउंट प्लीसेंट में हुए खदान विस्फोट में 109 लोगों की जान चली गई थी।
1943: अमेरिका ने जर्मनी पर पहली बार हवाई हमला किया था।
1944: सोवियत सेना ने जर्मनी और फिनलैंड की सेनाओं को सेंट पीटर्सबर्ग से निकालकर पिछले 872 दिन की घेराबंदी को समाप्त किया।
1959: नई दिल्ली में पहले इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज की नींव रखी गई थी।
1964: फ्रांस ने कम्युनिस्ट चीन को मान्यता दी और उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमति जताई।
1967: अमेरिका में फ्लोरिडा के केप कैनेडी में अंतरिक्षयान अपोलो-1 में अचानक आग लगने से उसमें उड़ान भरने के लिए तैयार तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
1967: अमेरिका और सोवियत संघ सहित 60 देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र की एक संधि पर हस्ताक्षर कर बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का संकल्प लिया और अंतरिक्ष में व्यापक तबाही वाले हथियारों पर रोक का समर्थन किया।
1969: इराक के बगदाद में 14 लोगों को जासूसी के अपराध में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
1974: तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू स्मृति संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित किया।
1996: फ्रांस ने अपना छठा और सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया. इस बम की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो बरस बाद अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की कि दक्षिण प्रशांत में परीक्षण स्थल पर सदियों तक इस विस्फोट का विषैला प्रभाव बना रहेगा।
2006: क्षय रोग के खिलाफ स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक में घोषित विश्वव्यापी अभियान के तहत ब्रिटेन ने भारत में इस बीमारी के नियंत्रण के लिए 7.9 करोड़ डॉलर देने का ऐलान किया।
2007: पाकिस्तान के पेशावर में एक धार्मिक जुलूस से पहले एक फिदायीन बम हमले में 14 व्यक्तियों की मौत, जिनमें ज्यादातर पुलिस अधिकारी थे।
2007: हिंदी के साहित्यकार कमलेश्वर का निधन हुआ था।
2008: पश्चिम बंगाल के 13 ज़िलों में बर्ड फ्लू का प्रकोप. बड़ी संख्या में अंडे, चूजे, मुर्गे और अन्य पोल्ट्री पक्षी नष्ट किए गए।
2013: अफगानिस्तान के कंधार में हुए बम हमलों में 20 पुलिस अधिकारियों की जान चली गई थी।
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